प्रतिरक्षा की परिभाषा और प्रकार बताइये (Immunity Definition and Types in Hindi)— प्रतिरक्षा (Immunity) या रोग प्रतिरोधक क्षमता, शरीर को बीमारियों से ल
प्रतिरक्षा की परिभाषा और प्रकार बताइये (Immunity Definition and Types in Hindi)
प्रतिरक्षा (Immunity) — "शरीर में सभी प्रकार के रोगजनकों और उनके विषैले पदार्थों के दुष्प्रभाव का प्रतिरोध करके समस्थैतिकता (Homeostasis) बनाए रखने की क्षमता होती है, इसे शरीर की प्रतिरक्षा या प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं। " सरल शब्दों में प्रतिरक्षा (Immunity) या रोग प्रतिरोधक क्षमता, शरीर को बीमारियों से लड़ने की शक्ति देती है. यह शरीर को संक्रमणों से भी बचाती है। इम्यूनिटी के दो प्रकार होते हैं: सक्रिय इम्यूनिटी, निष्क्रिय इम्यूनिटी|
विशिष्ट प्रतिरक्षा के प्रकार (Types of Specific Immunity)
प्रतिरक्षा (Immunity) के दो प्रकार होते हैं: (1) सक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा / इम्यूनिटी, (2) निष्क्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा।
(1) सक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Active Acquired Immunity) — जब किसी जीव की अपनी कोशिकाएँ प्रतिरक्षा उत्पन्न करती हैं, तो यह सक्रिय प्रतिरक्षा कहलाती है। यह तब विकसित होती है, जब व्यक्ति रोग से ग्रसित हो या रोग के लिए टीके लेता हो। सक्रिय प्रतिरक्षा दो प्रकार की होती है
- प्राकृतिक सक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Natural Acquired Active Immunity )
- कृत्रिम सक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Artificial Acquired Active Immunity)
(a) प्राकृतिक सक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Natural Acquired Active Immunity ) — इसमें व्यक्ति का प्रतिरक्षा तन्त्र सक्रिय रूप से सम्मिलित होता है, जो प्रतिरक्षी कोशिकाओं या प्रतिरक्षण सक्रिय कोशिकाओं का उत्पादन करता है।
(b) कृत्रिम सक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Artificial Acquired Active Immunity) — सक्रिय प्रतिरोधक क्षमता के निर्माण के लिए विभिन्न रोगाणुओं द्वारा प्रतिजनों का निर्माण व्यापारिक रूप से किया जाता है, जो निम्नलिखित है।
- टीका (Vaccine) यह विभिन्न जीवाणुओं एवं विषाणुओं से प्राप्त किए जाते हैं, जो सक्रिय एवं निष्क्रिय रोगाणुओं के लिए टीका बनाने में प्रयुक्त किए जाते हैं।
- जीवाणुक टीका (Bacterial Vaccine) इसे अक्रिय वाणु कोशिका से प्राप्त किया जाता है।
- जीव विषाणु (Toxoids) यह विषाणु का विष होता है, इसे भी अक्रिय जीवाणु कोशिकाओं से प्राप्त किया जाता है।
- विषाणु टीका (Viral Vaccine) विषाणुओं के शरीर के विभिन्न भागों से इस प्रकार के अनेक टीके तैयार किए जाते है; जैसे- पोलियों, चेचक, आदि के टीके।
(2) निष्क्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Passive Acquired Immunity)— निष्क्रिय प्रतिरक्षा (Passive immunity) तब होती है, जब शरीर की रक्षा के लिए बने प्रतिरक्षी सीधे ही शरीर को दिए जाते हैं। इसका उपयोग कई प्रकार के तीव्र संक्रमणों के उपचार और विषाक्तता के इलाज में भी किया जाता है। ये भी दो प्रकार की होती हैं-
- प्राकृतिक अक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Natural Acquired Passive Immunity )
- कृत्रिम सक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Artificial Acquired Active Immunity )
(a) प्राकृतिक अक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Natural Acquired Passive Immunity )— इस प्रतिरक्षा को जन्मजात उपार्जित अक्रिय प्रतिरक्षा भी कहते हैं। क्योंकि भ्रूण में माता के रुधिर से बनी हुई प्रतिरक्षी (माता प्रतिरक्षी) भ्रूणीय परिवहन के द्वारा प्रवेश कर जाती है एवं जन्म के पश्चात् 3 से 6 माह तक जीवित रहती है । ठीक इसी प्रकार जन्म के पश्चात् माता का शुरुआती दूध अथवा कोलोस्ट्रम (First milk or colostrum) वास्तव में प्रतिरक्षी (A, Gand M) का ही घोल होता है।
(b) कृत्रिम सक्रिय उपार्जित प्रतिरक्षा (Artificial Acquired Active Immunity )— इस प्रकार की प्रतिरक्षा, मानव शरीर में प्रतिरक्षी सीरम को कृत्रिम रूप से इन्जेक्शन द्वारा रुधिर परिवहन में प्रवेश कराने के कारण होती है; उदाहरण टिटेनस, रेबीज, खाद्य-विषाक्ता एवं सर्प विषक्तता, आदि में।
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