स्वास्थ्य सम्बन्धी भारतीय दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये: भारत में वैदिक काल से ही स्वास्थ्य पर बल दिया जाता रहा है। सुन्दर शरीर और सुन्दर मन क
स्वास्थ्य सम्बन्धी भारतीय दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
स्वास्थ्य संबंधी भारतीय दृष्टिकोण (Indian View of Health in Hindi)
भारत में वैदिक काल से ही स्वास्थ्य पर बल दिया जाता रहा है। सुन्दर शरीर और सुन्दर मन की धारणा वैदिक काल और कुछ इससे पूर्व काल से ही इस देश में आस्था का केन्द्र बनी हुई है। वीर पुरुष न केवल उत्तम मूल्यों का स्रोत समझा जाता था। वरन् उनका शरीर भी स्वस्थ और मांसल होना आवश्यक था। इस देश के दर्शन में व्यक्ति के उत्तम शारीरिक और मानसिक गुणों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। शरीर रोगमुक्त रहे इसके लिए आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली का प्रतिपादन किया गया है। आयुर्वेद विज्ञान पंचमहाभूत सिद्धान्त पर आधारित है ये पाँच तत्व हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि अथवा तेज, वायु और आकाश। इसकी मान्यता है कि ब्राह्माण्ड के सभी पदार्थ इन्हीं से बने हैं। पृथ्वी ठोस अवस्था, जल तरलावस्था, वायु गैसीयावस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। अग्नि रूपान्तरण शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। ईश्वर सम्पूर्ण पदार्थों तथा आकाश का स्रोत है।
मानव शरीर के तीन आधारभूत संघटक हैं- दोष, धातु और मल। पर सब पाँच तत्वों से निर्मित माने जाते हैं। यह परस्पर जटिल रूप से संयोजित रहते हैं इन तीन के साथ चौथा संघटक मन है। आयुर्वेद मन और आत्मा को भी मानव संरचना के भाग के रूप में शामिल करता है। आयुर्वेद सभी संघटकों के समुचित सन्तुलन के साथ 'दोष-धातु- मल की त्रयी में परस्पर सामंजस्य पर बल देता है यदि इस सामंजस्य में विसंगति होती है तो अस्वस्थता तथा रोग की संभावना हो जाती है।
आयुर्वेद यह मानता है कि आनुवंशिक रूप से प्रत्येक व्यक्ति भिन्न है हर एक की अपनी प्रकृति होती है वह अपने निजी ढंग से पर्यावरण के साथ प्रक्रिया करता है। प्रत्येक व्यक्ति यह जानता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर और मन को समझकर उनके अनुसार अपनी जीवन शैली को बनाना चाहिए स्वस्थ रहने की यही कुंजी है। इस प्रकार की विचारधारा को अब पाश्चात्य चिकित्सा प्रणाली भी मान्यता देने लगी है।
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