आत्मानुशासन का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व का वर्णन कीजिये।

आत्मानुशासन का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व का वर्णन कीजिये: अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है “आत्म-नियन्त्रण या आत्म-संयम।” इसमें व्यक्ति अपने आवेगों व संवगों प

आत्मानुशासन का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व का वर्णन कीजिये।

शिक्षा आत्मानुशासन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। छात्रों में आत्मानुशासन की जिम्मेदारी अध्यापक पर निर्भर करती है। अध्यापक का व्यवहार ऐसा हो कि छात्र उसे अपना शुभचिन्तक समझे। किसी छात्र के साथ अध्यापक अव्यवहार न करे। चूँकि इससे उसके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचती है। यदि छात्र को सम्मान प्राप्त होता है तब वह स्वयं ही अनुशासित हो जाएगा। क्योंकि जब तक हम स्वयं अनुशासित नहीं होगे, तब तक हमको कोई भी नियम या कानून अनुशासित नहीं कर सकता । डराकर या भय दिखाकर एक लम्बे समय तक अनुशासित नहीं किया जा सकता है। यदि अनुशासनहीन कोई छात्र अच्छा कार्य करे तो प्रसंशा करनी चाहिए।

आत्मानुशासन का अर्थ (Meaning of discipline in Hindi)

अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है “आत्म-नियन्त्रण या आत्म-संयम।” इसमें व्यक्ति अपने आवेगों व संवगों पर नियन्त्रण रखने की चेष्टा करता है। अनुशासन के लिए अंग्रेजी में डिसिप्लिन (Disciplin) शब्द का प्रयोग होता है जिसका हिन्दी में तात्पर्य है 'मानसिक अथवा नैतिक प्रशिक्षण नियन्त्रण में लाना' । विद्यालय में 'अनुशासन से तात्पर्य है कार्य करने का व्यवस्थित ढंग, नियमितता एवं आदेशों का पालन। परन्तु कुछ विचारकों का मानना है कि अनुशासन को हमें सामाजिक व्यवस्था से अलग मानना चाहिए, चूँकि व्यवस्था का सम्बन्ध सिर्फ वर्तमान से होता है, जबकि अनुशासन का सम्बन्ध वर्तमान व भविष्य दोनों से होता है।

आत्मानुशासन के अर्थ की व्याख्या भी हम दो प्रकार से कर सकते हैं-

  1. आत्मानुशासन का संकुचित अर्थ,
  2. आत्मानुशासन का व्यापक अर्थ

आत्मानुशासन का संकुचित अर्थ

अनुशासन के संकीर्ण अर्थ के अन्तर्गत हम अनुशासन हेतु अपनाई अधिकारपूर्ण प्रणाली को करते हैं। इस विचाराधारा के मानने वाले यह कहते थे कि डण्डे की सहायता से अनुशासन अच्छी प्रकार से स्थापित किया जा सकता है। इनकी मान्यता थी कि "Spare the rod and spoil the child”. अनुशासन में हम समर्पण भाव, नियमों का पालन, इच्छाओं का दमन आदि निहित करते थे और यदि कोई भी बालक नियमों का उल्लंघन करता था तो उसे शारीरिक दण्ड दिया जाता था । शक्ति व दबाव द्वारा अनुशासन बनाये रखना सर्वोत्तम समझा जाता था। इसमें अनुशासन को नकारात्मक रूप में अधिक देखा जाता था। बालक को जरा-सी भी स्वन्त्रता नहीं दी जाती थी, वरन् उसे भय व यातना द्वारा अनुशासित किया जाता था।

आत्मानुशासन का व्यापक अर्थ

अनुशासन का व्यापक अर्थ अनुशासन को एक सकारात्मक प्रक्रिया के रूप में देखता है। इनके अनुसार बालक पर प्रेम व सहानुभूति के द्वारा नियन्त्रण होना चाहिए। उसे भयभीत या शरीरिक रूप से दंडित नहीं करना चाहिए, न ही उसे यातनाएँ देनी चाहिए। सच्चा अनुशासन तभी प्राप्त किया जा सकता है, जबकि विद्यार्थी की हार्दिक स्वीकृति प्राप्त की जा सके तथा वह स्वयं जो कुछ उचित है, वह किया जाता है, उसका औचित्य समझ सके। वास्तव में अनुशासन कोई ऊपर से लादी हुई भावना नहीं है, वरन् यह व्यक्ति के स्वयं से जाग्रत हुई भावना है अर्थात् व्यक्ति पर जबरदस्ती नियन्त्रण नहीं करना है । उसे स्वयं ही अपने ऊपर आत्मनियन्त्रण करना है। इस प्रकार के अनुशासन में बाह्य तत्वों भय व दण्ड का कोई स्थान नहीं होता है।

आत्मानुशासन की परिभाषाएँ ( Definitions of Discipline in Hindi)

1. टी0पी0 नन के अनुसार - "अनुशासन के अन्तर्गत व्यक्ति की प्रवृत्तियों, भावनाओं एवं शक्तियों का नियमों के अनुसार ढालना सम्मिलित है, जिसमें अव्यवस्था के स्थान पर व्यवस्था, अपव्यय के स्थान पर मितव्ययता तथा प्रभावहीनता के स्थान पर कुशलता लायी जा सके।

2. बी0के0 जोशी के अनुसार - "अनुशासन एक शिष्ट आचारण है जो सामंजस्य, आनन्द, उत्तरदायित्व का उच्च प्रकार का बोध, बड़ों के प्रति आदर भाव, व्यवस्था के प्रति प्रेम, नियमितता के साथ कर्तव्यपालन, दूसरों की सहायता करने की इच्छा तथा विषम परिस्थितियों में मानसिक सन्तुलन में सहायक हो सकेंगे।"

आत्मानुशासन का महत्व - Importance of Self Discipline in Hindi

विभिन्न तथ्यों का अवलोकन करने पर हम इसके महत्व को समझ गए कि आत्मअनुशासन हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है। हमें अपने अन्दर स्वयं ही आत्मानुशासन का भाव जाग्रत कर अपना जीवन अनुशासित रूप में बिताना चाहिए। आत्म अनुशासित व्यक्ति को किसी भी प्रकार हानि नहीं पहुचती है। अन्य व्यक्ति भी उससे प्ररेणा लेकर अनुशासित जीवन व्यतीत करते हैं। अतः स्वतन्त्रता के साथ अनुशासित जीवन बहुत ही महत्वपूर्ण है।

अनुशासन के प्रमुख सिद्धांत (Main Theories of Discipline)

विभिन्न विचारकों ने अनुशासन के प्रमुख तीन सिद्धांत बतायें है जो निम्न है-

  • दमनात्मक सिद्धांत (Repressionistic)
  • प्रभावात्मक सिद्धांत (Impressionistic) 3. मुक्त सिद्धांत (Emancipationsistic)

1. दमनात्मक अनुशासन सिद्धांत (Repressionistic Discipline Theory)

इस सिद्धान के अनुसार अनुशासन भय व कठोर नियमों के द्वारा लाया जा सकता है। बालक को जरा भी स्वतन्त्रता नहीं दी जानी चाहिए। हर पल उसकी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखना चाहिए और नियमों का पालन करने की आदत उसके अन्दर उत्पन्न की जाती है। यह सिद्धांत प्राचीन विचारधारा पर आधारित है, जो यह मानती है कि यदि हम बालक को सही व्यवहार का प्रशिक्षण देना चाहते हैं तो हमें उसकी मूलप्रवृत्तियों पर नियन्त्रण रखना होगा व उसके चिन्तन एवं व्यवहार को वांछनीय दिशा की ओर मोड़ना होगा। इनका मत है, "Spare the rod and spoil the child” इसके पक्ष में निम्न तर्क दिये जाते हैं -

दमनात्मक अनुशासन पक्ष में तर्क

  1. बालक को शिक्षित करने का भय व दण्ड से अच्छा कोई भी तरीका नहीं है।
  2. दण्ड द्वारा हम बालक के गलत से गलत व्यवहार को नियन्त्रित कर सकते है।
  3. दण्ड का भय छात्रों को असामाजिक गतिविधियों से परे रखता है।
  4. बहुत से लोगों का विचार है ‘भय बिनु होय न प्रीति' अर्थात् यदि बालक में हम अनुश के प्रति लगाव उत्पन्न करना चाहते हैं तो हमें उसके अन्दर भय की भावना उत्पन्न करनी होगी।

दमनात्मक अनुशासन-विपक्ष में तर्क

  1. दमनात्मक भावना छात्रों में घृणा व विद्रोह को जन्म देती है, जिससे बालक अनुशासनहीन हो जाता है।
  2. बालक को लगातार दण्ड देने का परिणाम यह भी हो सकता है कि उसके अन्दर पलायन की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाए और वह पढ़ाई छोड़ दे।
  3. दमनात्मक अनुशासन बालक के स्वाभाविक विकास में गतिरोध उत्पन्न कर देता है। 4. भावनाओं का दमन करना बालकों के अन्दर मानसिक ग्रन्थियों को उत्पन्न कर देता है।
  4. दमनात्मक अनुशासन विस्मृति को जन्म देता है ।
  5. डर के कारण बालक थोड़े समय नियन्यण में रह सकता है परन्तु सदैव नहीं।
  6. यह अनुशासन को बाह्य रूप में प्रस्तुत करता है, आन्तरिक रूप में नहीं।
  7. यह स्वतन्त्रता का विरोधी है।

2. प्रभावात्मक अनुशासन सिद्धांत (Impressionistic Discipline Theory)

यह आदर्शवादी विचारधार पर आधारित है। इनका मानना है कि अध्यापक द्वारा छात्रों को किसी भी प्रकार का दण्ड देना त्याज्य है। अध्यापक का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली होना चाहिए कि वह कक्षा में व्यवस्था बनाये रखे। उसकी योग्यता, चरित्र व व्यवहार बच्चों के समक्ष एक आदर्श के रूप में होना चाहिए जिससे बच्चे जब उसका अनुकरण करें तो वह स्वतः ही अनुशासन का अनुपालन करें। उसे अनुशासन का पालन करने को कहा जाए । इनका विचार है कि यदि अध्यापक का व्यक्तित्व प्रभावशाली है तो कक्षा में अनुशासनहीनता की समस्या के उत्पन्न होने का कोई प्रश्न नहीं है यदि कभी इस प्रकार की कोई समस्या आ भी तो अध्यापक को प्रेम व सहानुभूति से उसका समाधान करना चाहिए।

प्रभावात्मक अनुशासन-पक्ष में तर्क

  1. इसमें अध्यापक का छात्रों के प्रति प्रेम, सहानुभूति का दृष्टिकोण होता है व छात्र अध्यापक का आदर करते हैं। इससे शैक्षिक विकास की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप में चलती है।
  2. इसमें छात्र अध्यापक का अनुकरण करते हैं व वांछनीय व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं। 
  3. यह स्वतंत्रता एवं अधिनायक दमनात्मक अनुशासन का मध्यवर्गीय मार्ग है। अतः बालक का विकास सामान्य एवं स्वाभाविक रूप में होता है।
  4. इसमें छात्रों की प्रगति व उन्हें सिखाने के उद्देश्य से सम्मानपूर्वक सुझाव (Prestige Suggestions) दिये जाते हैं।
  5. यह बालक को आत्म-अनुशासन हेतु प्रेरित करता है।

प्रभावात्मक अनुशासन-विपक्ष में तर्क

  1. यह अनुशासन अध्यापक को बहुत अधिक महत्व देता है जिससे अध्यापक में यह घमण्ड पैदा हो जाता है कि वही बालक के चरित्र निर्माण का एकमात्र आधार है।
  2. इसमें बालक का विकास उसमें निहित क्षमताओं के आधार पर नहीं किया जाता जिससे उसमें वह गुण विकसित नहीं हो पाते जिन्हें विकसित होना चाहिए।
  3. इसमें बालक अध्यापक का पूर्णतया अनुकरण करके स्वयं को उसके अनुकूल बना लेता है अपनी मानसिक स्वतन्त्रता खो बैठता है।
  4. बालक अध्यापक का अंधानुकरण करता है व स्वतंत्र चिन्तन, समझ व आत्म प्रकाश की क्षमता को खो देता है।
  5. आज के युग में एक ऐसा आदर्श अध्यापक प्राप्त करना मुश्किल है जो बालक के समक्ष एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।

3. मुक्त अनुशासन सिद्धांत (Emancipationistic Discipline Theory)

यह सिद्धांत बालक को स्वतन्त्र या मुक्त रूप से छोड़ने पर बल देता है और यह मानता है कि बालक का अच्छा होना या बुरा होना उसकी जन्मजात विशेषताओं पर निर्भर करता है। इसी कारण हमें बालक को स्वतन्त्र छोड़ देना चाहिए। उसमें नैतिकता व मूल्यों का विकास या तो स्वतः ही हो जाएगा या दिव्य शक्तियाँ उसे इस प्रकार के विकास हेतु प्रेरित करेंगे। इनका विचार है कि बालक को अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों, रूचियों व योग्यताओं के अनुकूल विकसित होने के पूर्ण अवसर मिलें। इसके लिए यह आवश्यक है कि बालक को स्वतन्त्र छोड़ दिया जाये। 

मुक्त अनुशासन-पक्ष में तर्क

  1. इसमें बालक को स्वतन्त्र छोड़ दिया जाता है। अतः वह 'करके सीखना' व 'अनभव के आधार’ पर सीखता है और अपने अन्दर आत्म-अनुशासन, आत्म-विश्वास आदि गुणों को स्वाभाविक रूप में विकसित कर लेता है।
  2. 'स्वतन्त्रता मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है' अतः उसके ऊपर अनावश्यक नियन्त्रण रखना अवांछनीय है।
  3. बालक ईश्वर स्वरूप होता है। उसकी स्वतन्त्रता का हनन करना पाप है।
  4. इससे बालक में किसी प्रकार का संवेगात्मक तनाव उत्पन्न नहीं होता है। अतः वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है।

मुक्त अनुशासन-विपक्ष में तर्क

  1. बालक जन्म के समय पाशविक प्रवृत्तियों को लेकर उत्पन्न होता है और यदि हम उसे पूर्णत स्वतन्त्र छोड़ देंगे तो वह उनके प्रदर्शन द्वारा स्वयं को व समाज को हानि पहुँचा सकता है।
  2. बालक अच्छे व बुरे में भेद नहीं कर पाता है। इस कारण उसकी क्षमताओं के उचित विकास हेतु उसका किसी परिपक्व व्यक्ति द्वारा मार्ग-दर्शन किया जाना जरूरी है।
  3. आवश्यकता से अधिक स्वतन्त्रता बालक को अधिकारोन्मुख बना देती है। जिससे वह कर्तव्यों व दायित्वों का निर्वाह करने से बचने लगता है।
  4. स्वतन्त्रता बालक के अन्दर आत्म-केन्द्रित होने की भावना उत्पन्न कर देती है जिससे वह दूसरों के प्रति लापरवाह हो जाता है।
  5. कोई भी बालक जन्मजात रूप में आत्म-नियन्त्रित या आत्म-अनुशासित नहीं होता। यह भावना उसके अन्दर समाज में उत्पन्न की जाती है।

आत्मानुशासन कैसे प्राप्त करें ?

1. अनुशासन सम्बन्धी नीतियाँ शिक्षा के सम्पूर्ण उद्देश्यों के साथ सामंजस्यपूर्ण होनी चाहिए अथवा उन्हें शिक्षा के उद्देश्यों के अनुरूप होना चाहिए।

2. अनुशासन सदैव सकारात्मक उपायों द्वारा स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। अध्यापक का उद्देश्य सुधारात्मक होना चाहिए। इस कारण नकारात्मक अनुशासन का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।

3. प्रेम द्वारा अनुशासन स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। भय द्वारा नहीं। प्रेम द्वारा हम बुराई को अच्छाई में परिणित कर सकते है। भय से हम बुराई को थोड़े समय के लिए दबा सकते है, उसका अन्त नहीं कर सकते।

4. अनुशासन स्थापित करने में विद्यार्थियों का सहयोग प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। इससे बालक शनैः-शनैः स्वानुशासन के गुण को सीख जाएंगे।

5. अनुशासन द्वारा प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण व सुरक्षा के सिद्धांत की पूर्ति होनी चाहिए। चूँकि अन्याय व पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण अनुशासनहीनता को जन्म दे सकता है ।

6. अनुशासन हेतु बालक में आत्मानुभूतियों का भाव होना भी आवश्यक है चूँकि स्वानुभूति स्वानुशासन में सहायक होती है।

7. अध्यापक, छात्रों व अभिभावकों में परस्पर सद्भाव भी अनुशासन में सहायक होता है। इस कारण विद्यालय में मानवीय सम्बन्धों को दृढ़ एवं मधुर बनाया जाना चाहिए।

8. अनुशासन हेतु विद्यालय के प्रबन्ध एवं प्रशासन सम्बन्धी कार्यों में छात्रों का समुचित रूप में भाग लेना चाहिए।

9. छात्रों को अभिव्यक्ति के पर्याप्त अवसर मिलने चाहिए जिससे यदि छात्रों में कुछ असन्तोष हो तो अपनी बात कह सकें। यदि उन्हें अभिव्यक्ति के अवसर नहीं मिलेंगे तो वह तोड़-फोड़ या अन्य असामाजिक गतिविधियों की और उन्मुख हो सकते है।

10. अनुशासन हेतु यह भी आवश्यक है कि पाठ्यक्रम छात्रों की क्षमताओं आवश्यकताओं व अभियोग्यताओं के अनुरूप हो जिससे उनका पढ़ने में मन लगे।

COMMENTS

Name

10 line essay,520,10 Lines in Gujarati,2,Aapka Bunty,3,Aarti Sangrah,3,Aayog,3,Agyeya,4,Akbar Birbal,1,Antar,170,anuched lekhan,59,article,17,asprishyata,1,Bahu ki Vida,1,Bengali Essays,135,Bengali Letters,20,bengali stories,12,best hindi poem,13,Bhagat ki Gat,2,Bhagwati Charan Varma,3,Bhishma Shahni,6,Bhor ka Tara,1,Biography,141,Biology,88,Boodhi Kaki,1,Buddhapath,2,Chandradhar Sharma Guleri,2,charitra chitran,298,chemistry,1,chhand,1,Chief ki Daawat,3,Chini Feriwala,3,chitralekha,6,Chota jadugar,3,Civics,32,Claim Kahani,2,Countries,10,Dairy Lekhan,1,Daroga Amichand,2,Demography,10,deshbhkati poem,3,Dharmaveer Bharti,10,Dharmveer Bharti,1,Diary Lekhan,8,Do Bailon ki Katha,1,Dushyant Kumar,1,Economics,29,education,1,Eidgah Kahani,5,essay,1031,Essay on Animals,3,festival poems,4,French Essays,1,funny hindi poem,1,funny hindi story,3,Gaban,12,Geography,44,German essays,1,Godan,8,grammar,19,gujarati,30,Gujarati Nibandh,214,gujarati patra,20,Guliki Banno,3,Gulli Danda Kahani,1,Haar ki Jeet,2,Harishankar Parsai,2,harm,1,hindi grammar,14,hindi motivational story,2,hindi poem for kids,3,hindi poems,54,hindi rhyms,3,hindi short poems,8,hindi stories with moral,15,History,42,Information,897,Jagdish Chandra Mathur,1,Jahirat Lekhan,1,jainendra Kumar,2,jatak story,1,Jayshankar Prasad,6,Jeep par Sawar Illian,3,jivan parichay,148,Kafan,8,Kahani,31,Kamleshwar,8,kannada,98,Kashinath Singh,2,Kathavastu,33,kavita in hindi,41,Kedarnath Agrawal,1,Khoyi Hui Dishayen,3,kriya,1,Kya Pooja Kya Archan Re Kavita,1,literature,9,long essay,426,Madhur madhur mere deepak jal,1,Mahadevi Varma,7,Mahanagar Ki Maithili,1,Mahashudra,1,Main Haar Gayi,2,Maithilisharan Gupt,1,Majboori Kahani,3,malayalam,139,malayalam essay,112,malayalam letter,10,malayalam speech,36,malayalam words,1,Management,1,Mannu Bhandari,7,Marathi Kathapurti Lekhan,3,Marathi Nibandh,261,Marathi Patra,25,Marathi Samvad,13,marathi vritant lekhan,3,Mohan Rakesh,2,Mohandas Naimishrai,1,Monuments,1,MOTHERS DAY POEM,22,Muhavare,138,Nagarjuna,1,Names,2,Narendra Sharma,1,Nasha Kahani,6,NCERT,27,Neeli Jheel,2,nibandh,1034,nursery rhymes,10,odia essay,60,odia letters,86,Panch Parmeshwar,10,panchtantra,26,Parinde Kahani,1,Paryayvachi Shabd,229,patra,241,Physics,2,Poos ki Raat,9,Portuguese Essays,1,pratyay,186,Premchand,65,Punjab,28,Punjabi Essays,72,Punjabi Letters,13,Punjabi Poems,9,Raja Nirbansiya,4,Rajendra yadav,3,Rakh Kahani,2,Ramesh Bakshi,1,Ramvriksh Benipuri,1,Rani Ma ka Chabutra,1,ras,1,Report,6,Roj Kahani,2,Russian Essays,1,Sadgati Kahani,1,samvad lekhan,195,Samvad yojna,1,Samvidhanvad,1,Sandesh Lekhan,3,sangya,1,Sanjeev,2,sanskrit biography,4,Sanskrit Dialogue Writing,5,sanskrit essay,270,sanskrit grammar,157,sanskrit patra,30,Sanskrit Poem,3,sanskrit story,2,Sanskrit words,26,Sara Akash Upanyas,7,Saransh,71,sarvnam,1,Savitri Number 2,2,Shankar Puntambekar,1,Sharad Joshi,3,Sharandata,1,Shatranj Ke Khiladi,1,short essay,65,slogan,3,sociology,8,Solutions,3,spanish essays,1,speech,6,Striling-Pulling,25,Subhadra Kumari Chauhan,1,Subhan Khan,1,Suchana Lekhan,13,Sudarshan,2,Sudha Arora,1,Sukh Kahani,2,suktiparak nibandh,20,Suryakant Tripathi Nirala,1,Swarg aur Prithvi,3,tamil,16,Tasveer Kahani,1,telugu,66,Telugu Stories,65,uddeshya,15,upsarg,67,UPSC Essays,100,Usne Kaha Tha,2,Vinod Rastogi,1,Vipathga,2,visheshan,2,Vrutant lekhan,5,Wahi ki Wahi Baat,1,Wangchoo,2,words,44,Yahi Sach Hai kahani,2,Yashpal,5,Yoddha Kahani,2,Zaheer Qureshi,1,कहानी लेखन,18,कहानी सारांश,56,तेनालीराम,4,नाटक,51,मेरी माँ,7,लोककथा,15,शिकायती पत्र,1,सूचना लेखन,1,हजारी प्रसाद द्विवेदी जी,9,हिंदी कहानी,110,
ltr
item
HindiVyakran: आत्मानुशासन का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व का वर्णन कीजिये।
आत्मानुशासन का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व का वर्णन कीजिये।
आत्मानुशासन का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व का वर्णन कीजिये: अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है “आत्म-नियन्त्रण या आत्म-संयम।” इसमें व्यक्ति अपने आवेगों व संवगों प
HindiVyakran
https://www.hindivyakran.com/2023/09/anushasan-hinta-ka-arth-paribhasha-evam-mahatva-ka-varnan-kijiye.html
https://www.hindivyakran.com/
https://www.hindivyakran.com/
https://www.hindivyakran.com/2023/09/anushasan-hinta-ka-arth-paribhasha-evam-mahatva-ka-varnan-kijiye.html
true
736603553334411621
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content