शारीरिक शिक्षा का अर्थ एवं महत्व स्पष्ट कीजिए। प्रायः शारीरिक शिक्षा का अर्थ केवल शारीरिक अंगों के विकास से लिया जाता है। आम साधारण व्यक्ति शारीरिक शि
शारीरिक शिक्षा का अर्थ एवं महत्व स्पष्ट कीजिए।
शारीरिक शिक्षा का माध्यम एक सरल तथा लोकप्रिय माध्यम है। विद्वानों की राय में शारीरिक शिक्षा उसे कहते हैं जिसमें प्रक्रियाओं का चुनाव प्रभाव की दृष्टि से किया जाता हैं।शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना है जिसमें शारीरिक, मानसिक तथा चारित्रिक विकास करना है। शारीरिक शिक्षा के महत्व के सम्बन्ध में पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार इस प्रकार व्यक्त किये- ‘यदि शरीर साथ नहीं देता तो हृदय चाहे कितना ही मजबूत क्यों न हो, हम कुछ नहीं कर सकते। यदि हम किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक करना चाहते है तो शरीर का बलशाली होना आवश्यक है। शारीरिक शिक्षा का माध्यम एक सरल तथा लोकप्रिय माध्यम है जिसकी उपयोगिता को अब धीरे-धीरे सभी जगह समझा जाने लगा है। सुडौल एवं स्वस्थ युवक राष्ट्र की सम्पत्ति ही नहीं बल्कि एक आवश्यकता भी है तथा सदा ही रही है।
शारीरिक शिक्षा का अर्थ (Meaning of Physical Education)
प्रायः शारीरिक शिक्षा का अर्थ केवल शारीरिक अंगों के विकास से लिया जाता है। आम साधारण व्यक्ति शारीरिक शिक्षा को "शारीरिक क्रिया" ही मानता आया है और आज भी मानता है परन्तु शारीरिक शिक्षा को केवल 'शारीरिक क्रियाओं का ही समूह मानना न्यायपूर्ण नहीं है।
शारीरिक शिक्षा का शाब्दिक अर्थ तो 'शरीर की शिक्षा' है परन्तु इसका अर्थ केवल शरीर तक ही सीमित नहीं है बल्कि शारीरिक शिक्षा को अलग-अलग विचित्र ढंग एवं विभिन्न से पुकारा गया है।
1. शारीरिक संस्कृति (Physical Culture) शारीरिक शिक्षा का यह नाम 19वीं शताब्दी तक प्रचलित था और पुरानी विचारधारा के लोग अब भी इसका उपयोग करते हैं । फिजिकल कल्चर में भार उठाने की क्रियाएँ की जाती हैं ताकि शारीरिक सौन्दर्य की प्राप्ति की जा सके। इसलिए इसे शारीरिक संस्कृति कहा जाता है।
2. शारीरिक प्रशिक्षण (Physical Training) - कई लोग शारीरिक शिक्षा को पी. टी. (P. T.) के नाम से सम्बोधित करते हैं। फिजिकल ट्रेनिंग का शब्दार्थ शारीरिक प्रशिक्षण लिया जा सकता है। शारीरिक प्रशिक्षण द्वारा शारीरिक स्वास्थ्य, बलशाली और सहनशील बनाया जाता है। यह एक प्रकार का कठिन परिश्रम है। अधिकतर इस प्रशिक्षण को सेना तथा पुलिस ट्रेनिंग केन्द्रों में प्रयोग किया जाता है इसलिए इसे शारीरिक प्रशिक्षण कहा जाता है।
3. खेल (Sports) - स्पोर्ट्स एक विशाल शब्द है जिसमें खेल, एथलेटिक्स तथा तैराकी शामिल हैं। इन खेलों में दौड़-कूद तथा फेंकना और हॉकी, फुटबाल आदि टीम खेल भी सम्मिलित है। यह खेल स्वयं शारीरिक शिक्षा नहीं है परन्तु शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम के अन्तर्गत अवश्य आयेंगे। इसलिए इसे खेल कहा जाता है।
4. जिम्नास्टिक (Gymnastic ) - कई लोग जिमनास्टिक को शारीरिक शिक्षा का नाम देते हैं। शारीरिक शिक्षा पर यूरोप की विचारधारा के प्रभावस्वरूप इस शब्द का उपयोग शारीरिक शिक्षा के पर्यायवाची शब्द के रूप में प्रचलित हो गया। यहाँ तक कि व्यायामों को भी जिम्नास्टिक कहा जाता रहा है। वास्तव में जिमनास्टिक के अन्तर्गत आपरेटस के सभी कार्य सम्मिलित होते हैं और यह शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं परन्तु यह स्वयं शारीरिकं शिक्षा नहीं है।
5. कवायद (Drill) शारीरिक शिक्षा का एक नाम ड्रिल भी है। यह शब्द सेना से लिया गया है। सेना में किसी भी क्रमबद्ध कार्य को ड्रिल कहा जाता है। आमतौर पर इसकी तुलना ड्रिल बैंड या संगीत द्वारा की जाती है। व्यक्तिगत व्यायामों को सामूहिक रूप से कराने को मासड्रिल कहते हैं।
शारीरिक शिक्षा का महत्व (Importance of Physical Education in Hindi)
शारीरिक शिक्षा प्राचीन समय से समाज के कल्याण व सुधार में अहम व अद्वितीय योगदान रहा है। इसलिए वर्तमान समय में शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को हम कम नहीं समझ सकते। शारीरिक शिक्षा की न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य में भी महान उपयोगिता है। शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व पर बल देते हुए रोशयू ने कहा है, "यह शरीर का ठोस गठन ही है जो मन का सही और निश्चित संचालन करता है।"
शारीरिक शिक्षा के महत्व निम्न हैं -
1. सर्वागीण विकास: शारीरिक शिक्षा बच्चों के शारीरिक मानसिक, बौद्धिक एवं नैतिक गुणों का सर्वागीण शारीरिक क्रियाकलापों द्वारा कराती है।
2. शारीरिक वृद्धि: और विकास शारीरिक क्रियाकलाप व्यक्ति के आंशिक व्यवस्था और मानव व्यवस्था और मानव शरीर की क्रियाशीलता के विकास में सहायक है।
3. बौद्धिक विकास: शारीरिक क्रियाकलाप अवश्य सीखने चाहिए। शारीरिक क्रियाकलाप बच्चें वैज्ञानिक अन्तर्गत बौद्धिक और श्रेष्ठ विचारधारा विकास आवश्यक है।
4. भावनात्मक विकास: शारीरिक शिक्षा भावनाओं पर नियन्त्रण के अवसर प्रदान करती है। खेल जीतना और हारना दोनों भावनाओं के छुटकारे और भावनाओं पर नियन्त्रण का क्षेत्र है।
5. सामाजिक समायोजन: शारीरिक शिक्षा प्रतिभागियों व अन्य लोगों के साथ मेल-मिलाप का अवसर प्रदान करती है। जिससे हम सामाजिक गुणों जैसे खेल भावना, ईमानदारी, मित्रता, भाईचारा, आत्म-अनुशासन, सहयोग और ऐसी संस्था के प्रति आदर की भावना जो व्यक्ति को सामाजिक समायोजन में सहायता प्रदान करती है।
6. चारित्रिक विकास: सामूहिक प्रयास, टीम के प्रति वफादारी और मजबूत इरादे, खेल और शारीरिक क्रियाकलापों के लिए पर्याप्त उदाहरण है। ये एक अच्छे नैतिक चरित्र विकास के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध होते हैं।
7. शारीरिक फिटनेस: व्यायाम ( कसरत ) और व्यक्ति के शरीर के विषय में ज्ञान और शारीरिक फिटनेस के लिए आवश्यक योगदान शारीरिक शिक्षा के माध्यम से मिलता है। नियमित व्यायाम हमारी शारीरिक कार्यक्षमता और शारीरिक बनावट को सुधारता है।
8. मानसिक विकास: शारीरिक शिक्षा सीखने की कला, खेलों, नियमों, तकनीकों और व्यूह रचनाओं एवं नई स्थितियों में व्यक्ति को प्रभावी ढंग से निर्णय लेने में सक्षम बनाती है। शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम व्यक्ति को स्वच्छता, स्वास्थ्य और सफाई के प्रति सचेत कर उसका मानसिक विकास करता है।
9. स्वस्थ संवेग अभिव्यक्ति: खेल संवेगों का अभियान है और मौलिक प्रवृत्तियों के प्रकटीकरण के अनेक अवसर प्रस्तुत करता है। खेल के गत्यात्मक गुणों को बच्चे की मूल प्रवृत्तियों के तुष्टिकरण के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
10. नेतृत्व गुण: शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों एवं विभिन्न खेलों के माध्यम से नेतृत्व के गुणों का विकास देखने को मिलता है।
11. स्वास्थ्य एवं सुरक्षात्मक आदतें: शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को स्वास्थ्य एवं सुरक्षा आदतों के लिए निर्देश देती हैं, और खेल व क्रीड़ाएँ सुरक्षा व स्वास्थ्य प्रेरक पद्धति के तहत ही खेली जाती है।
12. खाली समय का सही उपयोग: शारीरिक शिक्षा खाली समय के सही उपयोग में भी अपना योगदान देती है। दक्षताओं और शारीरिक क्रियाकलापों से व्यक्ति अपने फालतू ऊर्जा का समुचित उपयोग करना सीखता है और खाली समय का सदुपयोग करता है।
13. अभिव्यक्ति और रचनात्मकता: शारीरिक शिक्षा शरीर की भाषा के माध्यम से भावनाओं की अभिव्यक्ति और रचनात्मकता की इजाजत देती है और विचारों की नयी तर्ज को जन्म देती है।
14. मानसिक शान्ति: शारीरिक क्रियाकलापों जैसे - योगा, एरोबिक्स, फिटनेस कार्यक्रम, मनोरंजक क्रियाकलाप, खेल और क्रीड़ाएँ, आधुनिक जीवनशैली में मानसिक तनावों को कम कर और उनमें मुक्त होने व ध्यान बंटाने में मदद करते हैं और मानसिक अशान्ति से भी मुक्ति दिलाते है।
15. राष्ट्रीय एकता: भारत में जहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों, नस्लों व भाषाओं के लोग रहते हैं, वहाँ शारीरिक शिक्षा इनमें एकता की भावना लाने और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
16. अन्तर्राष्ट्रीय मेलमिलाप: शारीरिक शिक्षा राष्ट्रीय सीमाओं के अवरोधों को तोड़कर एक बड़ा प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है। अन्तर्राष्ट्रीय स्पर्धाएँ विभिन्न देशों के खिलाड़ियों को 'व्यक्तिगत मेलमिलाप का अवसर देती है और उन्हें साथ लाकर एक-दूसरे के निकट लाकर परस्पर अनुभवों एवं वैश्विक भाईचारे की भावना को बढ़ाने का अवसर उपलब्ध कराती है।
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