शिक्षा के अनौपचारिक साधन (Informal Means of Education in Hindi) शिक्षा के अनौपचारिक साधन शिक्षा को एक जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया के रूप में देखते
शिक्षा के अनौपचारिक साधन (Informal Means of Education in Hindi)
शिक्षा के अनौपचारिक साधन शिक्षा को एक जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया के रूप में देखते है। इनका मानना है कि लिखना, पढ़ना या अक्षर ज्ञान प्राप्त कर लेना ही शिक्षा नहीं है। शिक्षा इससे बहुत अधिक व्यापक तथा विस्तृत प्रत्यय है। शिक्षा वास्तव में वह है जो हम अपने जीवन के अच्छे-बुरे अनुभवों से सीखते हैं और यह अनुभव व्यक्ति जीवनपर्यन्त प्राप्त करता है। बैण्टाक (Bantak) के शब्दों में “शिक्षा सभी प्रकार के अनुभवों का योग है, जिसे मनुष्य अपने जीवनकाल में प्राप्त करता है और जिसके द्वारा वह जो कुछ है, उसका निर्माण होता है।” जे. एस. रॉस ने इस संबंध में लिखा है, “अनौपचारिक शिक्षा बालक द्वारा सभी प्रभाव ग्रहण करना और उसे अपनी प्रकृति उत्तेजित कर पूर्णतया विकसित करना सिखाती है।" वास्तव में देखा जाए तो अनौपचारिक शिक्षा जीवन से संबंधित वे अनुभव हैं, जिन्हें हम बिना किसी व्यवस्थित प्रयास, संस्था तथा साधन के स्वाभाविक स्थिति से प्राप्त करते हैं। इस प्रकार की शिक्षा प्रत्यक्ष रूप से जीवन से संबंधित होती है । यह शिक्षा स्वाभाविक रूप से होती है। इसकी न तो कोई निश्चित योजना होती है और न ही कोई निश्चित नियमावली। यह बालक के आचरण का रूपान्तरण करते हैं, परन्तु रूपान्तरण की प्रक्रिया अज्ञात, अप्रत्यक्ष व अनौपचारिक होती है।
अनौपचारिक शिक्षा की विशेषताएँ (Characteristics of Informal Education in Hindi)
- अनौपचारिक शिक्षा स्वाभाविक होती है। अर्थात् यह कृत्रिमता से परे होती है।
- अनौपचारिक शिक्षा जीवनपर्यन्त चलती है अथवा हम यह भी कह सकते है कि इस शिक्षा का प्रारम्भ तब से हो जाता है जबकि बालक इस संसार में जन्म लेता है एवं यह तब तक चलती है जब तक कि बालक मृत्यु शैया को प्राप्त न कर ले।
- अनौपचारिक शिक्षा शिक्षा को देने के प्रमुख साधन परिवार, पड़ोस, समाज, राज्य, धर्म आदि है।
- अनौपचारिक शिक्षा में बालक अपने अनुभवों के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करता है।
- अनौपचारिक शिक्षा में बालक स्वतंत्र वातावरण में शिक्षा ग्रहण करता है। उसके ऊपर कोई कठोर नियंत्रण नहीं होता है।
- यह बालक की रूचि व जिज्ञासा पर आधारित होती है।
शिक्षा के अनौपचारिक साधनों के संबंध में जॉन ड्यूवी का कथन सही है, “अन्य व्यक्तियों के साथ अनौपचारिक रूप से रहकर बालक शिक्षित होता है। यह प्रक्रिया बालक को शिक्षित करती है एवं उसके अनुभवों को व्यापक व प्रकाशित करती है और उसकी कल्पना को प्रेरित करती है, यह साधन हमारे विचारों व कथनों को स्पष्ट एवं सही करते है एवं उत्तरदायित्व की भावना उत्पन्न करते है।”
(The child is informally educated by living with others and the very process of living together educates. It enlarge and enlighters experience, it stimulates and enriches imagination, it creates responsibility, accuracy and civilness of statement and thought.)
अनौपचारिक शिक्षा के दोष - Disadvantages of Informal Education in Hindi
- अनौपचारिक शिक्षा के द्वारा प्रदान किया गया ज्ञान अस्पष्ट होता है।
- अनौपचारिक शिक्षा में शिक्षा का समय व स्थान अनिश्चित होने के कारण शिक्षा की स्थिति सदैव अस्थिर रहती है।
- ज्ञान ग्रहण करते समय बालक गलत धारणाओं का विकास कर लेता है।
- अनौपचारिक शिक्षा के द्वारा हम कौशलों व तकनीकियों का विकास नहीं कर सकते।
- अनौपचारिक शिक्षा की नियमावली व अनुशासन ढीला होता है।
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