वृद्धि एवं विकास के सिद्धांत (Principles of Growth and Development in Hindi) 1-विकास क्रम का सिद्धांत, 2-एकीकरण का सिद्धांत, 3-निश्चित दिशा का सिद्ध
वृद्धि एवं विकास के सिद्धांत (Principles of Growth and Development in Hindi)
- विकास क्रम का सिद्धांत,
- एकीकरण का सिद्धांत,
- निश्चित दिशा का सिद्धांत,
- वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत,
- वंशानुक्रम तथा वातावरण की अन्तः क्रियाओं का सिद्धांत,
- निरन्तरता का सिद्धांत,
- समंजित विकास का सिद्धांत,
- विकास की विभिन्न गति का सिद्धांत,
- समान प्रतिमान का सिद्धांत
(1) विकास क्रम का सिद्धांत (Principle of Evolution) - एक व्यवस्थित क्रम में बालक का विकास होता है अथवा बालक विकास की ओर क्रमबद्ध रूप से अग्रसित होता है। उदाहरण के लिए भाषा का विकास- बालक जन्म के समय मात्र रोना जानता है, कुछ समय पश्चात् वह ब, व, अ, म इत्यादि अक्षर बोलने लगता है तथा दो वर्ष आयु का होने पर वह 372 शब्दों को बोलने में सक्षम हो जाता है।
(2) एकीकरण का सिद्धांत (Principle of Integration ) - इस सिद्धांत के अनुसार बालक सबसे पहले एक पूरे अंग को तथा बाद में उस अंग के विभिन्न भागों को चलाना सीखता है तथा सबसे बाद में वह शरीर के एक अंग के विभिन्न भागों का एकीकरण करना सीखता है। बालक के मानसिक संवेगात्मक, शारीरिक विकास एक-दूसरे से सम्बद्ध होते हैं - अर्थात् मानसिक विकास का प्रभाव शारीरिक एवं संवेगात्मक विकास पर भी पड़ता है और इस प्रकार शारीरिक विकास बालक के मानसिक विकास को प्रभावित करते हैं।
(3) निश्चित दिशा का सिद्धांत (Principle of Certain Direction) - इस सिद्धांत के अनुसार विकास की दिशा सदैव सामान्य से विशिष्ट की ओर होती है। बालक का विकास सिर से पैर को होता है अर्थात् सिर के विकास से नेत्रों के नियंत्रण, हाथ का संचालन, बैठना, घसीटकर चलना तथा पैरों की चलने की दिशा में बालक का विकास क्रमबद्ध रूप में होता है।
(4) वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत (Principle of Personal Differentiation) - प्रत्येक बालक वैयक्तिक दृष्टि से भिन्न होता है। वैयक्तिक भिन्नता के कारण ही समस्त बालकों के विकास की गति एवं स्वरूप में भी भिन्नता पाई जाती है। विकास के अनन्तर बालक की लम्बाई, रंग, बुद्धि इत्यादि में भी वैयक्तिक भिन्नता के कारण परिवर्तन नहीं हो पाता है। यही कारण है कि समान आयु के दो बालकों में विकास की दृष्टि में अन्तर पाया जाता है। स्किनर (Skinner) के अनुसार 'विकास के स्वरूपों में व्यापक व्यक्तिगत भिन्नतायें होती हैं।
(5) वंशानुक्रम तथा वातावरण की अन्तः क्रियाओं का सिद्धांत (Heredity and Environmental Interaction Principle ) - इसी सिद्धांत के अनुसार बालक का विकास वंशानुक्रम एवं वातावरण की अन्तः क्रिया के कारण होता है। स्किनर (Skinner) के अनुसार, “यह स्पष्ट हो चुका है कि वंशानुक्रम उन सीमाओं को निर्धारित करता है जिनके आगे बालक का विकास नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार यह भी सिद्ध हो चुका है कि जीवन के आरम्भिक वर्षों में दूषित वातावरण कुपोषण अथवा गम्भीर रोग जन्मजात योग्यताओं को कुण्ठित अथवा शक्तिहीन बना सकते हैं।' वंशानुक्रम में प्राप्त विशेषताओं तथा वातावरण से उत्पन्न विशेषताओं के योग से ही बालक के विकास की मात्रा, स्वरूप इत्यादि को निर्धारित किया जा सकता है।
(6) निरन्तरता का सिद्धांत (Principle of Continuity) - इस सिद्धांत के अनुसार विकास की प्रक्रिया सतत् रूप से आजीवन चलती रहती है लेकिन इसकी गति में अन्तर होता है। कभी विकास की गति मन्द होती है तो कभी तेज। व्यक्ति की विभिन्न अवस्थाओं में विकास होता रहता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति में कोई भी परिवर्तन अचानक नहीं होता। स्किनर (Skinner) के अनुसार "विकास प्रक्रियाओं की निरन्तरता का सिद्धांत, मात्र इस तथ्य पर बल देता है कि व्यक्ति में कोई परिवर्तन आकस्मिक नहीं होता है।'
(7) समंजित विकास का सिद्धांत (Principle of Integrated Development) - विकास के इस सिद्धांत के अनुसार जाति, जनजाति, भौगोलिक क्षेत्र, पर्यावरण इत्यादि के आधार पर व्यक्ति में विकास की दृष्टि से समानता पायी जाती है। विकास की गति में भिन्नता होने पर भी उनमें समानता होती है।
(8) विकास की विभिन्न गति का सिद्धांत (Principle of Different Pace of Development) - इसके सन्दर्भ में डगलस व हालैण्ड ने लिखा है- “भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के विकास की गति में भिन्नता होती है तथा यह भिन्नता विकास के पूरे काल में यथावत् रहती है। उदाहरण के लिए जन्म के समय लम्बा बालक बड़ा होने पर भी लम्बा ही होता है तथा छोटे कद का बालक सामान्यतः छोटे कद का ही रहता है ।"
(9) समान प्रतिमान का सिद्धांत: हरलॉक के अनुसार "प्रत्येक जाति, चाहे वह पशु हो अथवा मानव जाति, अपनी ही जाति के अनुसार विकास के प्रतिमान का अनुगमन करती है।" यथा विश्व के समस्त भागों में हिरणी के शावकों के विकास का प्रतिमान एक ही है ।
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