शरीर रचना की अभिवृद्धि से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए: शरीर की रचना, स्नायु प्रणाली, श्वसन प्रणाली, पाचन संस्थान आदि की अभिवृद्धि तथा परिपक्वता ए
शरीर रचना की अभिवृद्धि से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए ।
शरीर रचना की अभिवृद्धि
बालक के शारीरिक विकास की प्रक्रिया में अनेक आन्तरिक तथा बाह्य अंगों तथा माँसपेशियों का विकास होता रहता है। शारीरिक वृद्धि के कारण शरीर में क्या-क्या परिवर्तन हो रहे हैं यह बालक महसूस करता है। परिपक्वता की विभिन्न अवस्थाओं में अभिवृद्धि की गति में अन्तर होता है। शरीर की रचना, स्नायु प्रणाली, श्वसन प्रणाली, पाचन संस्थान आदि की अभिवृद्धि तथा परिपक्वता एक-दूसरे से सम्बन्ध रखती है और अगर बालक की अभिवृद्धि समानता लिये हुए होती है तो उसको सतत् अभिवृद्धि कहते हैं ।
अभिवृद्धि के सम्बन्ध में कैरल का मत है, "व्यक्ति जन्तुओं, अंगों, स्राव तथा चेतना का पुंज है।' एण्डरसन का भी मत है कि- "जैसे ही कोई व्यक्ति बच्चों के साथ कार्य करता है तो वह इस तथ्य से परिचित हो जाता है कि बालक का व्यवहार अनेक कारकों तथा क्षणों की उपज है। ये कारक शारीरिक तथा शरीर शास्त्रीय होते हैं। वह शीघ्र ही शारीरिक अभिवृद्धि, शरीर की रचना, समायोजन, भूख आदि के सम्पर्क में आता है। इसी का प्रभाव उसके विकास तथा अभिवृद्धि पर होता है।"
1. अभिवृद्धि चक्र: मनुष्य की अभिवृद्धि का चक्र सदैव किसी एक नियम से नहीं चलता । यह चक्र बालक की शारीरिक प्रकृति के अनुसार चलता है। किसी वर्ष विकास की गति तीव्र होती है और किसी वर्ष मन्द । मेरिडिथ ने 1243 बच्चों के विकास क्रम का अध्ययन कर इसे चार विकास चक्रों में विभाजित किया है -
- पहले दो वर्ष में विकास तेजी से होता है,
- 11वें वर्ष तक विकास की गति धीमी होती है,
- 11 से 15 वर्ष में विकास की गति तेज होती है,
- 16 से 18 वर्ष में विकास की गति धीमी होती है।
2. शारीरिक विकास में भिन्नता: प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक विकास में भिन्नता पायी जाती है। यह भिन्नता शरीर के कद के रूप में होती है। सामान्य बालक का शरीर तथा रूप छोटे कद के बालक के अनुपात में सुन्दर होता है। भूख इण्ट्रोसीन ग्रन्थियों के ठीक से कार्य न करने का सीधा प्रभाव शरीर की रचना कद आदि पर होता है।
बालक का शारीरिक विकास सामान्यतः एक-सा नहीं होता। इसका सम्बन्ध मानसिक विकास से होता है। कुल्हन तथा थामसन ने चार क्षेत्रों को दर्शाया है जहाँ पर विकास सामान्य रूप से विकसित हुआ पाया जाता है। (i) स्नायु प्रणाली, (ii) माँसपेशियाँ, (iii) इण्ड्रोसीन ग्रन्थियाँ, (iv) शरीर का आकार । थामसन के अनुसार जिस बालक का गुरुत्वाकर्षण केन्द्र तुलनात्मक रूप से नीचे होता है, उसमें शारीरिक सन्तुलन देर से होता है ।
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