नन्हा संगीतकार कहानी का सारांश - Nanha Sangeetkar Kahani ka saransh: जैसा कि शीर्षक से स्पष्ट है प्रस्तुत कहानी जेन नामक एक छोटे बच्चे के संगीत प्रेम
नन्हा संगीतकार कहानी का सारांश - Nanha Sangeetkar Kahani ka saransh
नन्हा संगीतकार कहानी का सारांश: जैसा कि शीर्षक से स्पष्ट है प्रस्तुत कहानी जेन नामक एक छोटे बच्चे के संगीत प्रेम पर आधारित होने के कारण इसका नाम नन्हा संगीतकार रखा गया है। जिसमें जेन के पैदा होने से मरने तक की जीवन की विवशता का वर्णन किया गया है। वह जब पैदा होता है तो मां-बेटे दोनों के मरणासन्न की स्थिति में होने के कारण इकट्ठा हुए लोगों का यही मानना था कि किसी पादरी को बुलाकर उसका नामकरण करा देना चाहिए वरना बेनाम मरने से उसकी आत्मा इधर-उधर भटकेगी। किंतु पादरी के आकर कुछ पूजा पाठ करने के बाद मां की हालत सुधर गई और धीरे-धीरे वह काम-काज करने लगी किंतु जेन की हालत बेहद नाजुक थी। 4 वर्ष के बाद उसकी भी हालत सुधरने लगी अब वह 10 वर्ष का हो गया है। किंतु दुबला-पतला और नाजुक ही है किंतु वह कल्पना की दुनिया में कहीं खोया रहता था।
जेन की पारिवारिक दशा अच्छी नहीं थी। उसकी मां मुश्किल से दो वक्त की रोटियां जुटा पाती थी। बदहाली, विवशता और भुखमरी ने जेन को स्वावलंबी बना दिया था। वह भेड़-बकरियां चराकर जंगलों से मशरूम खोजकर खाता। परिस्थितियों ने उसे ऐसा बना दिया था कि वह मेहनत के कार्य करने लायक नहीं रह गया था। फिर भी ईश्वर ने उसे ऐसी विशेषता दे रखी थी कि वह प्राकृतिक संसाधनों में एक अजीब सी स्वर संगीत लहरी का अनुभव करता। वह बेखौफ जंगलों में घूमता और भूखे रहकर भी समय काटता। उसके मित्र आश्चर्य जताते क्योंकि उन्हें ना तो ऐसा कुछ महसूस होता ना उनमें जेन जैसी ईश्वर प्रदत्त विशेषताएं थी। खेत-खलियानों, घास की सूखी पत्तियों, पेड़ों की सरसराहट, चिड़ियों के चहकने, यहां तक कि शराबखाने में बजते वायलिन और वहां थिरकते लोगों के पैरों की आवाज में भी जेन को एक विचित्र सा स्वर संगीत सुनाई देता। जेन को वायलिन से इतना प्यार था कि उसने काठ के पटरे से घोड़े के बाल की सहायता से सारंगी बना डाला, किंतु उसमें भला वायलिन जैसा स्वर्ग संगीत कहां?
जेन की वायलिन प्रियता ने उसकी बेजान जिंदगी का भी अंत कर दिया। बंगले के मालिक बैरन के बंगले के वर्दीधारी सिपाही के पास वायलिन था जिसे वह अपनी प्रेमिका या नौकरों को खुश करने के लिए बजाता था। जिसको उनको जेन दुबक कर सुना करता था तथा दीवार पर लगे हुए वायलिन को निहारता था। उसके लिए वह दुनिया की सबसे बड़ी चीज थी। एक दिन सिपाही के कहीं घूमने चले जाने पर जेन वायलिन तक पहुंचने का उपाय सोचने लगा। चंद्रमा की रोशनी में जेन को वायलिन पूरी तरह से चमकता दिखाई दे रहा था। जिसके तारों की झंकार की कल्पना में उसे हवा, पेड़, लताएँ सभी सजीव प्रतीत होने लगे जैसे मानो उसे वायलिन को पा लेने के लिए उकसा रहे हो। किंतु उसके मन में अनेक विचार उठ रहे थे। वह अंदर तो घुसा किंतु डरते हुए। उस समय वह किसी भी प्रकार की आहट से भयभीत हो उठता था। अपनी सांस को रोक कर वह तेजी से भीतर घुसता चला जा रहा था। वह वायलिन के पास पहुंचकर एक अजीब से संतोष का अनुभव करने लगा। सिपाही ने बंगले में प्रवेश किया और माचिस की तीलियों से प्रकाश करता हुआ चिल्लाया कौन है? और जेन पर लात-घूसों की बरसात करने लगा। दो दिन बाद जेन मजिस्ट्रेट के सामने था। उसकी बुरी हालत को देखकर मजिस्ट्रेट कुछ समझ नहीं पाया। इसलिए उसने जेल भेजने के बजाय उसे कुछ बेंत लगाकर छोड़ देने को कहा जिससे वह कभी चोरी न करे। किन्तु मोटी बुद्धि वाले चौकीदार ने उसे ऐसी बेरहमी से पीटा कि उस बेजान की सांसे रुक गई जिसमें मां उसे मरणासन्न अवस्था में उठाकर ले गई
अगले रोज जेन उठ नहीं सका। उसे उस अवस्था में भी पशु पक्षियों और वृक्षों से वही संगीत सुनाई पड़ता था। वह अपनी बनाई सारंगी जो उसके पास ही रखी थी को देखकर वायलिन की कल्पना से खुश तो हुआ किंतु मां के कहने के बाद सिसकियाँ लेते हुएअपने मरने का आभास पाकर पूछा- "कि मां मुझे स्वर्ग में असली वायलिन मिलेगा? हां मेरे बच्चे कहते हुए उसकी मां रो पड़ी। अब जैन मर चुका था और उसकी मां रो रही थी। किन्तु जेन की आंखें खुली और निश्चल थी। मुख पर शांति, गंभीरता और दृढ निश्चय झलक रहा था। एक तरफ बैरन के परिवार के लौटने और इटली के कलाकारों की प्रशंसा भरी हलचल थी तो दूसरी तरफ जैन जैसे संगीतकार की कब्र पर कीड़े मकोड़ों की भिनभिनाहट। यदि जेन को कोई समझ पाता और सुविधाएं मिली होती तो शायद वह दुनिया का सबसे बड़ा संगीतकार बन जाता।
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