संतुलित आहार क्या है ? संतुलित आहार के पोषक तत्व एवं उनके स्रोत की विवेचना कीजिए: संतुलित आहार वह भोजन है जिसमें सभी पौष्टिक तत्त्व उचित अनुपात में उप
संतुलित आहार क्या है ? संतुलित आहार के पोषक तत्व एवं उनके स्रोत की विवेचना कीजिए।
संतुलित आहार (Balanced Diet) - संतुलित आहार वह भोजन है जिसमें सभी पौष्टिक तत्त्व उचित अनुपात में उपस्थित हों, जितना कि एक व्यक्ति को प्रतिदिन आवश्यकता होती है । अतः संतुलित आहार वह आहार है। जो हमारे शरीर को आवश्यक व् उचित मात्र में ऊष्मा उत्पादक बलवर्धक, तोड़-फोड़ की मरम्मत
करने वाले, शरीर को संचालित और निरोग करने वाले पौष्टिक तत्वों को उचित भोज्य पदार्थों के द्वारा प्रतिदिन प्रदान करता हो अर्थात सभी भोज्य घटक संतुलित मात्र में तथा शरीर की आवश्यकतानुसार आहार में उपस्थित हों। आहार को संतुलित करने के लिए उत्तम साधनों के उचित भोज्य पदार्थों का आहार में उपस्थित होना आवश्यक है।
संतुलित आहार का उद्देश्य शरीर को शक्ति, गर्मी, शारीरिक वृद्धि, मानसिक वृद्धि, रोगों से शरीर की रक्षा, रोगरोधक क्षमता तथा शारीरिक संस्थानों पर नियंत्रण रखना है। संतुलित आहार अत्यन्त उत्तम आहार माना जाता है। अतः जन स्वास्थ्य की दृष्टि से इसके अन्तर्गत उचित मात्रा में प्रोटीन, कार्बोज, वसा, खनिज लवण तथा विटामिन्स का उपस्थित रहना अनिवार्य है।
संतुलित आहार हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है। किसी व्यक्ति का संतुलित आहार उसकी आयु, लिंग शरीर का आकार, मौसम, जलवायु, कार्य एवं परिश्रम पर निर्भर करता है।
संतुलित आहार के पोषक तत्व एवं उनके स्रोत
1. कार्बोहाईड्रेट - कार्बोहाईड्रेट में चीनी स्टार्च तथा भोजनीय रेशे शामिल होते हैं। संसार की सबसे अधिक जनसंख्या के लिए भोजन की ताकत के रूप में बहुत बड़े साधन है। कुछ जटिल कार्बोहाईड्रेट मनुष्यों के द्वारा नहीं पचाएँ जा सकते तथा इसीलिए भोजन ताकत के विशेष तत्व नहीं होते ।
कार्बोहाइड्रेट आहार का आवश्यक घटक तथा ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। यह कार्बन हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन से मिलकर निर्मित एक यौगिक है। कार्बोहाइड्रेट का उपयोग शरीर द्वारा ईधन के रूप में किया जाता है। यह शर्करा तथा स्टार्च के रूप में उपयोग होता है। आहार . में कार्बोहाइड्रेट की उपयुक्त मात्रा का होना अत्यन्त आवश्यक है। इसकी आहार में कमी होने से शरीर में कमजोरी आने लगती है, व्यक्ति का वजन कम होने लगता है तथा यदि आहार में इसकी मात्रा अधिक होती है, तो वसा में परिवर्तित हो जाता है परिणामस्वरूप व्यक्ति को कार्य की प्रकृति तथा आवश्यकता के अनुरूप उसके आहार में कार्बोहाइड्रेट की उचित मात्रा होनी चाहिए । स्रोत - गन्ना, चुकंदर, अंगूर, अनन्नास, शहद, दूध आदि शर्करा के रूप में तथा आलू शकरकन्द, केला, मक्का, चावल, गेहूँ आदि स्टार्च के रूप में प्रमुख है।
2. प्रोटीन - प्रोटीन सारी जीवित कोशिकाओं का बुनियादी ढांचा है । ये बहुत जटिल सजीवी यौगिक होते हैं। प्रोटीन की बुनियादी रचना अमीनो एसिड से होती है। नाइट्रोजन की उपस्थिति प्रोटीनों को कार्बोहाइड्रेटस व वसा से अलग पदार्थ बनाती है। प्रोटीन दो प्रकार के होते हैं.
(क) गैर जरूरी प्रोटीन - मानव शरीर को अपने प्रोटीनों के सम्मिश्रण के लिए अनुमानतः 20 अमीनों एसिडस की आवश्यकता होती है। शरीर केवल 13 किस्म के अमीनों एसिड तैयार कर सकता है जोकि गैर जरूरी प्रोटीन अथवा अमीनो एसिड्स के नाम से जाने जाते हैं। दरअसल ये गैर जरूरी प्रोटीन भी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक होते हैं, पर हम इन्हें अपनी तरफ से खाये जाने वाले भोजन द्वारा प्राप्त नहीं करते ।
(ख) आवश्यक प्रोटीन - ऐसे प्रोटीनों या अमीनो एसिडस की संख्या 9 है। यह सिर्फ हमें लिये गये आहार द्वारा ही प्राप्त होते हैं और शरीर के अन्दर नहीं बनते। इसलिए इन्हें आवश्यक या जरूरी प्रोटीन या अमीनो एसिडस कहा जाता है।
स्रोत- सभी किस्म के मांस एवं पशुओं से मिलने वाले पदार्थ प्रोटीनों का स्रोत होते हैं ।
पूर्ण प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत- अंडे, दूध, मांस एवं दूध ।
पूर्ण प्रोटीन के स्रोत- अनाज, दाल, फल, हरी सब्जियाँ आदि ।
3. वसा - कार्बोहाइड्रेट की तरह वसा में भी कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन होती है। यह खुराक में ऊर्जा का सबसे गाढ़ा स्रोत होते हैं। वसा का एक ग्राम, कार्बोहाइड्रेट के एक ग्राम से दो गुना ऊर्जा प्रदान करती हैं। क्योंकि हमारा शरीर वसा को भंडारित कर सकता है और ऐसी वसा ऊर्जा बैंक का काम करती है, इसलिए वसा को भंडारित ऊर्जा भी कहा जाता है। वसा ऊर्जा तब प्रदान करती हैं। क्योंकि हमारा शरीर वसा को भंडारित कर सकता है और ऐसी वसा ऊर्जा बैंक का काम कर करती है, इसलिए वसा को भंडारित ऊर्जा भी कहा जाता है। वसा ऊर्जा तब प्रदान करती है जब उसकी आवश्यकता हो । यदि हम अपनी शारीरिक आवश्यकताओं से अधिक कार्बोहाइड्रेट खाते है, शरीर इनकी अधिक मात्रा को वसा मे बदलकर स्टोर कर लेते हैं। हमारा शरीर ऐसी वसा को आमतौर पर चमड़ी के अन्दर या गुर्दे व जिगर के पित्ते में भंडारित कर लेता है।
स्रोत- घी, मक्खन, मछली का तेल आदि पशुओं द्वारा तथा ड्राईफ्रूट्स, सोयाबीन, सूरजमुखी, मूँगफली, नारियल का तेल आदि ।
4. विटामिन - विटामिन, कार्बन के वह यौगिक है जोकि शरीर का काम सामान्य रूप में चलाये रखने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। इनकी आवश्यकता बहुत थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पड़ती है। वैसे यदि हमारी खुराक में किसी विटामिन की कमी रहती है तो हमें कुछ ऐसी बीमारियाँ लग जाती है जिन्हें अभावों से उपजी बीमारियाँ कहा जाता है।
विटामिन सामान्य तौर पर आहार या भोजन से प्राप्त किये जाते है। विटामिन 'D' व विटामिन ‘K’ वे विटामिन है जोकि शरीर खुद पैदा कर सकता है। शरीर को 13 विटामिनों की आवश्यकता होती है। इनमें महत्वपूर्ण विटामिन है - A, C, D, E, K, B कम्प्लैक्स (B-1, B2), B - 12 व B3।
5. खनिज तत्व- खनिज वह तत्व है जिनकी हमारे शरीर को थोड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। वैसे यह शरीर के सही विकास व कार्यक्षमता के लिए बहुत आवश्यक है। हमारे अन्दर इनकी कमी 'अभावोन्मुखी बीमारियाँ लग जाने का कारण बनती हैं। खनिज हमारे शरीर को अलग-अलग खुराक की वस्तुओं के माध्यम से लवण के रूप में सप्लाई होते हैं।
महत्वपूर्ण खनिज - लोह, कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम, पोटैशियम, आयोडीन, फ्लोराइड, तांबा आदि है ।
6. पानी - हमारे शारीरिक वजन का 70 फीसदी हिस्सा पानी से बना है। इसमें भी अधिकतर पानी कोशिकाओं के अन्दर होता है। कुछ पानी कोशिकाओं के बीच व कुछ खून में होता है। जिंदगी की प्रक्रिया पानी के बिना चल ही नहीं सकती ।
COMMENTS