शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन कीजिए: प्रत्येक वृषण पिण्डक के संयोजी ऊतक में 2 या 3 स्तरीय पतली एवं अति कुण्डलित शुक्रजनक नलिकाएँ होती हैं। इन्हीं
शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन कीजिए।
शुक्रजनक नलिका (Seminiferous tubules) : प्रत्येक वृषण पिण्डक के संयोजी ऊतक में 2 या 3 स्तरीय पतली एवं अति कुण्डलित शुक्रजनक नलिकाएँ होती हैं। इन्हीं नलिकाओं में नर जनन कोशिकाएँ अथवा शुक्राणुओं ( Sperms) का निर्माण शुक्रजनन (Spermatogenesis) द्वारा होता है। संयोजी ऊतक में शुक्रजनक नलिकाओं के अतिरिक्त रुधिर कोशिकाएँ, तंत्रिका तन्तु तथा अन्तःस्त्रावी (Endocrine) कोशिकाओं के अनेक छोटे-छोटे समूह स्थित होते हैं। इन अंतःस्त्रावी कोशिकाओं को अन्तराली कोशिकाएँ (Interestitial cells) या लीडिंग कोशिकाएँ (Leyding's cell) कहते हैं। ये नर हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone) का स्राव करती हैं नर हार्मोन नर की सहायक जनन ग्रन्थियों (Accessory reproductive_glands) तथा द्वितीयक लैंगिक लक्षणों (Secondary sexual characters) के विकास में सहायता प्रदान करते हैं। शुक्रजनक नलिका के चारों ओर संयोजी ऊतक का बना एक पतला झिल्ली युक्त आवरण होता है, जिसे आधार कला (Tunica propria) कहते हैं।
इस कला के अन्तः भाग की ओर जननिक उपकला (Germinal epithelium) का एककोशिकीय स्तर होता है, जिसमें दो प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं, जो निम्न हैं-
शुक्रजनक कोशिकाएँ या नर जनन कोशिकाएँ (Spermatogonia or Male Germ cells) - शुक्रजन कोशिकाओं में निरन्तर विभाजन से इन कोशिकाओं के कई स्तर बनते हैं तथा इनके परिपक्वन से शुक्राणु बनते हैं । शुक्राणु बनने की इस प्रक्रिया को शुक्रजनन (Spermatogenesis) कहते हैं। बाहर से अन्दर गुहा की ओर जाने पर इन स्तरों की कोशिकाओं को क्रमशः प्राथमिक शुक्रकोशिकाएँ ( Primary spermatocytes) द्वितीयक शुक्रकोशिकाएँ (Secondary spermatocytes) तथा पूर्व शुक्राणु कोशिकाएँ (Spermatids ) कहते हैं ।
अवलम्बन कोशिकाएँ (Supporting Cells)— ये कोशिकाएँ बड़ी एवं स्तम्भी होती हैं तथा संख्या में बहुत कम होती हैं। इन्हें उपचारक कोशिकाएँ (Nurse cells) या सर्टोली कोशिकाएँ (Sertoli cells) भी कहते हैं। इनकी स्वतंत्र सतह समतल न होकर कटी-फटी होती है। इन कटे-फटे भागों में पूर्व शुक्राणु कोशिकाएँ धँसकर शुक्राणुओं में रूपान्तरित होती है।
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