ठेस' कहानी के आधार पर वाचक का चरित्र चित्रण कीजिए: कहानी में दूसरा महत्वपूर्ण पात्र वाचक है। वाचक सिरचन के स्वभाव, व्यवहार और कारीगरी में उसकी कुशलता
ठेस' कहानी के आधार पर वाचक का चरित्र चित्रण कीजिए
वाचक का चरित्र चित्रण: 'ठेस' कहानी में दूसरा महत्वपूर्ण पात्र वाचक है। वाचक सिरचन के स्वभाव, व्यवहार और कारीगरी में उसकी कुशलता को अच्छी तरह पहचानता है। वह यह भी जानता है कि सिरचन खाने-पीने का शौकीन है, इसीलिए जब सिरचन को कलेवे में दिया गया चिउरा और गुड़ का सूखा ढेला देखता है तो वह घबराकर माँ से जाकर पूछता है कि आज सिरचन को कलेवे में सिर्फ चिउरा और गुड़ किसने दिया है? कथावाचक सिरचन के प्रति संवेदनशील है और वह जानता है कि कौन-सी बात सिरचन को बुरी लग सकती है? इसलिए वह कोई ऐसी बात नहीं होने देना चाहता है जिससे बात बिगड़ जाए। लेकिन चाहने से क्या होता है? चाची से गमकौआ जर्दा माँगने पर चाची सिरचन को अपमानित करते हुए जिस कठोरता से जवाब देती है उससे कथावाचक का कलेजा धड़क उठता है। वह जान जाता है इससे बड़ी बात और कुछ नहीं हो सकती है। कथावाचक सिरचन के दिल पर लगी ठेस को भली-भाँति जानता था। इसलिए उसे मनाने के लिए उसके घर पहुँच जाता है। लेकिन सिरचन की करुणा से भरी बातें सुनकर उसे लगता है कलाकार के दिल में ठेस लगी है, वह नहीं आ सकता। कथावाचक लौट आता है।
कथावाचक अपनी बहन मानू के प्रति भी बहुत संवेदनशील है। मानू के प्रति स्नेह के कारण ही वह सिरचन को मनाने के लिए उसके घर जाता है। वह अपने परिवार के सदस्यों के स्वभाव को भी पहचानता है। वह जानता है कि चाची और मँझली भाभी का व्यवहार श्रम करने वालों के प्रति कठोर, भावशून्य और घृणा से भरा हुआ है। इसीलिए जब बड़ी भाभी अधूरी चिक में रंगीन छींट का झालर लगाने लगती हैं तो इसे देखकर वह यह कहना नहीं भूलता कि कहीं चाची और मँझली भाभी की नज़र इसमें भी न लग जाए।
इसके साथ ही उसके चरित्र में कुछ मानवीय कमज़ोरियाँ भी हमें दिखाई देती हैं। वह जब अपनी बहन मानू को ससुराल छोड़ने जाता है तो आधी अधूरी चिक को देखकर उसे मन-ही-मन सिरचन पर गुस्सा आ जाता है। उसे चाची की तरह ही कोसने का मन करता है। इससे पता चलता है कि कहानी में रेणु ने जिन चरित्रों का निर्माण किया है वे यथार्थ हैं। उनके मन में उठने वाली भावनाएँ स्वाभाविक हैं।
सिरचन इस कहानी का मुख्य पात्र है। पूरी कहानी उसी के इर्द-गिर्द घूमती है। इस कहानी में छोटी चाची, मँझली भाभी, बड़ी भाभी, मानू और कथावाचक की माँ कहानी को आगे बढ़ाने में सहायक हैं। ऐसे पात्रों को गौण पात्र कहते हैं। इन गौण पात्रों में मँझली बहू और छोटी चाची के बारे में आपने ज़रूर विचार किया होगा। ये दोनों स्त्री पात्र हैं। दोनों में एक समानता यह है कि दोनों आत्मकेंद्रित और संवेदनहीन हैं। इसका प्रमाण मँझली बहू द्वारा माँ के कहने पर एक मुट्टी बुंदिया सूप में फेंककर देने के व्यवहार में देख सकते हैं। इसी प्रकार छोटी चाची की संवेदनहीनता वहाँ दिखाई देती है जब गमकौआ जर्दा माँगने पर सिरचन को कठोर शब्दों में कहती है, “तुम्हारी बढ़ी हुई जीभ में आग लगे, घर में भी पान और गमकौआ जर्दा खाते हो?'' इन दोनों के अतिरिक्त मानू और कथावाचक की माँ सिरचन के प्रति सम्मान और आदर का भाव रखते हैं। मानू तो सिरचन को आदर देते हुए पान भी खिलाती है। और कथावाचक की माँ तो सिरचन के प्रति आरंभ से ही बहुत आदर और स्नेह का भाव प्रदर्शित करती दिखाई देती है।
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