पाठ्यक्रम के प्रकार बी एड नोट्स (Types of Curriculum in Hindi B.ed Notes in Hindi) पाठ्यक्रम के आज अनेक प्रकार विद्यमान है जिनमें से कुछ प्रमुख रूपों
पाठ्यक्रम के प्रकार बी एड नोट्स (Types of Curriculum in Hindi B.ed Notes in Hindi)
पाठ्यक्रम शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है। किसी भी राष्ट्र की शिक्षा प्रणाली को समझने के लिए उसमें प्रचलित पाठ्यक्रम को समग्र रूप से एवं खंड में समझना पड़ता है अर्थात पाठ्यक्रम के विभिन्न तत्वों के अलग-अलग प्रभाव को एवं समग्र प्रभाव को समझना पड़ता है। इसके लिए पाठ्यक्रम के विभिन्न प्रकार का ज्ञान होना आवश्यक है। यह विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम विभिन्न प्रकार के पाठ्यचर्या प्रारूप पर निर्भर करते हैं। पाठ्यक्रम के आज अनेक प्रकार विद्यमान है जिनमें से कुछ प्रमुख रूपों का नीचे उल्लेख किया जा रहा है -
1. शिक्षक-केन्द्रित पाठ्यक्रम (Teacher Centered Curriculum) - जिस पाठ्यक्रम की योजना शिक्षक को केन्द्र बिन्दु मानकर बनाई जाती है और जिसमें अध्यापक की रुचि, आवश्यकता, योग्यता एवं अनुभव को ध्यान में रखा जाता है, उसे शिक्षक केन्द्रित पाठ्यक्रम कहते हैं। इस पाठ्यक्रम का प्रचलन प्राचीनकाल में भारत और अन्य देशों में था। इसकी उपयोगिता संदिग्ध है। अतः इसको त्याग देना ही उचित है।
2. विषय-केन्द्रित पाठ्यक्रम (Subject Centered Curriculum) - इसमें पाठ्य विषयों का अध्ययन-अध्यापन प्रमुख है। इसमें पाठ्यचर्या को विभिन्न विषयों में विभक्त कर दिया जाता है और प्रत्येक विषय के शिक्षण की व्यवस्था की जाती है। इस प्रकार की पाठ्यक्रम मनोवैज्ञानिक है अतः इसकी उपयोगिता कम है, यद्यपि अभी तक हमारे विद्यालयों में प्रायः इसी प्रकार का पाठ्यक्रम प्रचलित है।
3. बाल-केन्द्रित पाठ्यक्रम (Child Centered Curriculum) - इस प्रकार के पाठ्यक्रम में बालक की रुचि, योग्यता और अभिवृत्ति का ध्यान रखा जाता है। इसके निर्माण में बालक को केन्द्र में रखा जाता है। बालकेन्द्रित पाठ्यक्रम को शिक्षा में सर्वाधिक महत्त्व देने का श्रेय रूसों को दिया जाता है। यह पाठ्यक्रम मनोवैज्ञानिक है और अनेक आधुनिक शिक्षण-पद्धतियों में इसे महत्त्व दिया गया है।
4. क्रिया केन्द्रित पाठ्यक्रम (Activity Centered Curriculum) - इसमें विभिन्न क्रियाओं को महत्त्व दिया जाता है। इसके द्वारा विभिन्न सामाजिक क्रियाओं को सम्पन्न करके बालक शिक्षा प्राप्त करता है। ड्यूवी, ब्रूबेकर, किलपैट्रिक आदि प्रयोजनवादियों ने इस प्रकार की पाठ्यचर्या पर विशेष बल दिया है।
5. अनुभव-केन्द्रित पाठ्यक्रम (Experience Centered Curriculum) - इस प्रकार के पाठ्यक्रम में समूची मानव जाति के अनुभवों का समावेश करने की बात कही जाती है। मानव जाति ने वर्तमान तथा अतीत में अनेक अनुभव प्राप्त किये हैं। इनसे बालक को प्रेरणा मिलती है। अतः इन अनुभवको प्रमुखता देकर बालक को इन्हें सिखाया जाए, जिससे वे अपने जीवन को सफल बना सकें। इस प्रकार की पाठ्यक्रम का समर्थन टी०पी० नन ने सर्वाधिक किया है।
6. शिल्प-केन्द्रित पाठ्यक्रम ( Craft Centered Curriculum) - इसमें कताई-बुनाई, कृषि, बढ़ईगिरि, लुहारगिरि, धातुकर्म, सिलाई जैसे किसी शिल्प को केन्द्र मानकर उसी के इर्दगिर्द अन्य विषयों की योजना बनाई जाती है। इस प्रकार बालक जो शिक्षा प्राप्त करता है, वह अधिक रुचिकर एवं स्थायी होती है। इस पाठ्यक्रम का समर्थन महात्मा गाँधी, डा0 जाकिर हुसैन, विनोबा भावे, आर्यनायकम् ने सबसे अधिक किया। बेसिक शिक्षा में इसी पाठ्यक्रम को अपनाने की बात कही गई है।
7. कोर पाठ्यक्रम (Core Curriculum) - इस प्रकार के पाठ्यक्रम में कुछ विषय व क्रियाएं अनिवार्य होती हैं एवं कुछ ऐच्छिक । उदाहरणार्थ - भाषा, गणित जैसी कुछ क्रियाएं सबके लिए अनिवार्य होती हैं। इस पाठ्यक्रम का विकास अमेरिका में हुआ है।
8. एकीकृत पाठ्यक्रम (Integrated Curriculum) - इस प्रकार के पाठ्यक्रम में सभी विषयों एवं क्रियाओं को सम्बद्ध किया जाता है। विषयों में साहचर्य एवं सहसम्बन्ध द्वारा पाठ्यक्रम को एकीकृत किया जाता है।
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