आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले तत्व / कारक (Factors Affecting Meal Planning in Hindi): परिवार की आर्थिक स्थिति, समय व खाद्य साधनों की उपलब्धता, पोषक
आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले तत्व / कारक (Factors Affecting Meal Planning in Hindi)
अच्छे आहार का आयोजन एक बहुत बड़ी कला है। इसे कई कारक प्रभावित करते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- परिवार की आर्थिक स्थिति,
- समय व खाद्य साधनों की उपलब्धता,
- पोषक तत्वों की आवश्यकता,
- भौगोलिक स्थिति,
- सामाजिक कारक,
- सांस्कृतिक एवं धार्मिक तत्व।
1. परिवार की आर्थिक स्थिति या आर्थिक कारक: आहार का आयोजन पूर्णतः आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है । जिस तरह की आर्थिक स्थिति हो उसी के अनुरूप ही खाद्य पदार्थों का चयन किया जाता है यही कारण है कि निम्न आय वर्ग के आहार में अनाजों की अधिकता रहती है, जबकि उच्च आय वर्ग के आहारों में अनाज कम तथा दूध, दही, मेवे, मिष्ठानों आदि की प्रधानता रहती है।
नीचे तालिका में तीनों वर्ग के परिवारों के लिए एक दिन भर के लिए आहार योजना नमूने के तौर पर दी जा रही है -
उच्चवर्गीय परिवार | |
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सुबह का नाश्ता | चाय, नींबू पानी, दूध, अण्डा, डबलरोटी, मक्खन, जैम, सेब, पनीर। |
दोपहर का खाना | मटर पुलाव, चपाती, दही-बड़ा, चिकन करी, गोभी की सब्जी, सलाद, आइसक्रीम। |
शाम की चाय | चाय, कॉफी, दूध, फल का रस, बर्फी, पेटीज, या सैण्डविच। |
रात का खाना | सूप, सलाद, मटर पनीर की सब्जी, मशरूम की सब्जी, नॉन, पुडिंग फल। |
मध्यमवर्गीय परिवार | |
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सुबह का नाश्ता | चाय, पराठा, आलू सब्जी, दूध की चाय, केला। |
दोपहर का खाना | चावल, दाल, आलू गोभी की सब्जी, चपाती, सलाद, चटनी। |
शाम की चाय | पकौड़े, शक्कर पारे, चाय या दूध। |
रात का खाना | खिचड़ी, दही, पापड़, अचार, चपाती, मटर की सब्जी, फ्रूट सलाद। |
निम्नवर्गीय परिवार | |
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नाश्ता | चाय, डबल रोटी, नमकीन रोटी |
दोपहर का खाना | चावल, बैंगन की सब्जी, अमरूद |
शाम की चाय | चाय, मुरमुरा या लाई का लड्डू |
रात का खाना | रोटी, चौलाई की सब्जी, कढ़ी, गुड़ |
2. समय व खाद्य साधनों की उपलब्धता (Availability and Material Resources) - आहार आयोजन को यह तत्व बहुत अधिक प्रभावित करता है कि भोजन तैयार करने के लिए महिला के पास कितना समय उपलब्ध है। पुराने समय में गृहणियों के पास आहार आयोजन के लिए पर्याप्त समय हुआ करता था। परन्तु आज महिलाओं के पास बहुत कम समय उपलब्ध है। अतः उन सब व्यंजनों का आयोजन करना बेकार है जिन्हें बनाने में काफी सयम लगता है तथा जिसके बनाने की प्रक्रिया लम्बी है । जैसे रसोई के लिए आजकल आधुनिक तकनीक से निर्मित उपकरण उपलब्ध है जिनकी वजह से आहार आयोजन में लगने वाला समय घटा है। कुछ बिन्दुओं को ध्यान में रखकर आहार आयोजन करने पर समय व शक्ति की बचत और अधिक की जा सकती है।
- लम्बी प्रक्रियाओं से गुजारकर तैयार होने वाले खाद्य पदार्थों को भोजन में स्थान न दें।
- ऐसे आहार या खाद्य पदार्थ जो एक साथ ज्यादा मात्रा में तैयार हो जायें उन्हें आहार आयोजन में स्थान दें।
- बेक किये हुए व्यंजन भी आहार आयोजन में अवश्य सम्मिलित किये जायें
- एक साथ दो, तीन पदार्थ मिलाकर यदि व्यंजन तैयार किए जाते हैं तो भी बहुत सुविधा रहती है।
3. पोषक तत्वों की आवश्यकता (Requirements of Nutrients) - आहार आयोजन करते समय केवल स्वाद की ओर ध्यान न देकर भोजन की पौष्टिकता व पर्याप्तता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। सभी भोज्य समूहों से खाद्य पदार्थों का चुनाव किया जाए ताकि आहार संतुलित बन सके। प्रमुख चार, भोज्य समूहों में से खाद्य पदार्थ चुने जाये। ये चार समूह निम्न है -
- दाल, दूध, अण्डा, माँस, मछली समूह।
- पत्तेदार सब्जियाँ, पीले नारंगी फल।
- अनाज व उनसे बने पदार्थ।
- शक्कर व वसा।
आहार आयोजन करते समय यह भी ध्यान में रखा जाये कि किस उम्र, लिंग व क्रियाशीलता वाले सदस्य घर में हैं घर में वयस्कों व बुजुर्गों की संख्या अधिक होने पर फलों सब्जियों व दूध आदि का चुनाव अधिक किया जाये।
4. भौगोलिक स्थिति (Geographical Location) - किसी देश व स्थान की भौगोलिक स्थिति का भोजन से सम्बन्धित आदतों पर प्रभाव पड़ता है समुद्र तटवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के आहार में मछली की प्रमुखता रहती है, वहीं समुद्र से दूर स्थित क्षेत्रों में मछली यदा कदा ही प्रयोग में लायी जाती है किसी क्षेत्र विशेष में उगायी जाने वाली फसलों का भी उस स्थान के लोगों की भोजन सम्बन्धित आदतों पर प्रभाव पड़ता है। वे उन्हें आहार में प्रमुख खाद्य पदार्थ के रूप में सम्मिलित करते हैं बाहरी स्थानों से लाये जाने वाले खाद्य पदार्थ जो कि तुलनात्मक रूप से महँगें होते हैं, कम प्रयोग में लाये जाते हैं।
5. सामाजिक कारक (Social Factors) - भोज्य पदार्थों को कुछ सामाजिक मूल्य भी प्रदान कर दिया गया है। महँगे तथा मुश्किल से उपलब्ध खाद्य पदार्थों को प्रतिष्ठित खाद्य पदार्थों में गिना जाता है। अन्य खाद्य पदार्थों से अलग हटकर जिन खाद्य पदार्थों का फ्लेवर होता है। वे खाद्य पदार्थ जिन्हें बनाने में लम्बी प्रक्रिया व समय लगता है। प्रतिष्ठित खाद्य पदार्थ माने जाते हैं। उच्चवर्गीय व्यक्ति इन प्रतिष्ठित खाद्य पदार्थों को ही अपने दैनिक आहार में शामिल कर लेते हैं, चाहे इन खाद्य पदार्थों का पोषण मूल्य उच्च न हो। सस्ते या आसानी से उपलब्ध या जल्दी उपलब्ध हो जाने वाले खाद्य पदार्थों को निम्न स्तर का दर्जा दिया जाता है। उच्चवर्गीय परिवार तो इन्हें निम्न स्तरीय मानते हुए आहार में स्थान ही नहीं देना चाहता भले ही इसका पोषण बहुत उच्च क्यों न हो।
6. सांस्कृतिक एवं धार्मिक तत्व (Cultural and Religious Factors) - सांस्कृतिक परिवेश तथा रीति-रिवाज किसी भी भोज्य पदार्थ के प्रचलन या उपयोग में लाने का कारण बन जाते हैं। मान्हेगो तथा ली के अनुसार किसी भी परिस्थिति विशेष में व्यक्ति के द्वारा ग्रहण किया जाने वाला भोजन वास्तव में उसके परिवार के संस्कार से ही निश्चित होता है। संस्कार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होते हैं तथा इनके द्वारा ही व्यक्ति के सम्पूर्ण रहन-सहन का तरीका भी प्रभावित होता है। संस्कारों का प्रभाव व्यक्ति के भोजन पर भी पड़ता है। भोजन से सम्बन्धित आदतें इतने पुराने समय से चली आ रही हैं। इन आदतों में आसानी से परिवर्तन नहीं लाया जा सकता तथा व्यक्ति की भोजन से सम्बन्धित आदतें देख कर उनकी सामाजिक संरचना, आर्थिक, स्थिति, धार्मिक परिवेश तथा विभिन्न पदार्थों के विविध उपयोगों के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है।
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