शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य एवं उद्देश्य बताइए: शारीरिक शिक्षा और प्रशिक्षण का उद्देश्य है, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उत्पन्न करना और उसका संरक्षण करना
शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य एवं उद्देश्य बताइए (Sharirik Shiksha ke Lakshya evam Uddeshya bataiye)
शारीरिक शिक्षा का माध्यम एक सरल तथा लोकप्रिय माध्यम है जिसकी उपयोगिता को अब धीरे-धीरे सभी जगह समझा जाने लगा है। हमारे देश के नवयुवक भविष्य में हर क्षेत्र में आगे बढ़ें इसके लिए शारीरिक शिक्षा का माध्यम अति आवश्यक है।
शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य (Sharirik Shiksha ka lakshya)
जे. वी. नैश के अनुसार, "विभिन्न शारीरिक अंगों का विकास चेतना पेशी तालमेल का विकास ही शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य हैं।"
डॉ. एम. सिद्धलिंगइया के अनुसार, "शारीरिक शिक्षा और प्रशिक्षण का उद्देश्य है, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उत्पन्न करना और उसका संरक्षण करना।"
श्री हैरी को बक जो भारत में शारीरिक शिक्षा के विचारक एवं प्रचारक हैं, उनके अनुसार शारीरिक शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं- (1) व्यक्तित्व का विकास, (2) शारीरिक विकास तथा वृद्धि, (3) ज्ञान में वृद्धि, (4) मस्तिष्क तथा मांसपेशियों में तालमेल, (5) उचित व्यवहार की आदत, (6) नागरिकता की भावना, (7) मानसिक तनाव और चिन्ता से मुक्त करना।
1. व्यक्तित्व का विकास (Personality Development )
- नेतृत्व की भावना पैदा करना।
- आपसी मेलजोल की आदत।
- निर्भीक व्यवहार।
- उत्तम खिलाड़ी के गुणों को ग्रहण करना।
2. शारीरिक विकास तथा वृद्धि (Physical Development and Growth)
- शारीरिक वृद्धि
- शारीरिक क्षमता में सुधार।
3. ज्ञान में वृद्धि (Increase in Knowledge)
- खेलों के नियमों का ज्ञान
- खेलों और व्यायाम से सम्बन्धित ज्ञान
- खेलों के माध्यम से शिक्षा सम्बन्धी ज्ञान
4. मस्तिष्क तथा मांसपेशियों में तालमेल (Adjustment in Brain and Muscles)
- पारस्परिक क्रियाओं को करने की क्षमता।
- मानसिक तथा दूसरे अंगों की क्रियाओं का विकास।
5. उचित व्यवहार की आदत (Habit of Proper Behaviour)
- शरीर को स्वस्थ और मन को प्रसन्न रखने के लिए पूरे दिन का कार्यक्रम सुचारु रूप से तैयार करना ।
- स्वच्छता से रहना
- अनुशासित ढंग से काम करना
6. नागरिकता की भावना (Feeling of Citizenship)
अच्छे नागरिक के गुणों को प्रोत्साहन करना उपरोक्त सभी उद्देश्य सुनियोजित शारीरिक शिक्षा से आसानी के साथ प्राप्त किये जा सकते हैं।
7. मानसिक तनाव और चिन्ता से मुक्त करना (Relief from Mental Tension and Worry)
- खेलों द्वारा तनाव और चिन्ता को दूर करना ।
- तनाव और चिन्ता का सामना करने की क्षमता पैदा करना ।
शारीरिक शिक्षा के आदर्श उद्देश्य (Ideal Objectives of Physical Education)
विभिन्न विचारकों तथा शारीरिक शिक्षा का विशेष ज्ञान रखने वालों के अनुसार शारीरिक शिक्षा के आदर्श उद्देश्य निम्न हैं
- बालकों को शारीरिक रूप से सशक्त, सुडौल एवं स्वस्थ बनाना और सन्तुलित व्यक्तित्व का विकास करना।
- व्यक्ति में खेल की भावना, नेतृत्व, आत्मानुशासन, कार्यक्षमता, साहस, सहनशीलता, सहयोग और सामाजिकता आदि गुणों का विकास करना।
- खेल तथा शारीरिक व्यायाम आदि में नियमित रूप से भाग लेने की आदत का विकास करके बालक की मानसिक चिन्ता और दबाव दूर करना।
- बालकों को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों एवं समस्याओं को हल करने का प्रशिक्षणदेना।
- अवकाश के समय को उपयुक्त शारीरिक क्रियाओं में लगातार सदुपयोग करने की आदत का विकास करना।
- व्यक्ति के समुचित शारीरिक विकास के साथ-साथ उसके स्वस्थ मानसिक विकास में सहयोग देना।
- शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ नागरिकों का निर्माण करना स्वस्थ नागरिक ही, देश के विकास में सहयोग दे सकते हैं।
- सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक क्षमता का विकास करना।
- दैनिक जीवन की गतिविधियों को नियमित एवं निश्चित स्वरूप प्रदान करना।
- बालकों की अतिरिक्त शक्ति को बाहर निकालने का उचित मार्ग प्रदान करना।
- शारीरिक शिक्षा एवं उसकी गतिविधियों के प्रति अभिरुचि पैदा करना।
- शारीरिक शिक्षा में प्रदर्शन के प्रयत्न करना।
परिणाम (Result) - एक सन्तुलित एवं सुविकसित शारीरिक शिक्षा के आधुनिक कार्यक्रम के अनेक परिणाम होते हैं। इन परिणामों में से कुछ की प्राप्ति बहुत नजदीक होती है तथा कुछ की बहुत दूर लेकिन यह निर्विवाद है कि वे सभी परिणाम प्रभावशाली शिक्षण द्वारा उपलब्ध हो सकते हैं।
जब निर्देश रेखा को और अधिक खण्डित करके विशिष्ट रूप में लाते हैं तो उसे परिणाम कहते हैं। परिणाम एक बहुत विशिष्ट उद्देश्य होता है।
किसी भी आयु में शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम में भाग लेने से निम्नलिखित परिणाम शीघ्र प्राप्त किये जा सकते हैं -
- शारीरिक स्वास्थ्य का मूल्य,
- क्रिया में क्षमता,
- हर्ष और आनन्द।
इसके कुछ समय बाद जो परिणाम पाये जा सकते हैं, परन्तु जिन्हें प्राप्त करना कुछ मुश्किल होता है वे निम्नलिखित हैं-
- मनोवैज्ञानिक विशेषताएँ,
- सामाजिक नियंत्रण
- मूल्यों का वह गहरा क्षेत्र जहाँ परिणाम को स्पष्ट रूप में पाना तो मुश्किल है लेकिन उसके बिना कार्यक्रम का योगदान न तो व्यक्ति को होता है और न ही समाज को ।
शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य (Purpose of Physical Education in Hindi)
शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में वे मूल्य व्यक्ति को शारीरिक शिक्षा के दृष्टिकोण से सुशिक्षित बनाते हैं। इस तरह लक्ष्य अन्तिम उद्देश्य होता है। यह लक्ष्य बहुत दूर और सामान्य प्रकृति का होता है।
प्रमुख विद्वान ले. मैस्ट्रे के मतानुसार - "शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य स्वस्थ नागरिकता एवं सामाजिकता परिपक्वता बतलाया है। यद्यपि सभी लक्ष्य-लक्ष्य हो सकते हैं। किन्तु उनमें से कुछ इतने सुदूर एवं सामान्य प्रकृति के होते हैं तथा उनको प्राप्त करना बड़ा ही कठिन होता है, लक्ष्य उद्देश्य के इर्द-गिर्द चक्कर काटता है। यह अमूर्त होता है और यह एक आदर्श प्रस्तुत करता है।' के. डब्ल्यू. बुक वाल्टर के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य मनुष्य का शारीरिक सामाजिक, मानसिक तथा संवेगात्मक दृष्टिकोण से सुन्दर एवं अधिकतम विकास करना है। यह विकास सामाजिक एवं स्वास्थ्य के स्तरों को ध्यान में रखते हुए सम्पूर्ण शरीर द्वारा खेलकूद, तालयुक्त क्रियाओं एवं जिम्नास्टिक की क्रियाओं में उचित मार्गदर्शन एवं शिक्षण के साथ भाग लेने में सम्भव होता है।"
जे. एफ. विलियम्स के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य दक्ष नेतृत्व तथा पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करना है जो व्यक्ति अथवा समूह को ऐसी स्थितियों में काम करने का प्रचुर अवसर प्रदान करे जो शारीरिक दृष्टिकोण से बड़ी व स्वस्थ हों, मानसिक दृष्टिकोण से अत्यन्त प्रेरणापूर्ण और संतोषप्रद हों तथा सामाजिक दृष्टिकोण से पूर्ण रूपेण संतुलित हों।"
लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निम्न उद्देश्यों की प्राप्ति आवश्यक मानी गयी है -
- शरीर की भौतिक क्रियाओं पर नियंत्रण
- उत्तम स्वास्थ्य
- परिवार का अच्छा सदस्य बनना
- चरित्र निर्माण
- फालतू समय का सदुपयोग
शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य से सम्बन्धित सिद्धान्त (Principles Relating to the Objective of Physical Education) - सामाजिक शिक्षा का लक्ष्य निम्नलिखित प्रमुख सिद्धान्तों पर आधारित है -
- शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य दीर्घकालीन नियोजन पर आधारित हो ।
- शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हो ।
- शारीरिक - शिक्षा का लक्ष्य सामाजिक आवश्यकताओं के आधार पर निर्मित सिद्धान्तों पर आधारित होना चाहिए।
- स्थितियाँ जैसे-जैसे बदलती हैं और नये तथ्यों का पता लगता है वैसे-वैसे शारीरिक
- शिक्षा के लक्ष्य में परिवर्तन एवं संशोधन हो सकते हैं।
- शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य सम्पूर्ण कार्यक्रम पर आधारित होता है न कि केवल उसके एक भाग पर ।
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