रचनात्मक आंकलन एवं संकल्पनात्मक आंकलन में अंतर: रचनात्मक आंकलन का अभिप्राय ऐसे शैक्षिक कार्यक्रम, योजना प्रक्रिया या सामग्री के आंकलन से है, जिसमें आं
रचनात्मक आंकलन एवं संकल्पनात्मक आंकलन में अंतर
रचनात्मक आंकलन | संकल्पनात्मक आंकलन |
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रचनात्मक आंकलन का अभिप्राय ऐसे शैक्षिक कार्यक्रम, योजना प्रक्रिया या सामग्री के आंकलन से है, जिसमें आंकलन के आधार पर सुधार हो। अर्थात पढ़ाई के दौरान अधिगम कि प्रगति को जानने, समझने और सुधारने के लिए जो आंकलन किया जाता है उसे निर्माणात्मक या रचनात्मक आंकलन कहते हैं | संकल्पनात्मक आंकलन से अभिप्राय किसी पूर्व निर्मित शैक्षिक कार्यक्रम, योजना या सामग्री की वांछनीयता ज्ञात करने की प्रक्रिया से है। अर्थात पढ़ाई के पश्चात यह मालूम करना होता है कि एक विशेष अवधि पूरी होने पर शैक्षिक उद्देश्यों को कितनी मात्रा में पूरा कर लिया गया है। संकल्पनात्मक आंकलन को 'of learning' कहते हैं। |
इसका मुख्य उद्देश्य "विद्यार्थी कितना सीख रहे हैं" होता है। इससे अध्यापक व विद्यार्थी को पता चलता रहता है कि अधिगम कितना इससे सफल या असफल रहा है। छात्रों को यह पता चलता है कि सफल अधिगम को कैसे सबल किया जाए और कौन सी अधिगम गलती सुधारने की आवश्यकता है। | संकलनात्मक मूल्यांकन का उद्देश्य विद्यार्थियों के अधिगम को अंतिम स्तर पर जांचना है और इससे यह प्रमाणित किया जाता है कि एक विशेष कार्यक्रम के पश्चात विद्यार्थी ने निर्धारित अधिगम उद्देश्यों को कितनी अच्छी तरह पूरा कर लिया है। इसका उद्देश्य ही ग्रेड देने के लिए होता है। इससे अध्यापन की प्रभाविता के बारे में निर्णय लेने में सहायक सूचना मिलती है। |
रचनात्मक आंकलन में किसी निर्माणाधीन कार्यक्रम, योजना प्रक्रिया, या सामग्री को अंतिम रूप देने से पूर्व उसके प्रारंभिक प्रारूप का आंकलन किया जाता है जिससे उसकी निर्माणाधीन कमियों को पूरा किया जा सके। | इस आंकलन में पहले से स्वीकृत कार्यक्रमों, योजनाओं या सामग्री को भविष्य में यथावत जारी रखने या उपलब्ध अनेक विकल्पात्मक सामग्री में से कोई एक सर्वाधिक उपयुक्त चयन करने की दृष्टि से किया जाता है। |
इस आंकलन द्वारा नवीन शिक्षण विधि,पाठ्यक्रम,सहायक सामग्री आदि में संशोधन किया जाता है। | इस आंकलन द्वारा विकल्पों के गुण-दोषों का आंकलन करके सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प को ज्ञात कर लेते हैं। |
इसमें छात्रों की मासिक परीक्षाएँ लेकर समय-समय पर उनकी उपलब्धि स्तर को जाँचा जाता है। | विगत वर्षों से चल रही प्रवेश विधि, शिक्षण विधि तथा पाठ्यक्रम को जारी रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है । |
इससे अध्यापक और छात्रों को पृष्ठ पोषण मिलता है और वे अपने शैक्षिक प्रयासों को और अधिक व्यवस्थित करते हैं। अतः यह अल्पकालिक निर्णय लेने में महत्वपूर्ण है। | इससे छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत किया जाता है। |
इस आंकलन से आंकलनकर्ता शिक्षा जगत की वास्तविकताओं के अधिक निकट रहता है और सामग्री या शैक्षिक कार्यक्रमों के निर्माण में सक्रिय भूमिका अदा करता है। | इससे छात्रों की सफलता के आधार पर शिक्षण व अनुदेशन की प्रभावशीलता का आंकलन किया जाता है। अतः यह दीर्घकालीन निर्णय लेने में महत्वपूर्ण है। |
रचनात्मक आंकलनकर्ता शैक्षिक क्रम को निर्धारित करने वाला होता है और वह भरसक प्रयास करता है कि वह अधिगम को अच्छा बना सके। अध्यापन के दौरान छात्रों से प्रश्न पूछकर,गृहकार्य देकर तथा मासिक परीक्षाएँ लेकर हम रचनात्मक आंकलन ही करते हैं। | इसमें आंकलनकर्ता निर्णायक का कार्य करता है वह शैक्षिक कार्यक्रम के सन्दर्भ में निस्पृह भूमिका अदा करता है। संकल्पनात्मक आंकलनकर्ता निष्पक्ष व प्रतिबद्ध व्यक्ति होता है जो शैक्षिक प्रयासों पर निर्णय देता है। |
इसका प्रमुख कार्य ही छात्र तथा अध्यापक को यह बताना है कि उनके अध्यापन व अधिगम में क्या समस्याएँ हैं और किन विधियों का द्वारा इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है और उनके अधिगम में क्या-क्या सुधार किया जा सकता है। | इसका प्रमुख कार्य छात्रों को ग्रेड देना ही है। भविष्य में छात्र को कौन से विषय लेना चाहिए, इसकी जानकारी इसी आंकलन से मिलती है। वार्षिक परीक्षाओं के माध्यम से हम संकल्पनात्मक या योगात्मक आंकलन ही करते हैं। |
डेनियल स्टुफलबीम ने अपने मूल्यांकन मॉडल CIPP को मूल्यांकन की निर्माणात्मक तथा संकल्पनात्मक भूमिकाओं से जोड़ने का प्रयास किया। उसने निर्णय लेने के लिए मूल्यांकन तथा जवाबदेही के लिए मूल्यांकन में विभेद किया। उनके अनुसार “जब मूल्यांकन निर्माणात्मक भूमिका अदा करता है तब यह पूर्व क्रियाशील होता है और इसका उद्देश्य निर्णय लेने वालों की सहायता करता है। जब मूल्यांकन संकल्पनात्मक भूमिका अदा करता है तब इसका उद्देश्य पश्चोक्रियाशील(retro-active) होता है, तब यह जवाबदेही के आधार पर कार्य करता है । इनके अंतर को इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि जब कोई रसोइया खाना चखता है तो यह रचनात्मक आंकलन है और जब कोई उपभोक्ता खाना खाता है तो यह संकल्पनात्मक
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