खेलकूद में बर्ताव, जुझारुपन तथा चिंता को उपयोग लिखिए। बर्ताव लोगों, उनके उद्देश्यों एवं विचारों का सकारात्मक या नकारात्मक मूल्यांकन है जो सतत् रूप से
खेलकूद में बर्ताव, जुझारुपन तथा चिंता को उपयोग लिखिए।
खेलकूद में बर्ताव का उपयोग (Utilisation of Attitude in Sports)
बर्ताव लोगों, उनके उद्देश्यों एवं विचारों का सकारात्मक या नकारात्मक मूल्यांकन है जो सतत् रूप से जारी रहता है। बर्ताव दीर्घकालिक होता है। यदि किसी का बर्ताव खेल का है तो इस पर रुचि रखता है। खेल का व्यक्ति का बर्ताव विशेष रूप से सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है। बर्ताव को समझना खेल मनोवैज्ञानिकों के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण होता है। खेलकूद में बर्ताव के महत्व एवं उपयोगिता को निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है -
1. माता-पिता एवं अध्यापक के रूप में यदि कोई व्यक्ति यह समझ सकता है कि बच्चे किस प्रकार बर्ताव प्राप्त करते हैं तो खेल के मैदान में उनके बच्चे भी प्रयास कर सकते हैं। बहुत से युवा खेल के प्रति बर्ताव उत्पन्न कर सकते हैं।
2. बर्ताव एवं व्यवहार के बीच सम्बन्ध को समझकर खेल में हिस्सेदारी एवं प्रेक्षण दोनों को बढ़ाया जा सकता है। इससे मनोवैज्ञानिक लाभ हेतु अधिक लोगों की मदद भी की जा सकती है।
3. बर्ताव का ज्ञान सम्बन्धी कार्य संसार को आसान एवं अधिक पूर्वानुमान योग्य स्थान बनाता है। इससे मानसिक ऊर्जा की बचत होती है जिसका अन्य क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है।
4. बर्ताव का स्व-प्रतिरक्षात्मक कार्य खेलों में कठिन परिस्थिति में आत्म सुरक्षा की भावना को बल देता है।
5. बर्ताव खेलों के प्रशिक्षण एवं भागीदारी को उपयुक्त बनाता है। खेलों के क्षेत्र में बर्ताव की उपयोगिता को देखते हुए लोग नियमित रूप से अपने बर्ताव को बदलते रहते हैं।
खेलकूद में जुझारुपन का उपयोग करना (Utilisation Aggression in Sports)
जुझारुपन कुछ ऐसा करने को समाहित करता है जो किसी व्यक्ति को खराब लगे। सामान्य रूप से यह कहा जा सकता है कि जुझारुपन न तो प्रतिस्पर्द्धात्मक है और न ही क्रोध। प्रतिस्पर्द्धात्मकता बर्ताव है तथा क्रोध दोनों जुझारुपन में योगदान दे सकते है। जुझारुपन स्वयं एक व्यवहार है। जुझारुपन में किसी प्रकार की क्षति पहुँचाने का आशय होता है।
जुझारुपन का यह अर्थ तब पर्याप्त हो सकता है जब अधिकांश परिस्थितियों में जुझारुपन को बताते समय खेल में बातें अधिक जटिल होती है। स्पष्ट है कि जब खिलाड़ी कराटे किक लगाता है तो इससे अन्य खिलाड़ी कठिनता का अनुभव करता है तो उसे चोट पहुँचने की सम्भावना होती है। अब यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या खेल के नियमों के अन्तर्गत ऐसा व्यवहार जिससे अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचे वास्तव में जुझारुपन है। खेलों में जुझारुपन के उपयोग को संक्षेप में निम्नलिखित बिन्दुओं से समझा जा कता है -
1. विश्राम / प्रगतिशील विश्राम तकनीकें
2. जैव- प्रतिपुष्टि
3. सकारात्मक सोच रखना तथा नकारात्मक सोच को मिटाना।
4. बुद्धिमत्तापूर्ण सौच, काल्पनिकता एवं मानसिक अभ्यास।
5. चुनिंदा बातों पर ध्यान।
6. अधिक स्मार्ट लक्ष्य निर्धारणं।
7. पुनर्क्रियान्वयन / व्यक्तिगत सफलता की पहचान / सकारात्मक क्रियान्वयन / विगत अनुभव।
8. मोटर कार्यक्रमों का अभ्यास।
9. शारीरिक रूप से अधिक उपयुक्तता।
खेलकूद में चिंता का उपयोग (Utilisation of Anxiety in Sports)
चिन्ता एक अप्रिय संवेदनशीलता है। चिन्ता एक नकारात्मक भावनात्मक स्थिति होती है जिसमें अधीरता होती है। यह अधिक उत्तेजना वाली अप्रिय स्थिति होती है। चिन्ता की स्थिति हृदय गति में वृद्धि, रक्तचाप में वृद्धि के साथ ही उत्तेजनायुक्त मनोवैज्ञानिक परिवर्तन होते हैं। इनका प्रभाव क्रोध की भाँति ही होता है। खेलकूद में चिन्ता के उपयोग को निम्नलिखित बिन्दुओं से जाना जा सकता है -
1. मानसिक पूर्वाभास / दिमाग में कार्य करना
2. सफलता की कामना / कार्य को ठीक से करना / चिन्तित न होने की कल्पना करना / शान्त स्थल
3. चिन्तन / मन्त्र।
4. सकारात्मक रूप से स्वयं से बातचीत / स्वयं को समझना कि आप सफल होंगे / स्वयं से तर्क करना।
5. किसी व्यक्ति के साथ सकारात्मक प्रवर्तन / अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को प्रभावित करना / व्यवहार सुधार।
6. नकारात्मक बातों को रोकना / संदेह को रोकना।
7. माँसपेशियों को विश्राम देना / सभी माँसपेशी समूहों को विश्राम देना / गहरी साँस लेना।
8. जैव प्रतिपुष्टि / यह अनुभव करना कि आपका शरीर कैसा अनुभव करेगा।
9. वास्तविक कार्य को दोहराना।
10. विश्वास उत्पन्न करना।
11. चिन्ता उत्पन्न करने वाली स्थितियों से बचाव करना।
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