वंशागति के गुणसूत्र सिद्धांत का वर्णन कीजिए (Chromosomal Theory of Inheritance in Hindi) शागति के गुणसूत्र सिद्धांत के अनुसार, गुणसूत्र अनुवांशिक सूचन
वंशागति के गुणसूत्र सिद्धांत का वर्णन कीजिए (Chromosomal Theory of Inheritance in Hindi)
वंशागति के गुणसूत्र का सिद्धांत - सन् 1990 में डीवीज, कॉरेंस तथा शेरमाक ने स्वतंत्र रूप से लक्षणों की वंशागति सम्बन्धी मेण्डल के सिद्धांतों का फिर से खोज किया, क्योंकि इस समय तक कोशिका विभाजन का ज्ञान हो चुका था। इस समय तक कोशिका विभाजन द्वारा द्विगुणित से अगुणित संरचना में परिवर्तित होने का गुण रखने वाले क्रोमोसोम की खोज हो चुकी थी। इसके साथ-साथ क्रोमोसोम के अन्य गुणों का भी पता लग चुका था और यह पाया गया कि गुणसूत्र के गुण मेण्डल के बताए गये कारक (जीन) के समान हैं। गुणसूत्र, जीन के समान युग्म में पाये जाते हैं एवं एक जीन के दो एलील समजात गुणसूत्रों के एक स्थान पर स्थित होते हैं। सटन एवं बावेरी ने यह भी बताया कि क्रोमोसोम युग्म का बनना या अलग होना गुणसूत्र पर लाये गये कारकों के विसंयोजन के कारण होता है। अतः इन्होंने इस घटना को मेण्डल के सिद्धांतों के साथ जोड़ा और वंशागति का क्रोमोसोमवाद प्रस्तु किया।
इस प्रकार वंशागति के गुणसूत्र सिद्धांत के अनुसार, गुणसूत्र अनुवांशिक सूचनाओं के वाहक होते हैं। गुणसूत्र में मेंडेलियन कारक या जीन होते हैं। ये गुणसूत्र एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में विसंयोजित और स्वतंत्र रूप से अपव्यूहित होकर जाते हैं। यह सिद्धांत बस यह बताता है कि गुणसूत्र, जो सभी विभाजित कोशिकाओं में देखे जाते हैं और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक गुजरते हैं, सभी आनुवंशिक विरासत का आधार हैं।
इस सिद्धांत के प्रतिपादन के बाद थॉमस हंट मॉरगन एवं उनके साथियों ने इसका प्रयोगात्मक सत्यापन किया एवं जनन उत्पादन विभेदन की नींव डाली।
लिंग सहलग्न जीनों के अध्ययन के लिए मॉरगन ने फल मक्खियों (ड्रोसोफिला) में द्विसंकर क्रॉस कराये, जो कि मेण्डल द्वारा मटर के पौधे पर किये गये द्विसंकर क्रॉस के समान था।
मॉरगन ने पीले शरीर एवं श्वेत आँखों वाली मक्खियों का संकरण भूरे शरीर एवं लाल आँखों वाली मक्खियों के साथ किया। F1 संतति का स्वयं संकरण कराया और पाया कि F2 संतति का जीनोटाइप 9:3:3:1 से पूर्ण रूप से भिन्न है एवं दो जीन जोड़ी एक-दूसरे से विसंयोजित नहीं होते हैं। इस घटना के बाद यह पता लगा कि दो जीन जोड़ियाँ (एलील) एक ही क्रोमोसोम पर स्थित होती हैं। इस घटना को सहलग्नता नाम दिया गया।
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