'नन्हा संगीतकार' कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए। प्रस्तुत कहानी 'नन्हा संगीतकार' का प्रमुख पात्र एक छोटा सा बच्चा है जिसकी संगीत प्रियता
'नन्हा संगीतकार' कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए।
प्रस्तुत कहानी 'नन्हा संगीतकार' का प्रमुख पात्र एक छोटा सा बच्चा है जिसकी संगीत प्रियता के कारण उसे नन्हा संगीतकार कहा गया है। कहानी में उसकी संगीत प्रियता ही जन्म से मृत्यु तक देखने को मिलती है। नन्हा संगीतकार की चारित्रिक विशेषताओं को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है
कमजोर बालक: नन्हा बालक जेन जब पैदा हुआ तो इतना कमजोर था कि किसी को भी ऐसा नहीं लगता था कि वह जीवित रह सकेगा। वहां आसपास इकट्ठा हुए लोग तो यहां तक कहते थे कि किसी पादरी को बुलाकर इसका नामकरण कर दो वरना बेनाम मरने से इसकी आत्मा यहां वहां भटकेगी।
परिस्थितियों का मारा: जेन की मां किसी प्रकार से दो जून की रोटी जुटा पाती थी। अक्सर वह भूखों बिलबिलाता रहता था। 8 वर्ष की अवस्था में ही वह अपनी सारी जिम्मेदारी निभाने लगा और भेड़ बकरियों को चराकर या जंगलों से मशरूम खोज कर खाता और जीवन निर्वाह करता था। अक्सर वह भूख से भी बिलखता क्योंकि मां कई बार अलमारी या डिब्बे में खाने के लिए कुछ नहीं रख पाती।
संगीत प्रेमी: जेन छोटी उम्र से ही संगीत का दीवाना था। ऐसा लगता था की यह विशेषता उसे ईश्वर ने ही बक्शी थी। वह प्रकृति के कण-कण में एक अजीब सी स्व-सुबह संगीत लहरी की अनुभूति करता था। पेड़-पौधों पशु-पक्षियों के क्रियाकलापों में भी उसे एक अजीब सा संगीत सुनाई पड़ता था। उसमें यह एक अनोखी को खूबी थी, कुदरत की जाने यह कैसी लीला थी कि उसे यह नियामत बक्शी थी संगीत से उसे बेइंतहा मोहब्बत थी और यह मोहब्बत ही उसका जुनून थी।
प्रकृति प्रेमी: जेन के जीवन का अधिकांश समय जंगल में ही व्यतीत होता। वह अपने साथियों के साथ भेड़-बकरियों को चराने, बेर चुनने जाता और उसकी सुंदरता में डूब जाता। सभी निर्जीव वस्तुएं उसे सजीव प्रतीत होती थी। सूखी घास सरसरा कर जाती हुई, वृक्ष कंपकपाता हुआ, बगिया में चिड़िया चहकती हुई तो आसमान में चंद्रमा दमकता हुआ। उसका मन तो जंगल में ही बसता था ..... पूरा जंगल गाता है और उसकी प्रतिध्वनि से जंगल गूंज उठता है।
लापरवाह: जेन अपने कार्यों, खानपान और वेशभूषा सभी के प्रति लापरवाह था। इसका कारण चाहे जो भी हो पारिवारिक दुरवस्था या उसका संगीत प्रेम किंतु वह खाने-पीने, दिन-रात किसी की भी परवाह नहीं करता था। वह अपने दुर्बल शरीर के प्रति भी लापरवाह था- "गर्मियों में सफेद छोटे झबले में यहां-वहां दौड़ भाग दौड़ भाग करता रहता है जो रुमाल से उसकी कमर में बना रहता था। सिर पर पुआल की पुरानी टोपी रहती जिसके सुराखों से उसके पूरे बाल बाहर झांकते रहते।
निठल्ला और कमजोर: वह एहतियात बरतने वाले बच्चों बच्चों में नहीं था। किसी काम में उसका मन नहीं लगता था इसका कारण चाहे संगीत प्रियता हो या शारीरिक कमजोरी पर जब वह खेतों में सूखी घास साफ करने जाता तो हवा की सरसराहट में खो जाता। दूर खड़ा निरिक्ष जब उसे यूं ही निठल्ला, बाल पीछे की ओर खिसकाए, हवा के संगीत में खोया हुआ देखता तो फुटपट्टी उठाकर दो-तीन सराक से मारता। वह अक्सर जंगलों में भी बेघर घूमता और उसकी मां भी कलही से उसकी पिटाई करती किंतु उसमें कोई सुधार नहीं होता।
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