स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न करने में व्यक्तित्व विशेषताओं की भूमिका स्पष्ट कीजिये। स्वास्थ्य समस्याओं के उत्पन्न होने में व्यक्तित्व विशेषतायें महत्वपूर्
स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न करने में व्यक्तित्व विशेषताओं की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न करने में व्यक्तित्व विशेषताओं की भूमिका (Role of Personality Traits in Health Problems)
स्वास्थ्य समस्याओं के उत्पन्न होने में व्यक्तित्व विशेषतायें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विभिन्न प्रकार के व्यक्तित्व विभिन्न स्वास्थ्य व्यवहारों को अलग-अलग ढंग से प्रभावित करते हैं। ये व्यक्तित्व विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
1. प्रतिक्रियाशीलता (Reactivity)- इस सम्बन्ध में अनेक अध्ययन हुए हैं कि कुछ व्यक्ति तनाव के प्रति दूसरे व्यक्तियों की तुलना में अधिक दृढ़ता से प्रतिक्रिया दिखाते हैं। इस प्रकार के प्रत्युत्तर जिन्हें प्रतिक्रियाशीलता कहते हैं, हृदय संवहनी रोग (Cardio Vascular Disease - CVD) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । प्रतिक्रियाशीलता हृदय संवहनी रोग के विकास में सक्रिय भूमिका उस समय निभाती है जब व्यक्ति में प्रत्युत्तर अपेक्षाकृत स्थायी होता है तथा उन घटनाओं द्वारा प्रोत्साहित होता है जो व्यक्ति के जीवन में बार-बार घटित होती हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने प्रतिक्रियाशीलता का अध्ययन करके स्थायीपन को प्रोत्साहित करने वाली घटनाओं में प्रमुख रूप से कसरत, प्रतिद्वन्द्विता, धूम्रपान, वीडियो गेम्स तथा वाद-विवाद आदि की स्ट्रेसर्स (Stressors) के रूप में पहचान की है। इसके अतिरिक्त अन्य व्यक्तित्व विशेषताओं में शत्रुता का भाव आक्रमकता, चिन्ता तथा नियन्त्रण की कमी आदि को भी प्रतिक्रियाशीलता के लिए उत्तरदायी माना गया ।
2. खतरा उठाने वाले व्यवहार (Risky Behaviour) Herbert and Cohen (1994) ने अपने अध्ययनों में पाया कि तनाव जोखिम भरे व्यवहार के साथ अन्तः क्रिया करके व्यक्तियों के हृदय रोग से पीड़ित होने के खतरों को बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए जो व्यक्ति तनावग्रस्त होते हैं, वे अधिक धूम्रपान, मद्यपान या नशीली औषधियों के सेवन की ओर उन्मुख हो जाते हैं। इस प्रकार का प्रत्येक व्यवहार CVD को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
3. तनाव एवं नकारात्मक मनः स्थिति (Stress and Negative Mood) तनाव व्यक्तियों को नकारात्मक मनःस्थिति में ले आते हैं और नकारात्मक मनोस्थिति प्रतिरक्षा कार्य में प्रतिकूल प्रभाव डालती है। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन की साधारण नकारात्मक मनःस्थिति भी प्रतिरक्षा संस्थान पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
4. नकारात्मक प्रभाविकता (Negative Affectivity) व्यथा एवं असंतोष को अनेक दशाओं में अनुभव करने की एक सामान्य प्रवृत्ति पायी जाती है। जो व्यक्ति नकारात्मक प्रभाविकता में ऊँचे स्तर पर होते हैं वे अपने दूसरों के तथा स्थितियों के नकारात्मक पक्षों को ही देखते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि उनका जीवन के प्रति दृष्टिकोण निराशाजनक हो जाता है और बीमार न होने पर भी वे बीमार पड़ जाने की शिकायत करने लगते हैं। इनमें तनाव या रोग को बढ़ा-चढ़ाकर बताने की प्रवृत्ति होती है तथा स्वयं को कमजोर स्वास्थ्य का व्यक्ति मानने लगते हैं ।
5. अवसादग्रस्त व्यक्ति (Depressed People ) अनुसंधानों से पता चलता है कि तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं में कुछ न कुछ यह प्रवृत्ति होती है कि तनाव अवसाद के लक्षणों का एक तत्व बन जाये (R. C. Kessler, 1997 ) । किन्तु तनाव का सामना करने की योग्यता एवं संसाधन अवसाद को अधिक निकट से प्रभावित करते हैं। जो लोग तनाव का सामना प्रभावशाली ढंग से कर सकते हैं वे प्रायः अवसाद के शिकार नहीं होते हैं ।
6. रोग को प्रभावित करने वाले व्यक्तित्व घटक (Personality Factors Affecting Disease ) - प्रायः यह देखा गया है कि तनाव कुछ लोगों को प्रभावित करके उन्हें रोगग्रस्त कर देता है जबकि कुछ लोगों पर कोई प्रभाव नहीं डालता है। तनाव एवं रोग के मध्य बहुत स्थायी सम्बन्ध नहीं हैं। कुछ व्यक्ति जो अधिक तनाव का अनुभव करते हैं वे कम तनाव का अनुभव करने वालों या तनाव का बिल्कुल अनुभव न करने वालों की अपेक्षा अधिक अस्वस्थ हो जाते हैं। इस सम्बन्ध में दो व्यक्तित्व प्रतिरूप (Personality Models) रोगोन्मुखता तनाव प्रतिरूप (Diathesis - Stress Model) तथा दृढ़ता अवधारणा यह व्याख्या करने में सहायक हो सकते हैं कि कुछ लोग तनाव के प्रभाव से क्यों रोगग्रस्त होते हैं जबकि अन्य लोग रोग से स्वतन्त्र रहते हैं। ये दोनों प्रतिरूप जैविक मनोसामाजिक प्रतिरूप (Bio- psychosocial Model) का अनुसरण करते हैं और यह मानते हैं कि मनोवैज्ञानिक, जैविक तथा सामाजिक तत्व अन्तः क्रिया करके रोग को उत्पन्न करते हैं। रोगोन्मुखता मॉडल इस बात को मानता है कि कुछ व्यक्ति अपनी आन्तरिक प्रवृत्ति के कारण अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा सरलता पूर्वक शिकार होते हैं। कोबासा (Kobasa, 1979) ने इसके विपरीत दृढ़ता की अवधारणा के द्वारा यह स्पष्ट किया है। कि कुछ दृढ़ व्यक्तित्व वाले व्यक्ति तनाव के विपरीत प्रभाव का सामना कर पाने में सफल होते हैं। कोबासा ने दृढ़ता के लिए तीन तत्वों की व्याख्या की है। ये तीन तत्व वचनबद्धता (Commitment), नियन्त्रण ( Control) एवं चुनौती (Challenge) हैं ।
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