पेशी तंत्र किसे कहते हैं? ऐच्छिक, अनैच्छिक तथा हृद पेशियों का वर्णन कीजिए: सम्पूर्ण शरीर में फैली हुई ये पेशियाँ एक पेशी तंत्र का निर्माण कार्य करती ह
पेशी तंत्र किसे कहते हैं? ऐच्छिक, अनैच्छिक तथा हृद पेशियों का वर्णन कीजिए।
- पेशी तंत्र क्या है ?
- माँसपेशियों के प्रकार बताइए।
- कार्डिअक माँसपेशी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- ऐच्छिक मांसपेशियों के बारे में लिखिए।
- कंकाल माँसपेशी पर टिप्पणी लिखिए।
पेशी तंत्र (Muscular System in Hindi)
कंकाल तंत्र शरीर को आकार देता है तो मांसपेशियां उस आकार को पूर्ण स्वरूप प्रदान करती हैं एवं उसको सुडौल तथा सुन्दर बनाती हैं। मांसपेशियां कंकाल तंत्र पर फैली रहती हैं तथा बाहर की ओर त्वचा से ढकी रहती हैं। पेशियाँ ही कंकाल के साथ मिलकर सभी प्रकार की गतियों के लिए उत्तरदायी होती हैं। इसी प्रकार विभिन्न आन्तरागों को बनाने, उनके अन्दर फैलने सिकुड़ने आदि की शक्ति उत्पन्न करने के लिए भी माँसपेशियों की उपयोगिता बहुत ही महत्वपूर्ण है। वास्तव में, शरीर के लगभग सभी कार्यों में माँसपेशियों की संकुचन शक्ति सहायक होती है, क्योंकि मांसपेशियां लचीली होती हैं तथा इनमें संकुचन की विशिष्ट शक्ति होती है। शरीर में लगभग सभी स्थानों पर इनकी उपस्थिति के कारण इनका भार सम्पूर्ण शरीर के भार का आधे से कुछ अधिक ही होता है। इस प्रकार, सम्पूर्ण शरीर में फैली हुई ये पेशियाँ एक पेशी तंत्र का निर्माण कार्य करती हैं तथा शरीर में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। पेशियाँ रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं। ये शरीर को वातावरण के अनुसार ढालने में मुख्य रूप से भाग लेती हैं। पेशियाँ हजारों तन्तुओं (fibres) की बनी होती हैं । वस्तुतः पेशियाँ प्रेरक उपकरण का सक्रिय भाग हैं। इनके संकुचन के फलस्वरूप ही विभिन्न गतिविधियाँ होती हैं। मानव शरीर में कुल मिलाकर लगभग 600 पेशियाँ पाई जाती हैं।
माँसपेशियों के प्रकार (Types of Muscles)
रचना एवं कार्य की दृष्टि से पेशियाँ तीन प्रकार की होती हैं -(1) ऐच्छिक या कंकाल या रेखित मांसपेशियां, (2) अनैच्छिक या अरेखित या चिकनी मांसपेशियां, (3) हृदय या कार्डिअक मांसपेशियां।
1. ऐच्छिक या कंकाल या रेखित मांसपेशियां (Voluntary or Skeletal or Striated Muscles)
जो मांसपेशियां हमारी इच्छा के अधीन रहकर कार्य करती हैं उन्हें ऐच्छिक मांसपेशियां कहते हैं। ये मांसपेशियां हाथ-पैर, आँख, गर्दन आदि अंगों में पाई जाती हैं। अस्थियों से जुड़े होने के कारण इन्हें कंकाल पेशियाँ भी कहते हैं। ये पेशियाँ एक सेकेण्ड में दस या बारह बार संकुचन कर सकती हैं। इनकी गति मस्तिष्क द्वारा नियन्त्रित होती है। ये मांसपेशियां बहुत शीघ्रता से अपना कार्य करती हैं। ये शक्तिशाली होती हैं, किन्तु कार्य करते रहने से इनमें थकावट भी उत्पन्न हो जाती है। इनकी कोशिकाएँ सूत्रों के रूप में होती हैं और इनमें धारियाँ पड़ी रहती हैं । अतः इनको धारीदार पेशियों की संज्ञा भी दी जाती है। इसके पेशीखण्ड आपस में लिपटे न रहकर एक-दूसरे के समानान्तर एक- रेखीय क्रम में नियन्त्रित रहते हैं । इनकी रचना में गहरी पट्टी (dark band) तथा हल्की पट्टी ( light band) एकान्तर क्रम में नियन्त्रित रहती है। स्थिति के अनुसार बाँह में द्विशिरस्का ( bicep) तथा त्रिशिरस्का (tricep), टाँग में गैस्ट्रोनीमियम, छाती पर पैक्येरलिस तथा पेट पर ओवलीक नाम से यह पुकारी जाती है।
2. अनैच्छिक या अरेखित या चिकनी मांसपेशियां (Involuntary or Unstripped Muscles)
ये शरीर के उन अंगों में पायी जाती हैं जो इच्छा के अधीन रहकर कार्य नहीं करते हैं। आहार नाल में भोजन का खिसकना, रुधिर नलिकाओं से रुधिर का प्रवाहित होना, मूत्राशय से मूत्र का बाहर निकलना, आँखों की पुतलियों का प्रकाश तीव्रता के अनुसार संकुचन एवं विमोचन इत्यादि कार्य इन्हीं पेशियों की सहायता से स्वयं चलते रहते हैं। इनकी कार्यगति निरन्तर किन्तु धीरे-धीरे होती रहती है। इन पेशियों की कोशिकाएँ लम्बी-लम्बी पेशियाँ होती हैं। इनमें ऐच्छिक पेशियों की भाँति धारियाँ भी नहीं होती हैं। इसी कारण इन्हें अरेखित या धारीविहीन पेशियाँ भी कहते हैं । निरन्तर धीरे-धीरे कार्यरत रहने में इनमें थकावट भी नहीं होती है। इनके रुकने से जीवन का अन्त हो जाता है । इनकी गति पर मस्तिष्क का कोई नियन्त्रण नहीं होता है। ऐच्छिक पेशियों की भाँति इनमें धागों के समान बारीक ऊतक भी नहीं होते हैं। अनैच्छिक पेशियाँ कभी थकती नहीं, अतः इन्हें विश्राम की आवश्यकता नहीं होती है।
3. हृद या कार्डिअक मांसपेशियां (Cardiac Muscles)
हृद या कार्डिअक मांसपेशियां पेशियाँ भी रेखित पेशियों की तरह रेखीय होती हैं लेकिन उनके विपरीत हृदय पेशियों के तन्तुओं में कोमल आड़ी धारियाँ होती हैं तथा तन्तु शाखायुक्त होने से एक अन्तरसंयोजी जाल बनाते हैं। यह पेशियाँ रेखित किन्तु अनैच्छिक होती हैं।
जब साइनस नोड पर संकुचन शुरू होता है तो यह हृदय के सभी तन्तुओं पर फैल जाता है। जब पेशी तन्तु खिंचते हैं तो हृदय संकुचित होता है। हृदय पेशियों में संकुचन की गति को व्यवस्थित करने की योग्यता होती है तथा ये पेशियाँ अपने आप बिना रुके एक लय से बराबर आंकुचन करती रहती हैं। इसी लयबद्ध आकुंचन को हृदय की गति अथवा धड़कन कहा जाता है।
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