मापन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Measurement in Hindi) मापन का हमारे जीवन का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है हमारी दिनचर्या की श
मापन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Measurement in Hindi)
मापन का अर्थ: मापन का हमारे जीवन का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है हमारी दिनचर्या की शुरुआत ही मापन से होती है। वर्तमान समय में विज्ञान हो या सामाजिक विज्ञान उनकी सम्पूर्ण वैज्ञानिक प्रगति का आधार मापन ही है। वस्तुतः मापन तुलना का आधार है जब भी हम दो या दो से अधिक वस्तुओं की तुलना करते हैं हमे सर्व प्रथम उनका मापन करना हो है जैसे यदि हम तुलना करना चाहते हैं कि हमारे घर विद्यालय एवं हमारा कार्यस्थल कौन ज्यादा दूर है तब हमे सबसे पहले उनका मापन करना होगा विद्यालय 4 किलोमीटर दूर है जबकि कार्यस्थल 3 किलोमीटर तब आप तुलना करके बता सकते हैं कि विद्यालय कार्यस्थल की बजाय ज्यादा दूर है सामान्य अर्थों में कोई विशिष्ट गुण कितनी मात्रा में मौजूद है यह जानना ही मापन है इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि किन्हीं गुणों की मात्रा का उचित इकाई से प्रदर्शन करना ही मापन है। किसी व्यक्ति अथवा वस्तु मे कोई विशिष्ट गुण कितनी मात्रा में विद्यमान है इसकी जानकारी मापन द्वारा ही मिलती है। आइये देखें कि विद्वानों ने मापन के क्या परिभाषाएं दी हैं:
मापन की परिभाषा (Definition of Measurement in Hindi)
प्रसिद्ध विद्वान एस.एस. स्टीवेन्स के अनुसार- मापन निश्चित एवं स्वीकृत नियमों के अनुसार विभिन्न वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है।
(Measurement is the process of assigning number to object according to certain agreed rules - S.S. Stevens )
ब्रेडफील्ड के अनुसार- 'मापन, किसी तथ्य के विभिन्न आयामों को प्रतीक प्रदान करने की प्रक्रिया है ताकि उस तथ्य की विशेषता को संक्षिप्त से संक्षिप्त रूप में प्रकट किया जा सके।'
("Measurement is the process of assigning symbols to dimensions of phonomena in order to charectarize the status of phenomenon as precisely as possible'. James M. Bradfield)
यदि हम मापन की उपरोक्त परिभाषाओं पर ध्यान दें तो हमे मापन की प्रक्रिया के तीन मुख्य अवयव प्राप्त होते हैं:
1. उन वस्तुओं/ व्यक्तियों की उपस्थिति जिनमें किसी गुण अथवा विशेषता का मापन करना हो।
2. आंकिक मान/संकेत के एक समूह का होना जिसके पदों में जो विशिष्ट गुण की मात्रा निर्धारित की जा सकती है।
3. इकाई अथवा मात्रक अर्थात विशेषता के आधार पर अंक प्रदान करने के लिए 'पूर्व निर्धारित तथा मान्य नियम'
मापन के स्केल / स्तर (Scales / Levels of Measurement )
मनोविज्ञान एवं शिक्षा में भी मापन का अत्यंत महत्त्व है। मनोवैज्ञानिक मापन (Psychological Measurement) का आधार व्यक्तिगत भिन्नता है। संसार में प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न गुणों यथा अपनी बुद्धि लब्धि, अपनी अभिवृत्ति, अपने व्यक्तित्व, रूचि, चिंतन, आदि में एक दूसरे से पूर्णतः भिन्न हैं। इस व्यक्तिगत भिन्नता के कारण प्रत्येक विद्यार्थी भी अद्वितीय है, जिस कारण विभिन्न विषयों एवं क्षेत्रों में उसकी उपलब्धि का स्तर भी अलग अलग होता है। शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक मापन का प्रमुख उद्देश्य है इन्हीं भिन्न गुणों की मात्रा निर्धारित करना ताकि विभिन्न गुणों के आधार पर विद्यार्थियों की तुलना संभव हो सके। मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षिक मापन एक अत्यंत कठिन तथा जटिल कार्य है क्योकि मनोविज्ञान मापन में 'व्यवहार का मापन' सन्निहित है। मानव व्यवहार असंख्य कारकों से प्रभावित होता है और विभिन्न परिस्थिति एवं उद्दीपक के साथ बदलता परिवर्तन शील है। कई बार समान परिस्थितियों और उद्दीपको के होते हुए भी कालान्तर के कारण व्यवहार में परिवर्तन आ जाते हैं। शैक्षिक उपलब्धि, बुद्धि, व्यक्तित्व - ये सभी जिनका मनोविज्ञान में मापन होता है, जटिल हैं। मनोविज्ञान को भौतिक विज्ञान अथवा अन्य प्राकृतिक विज्ञानों की तरह 'वैज्ञानिक' (Scientific) बनाने की प्रक्रिया में सर्वप्रथम मापन की इस कठनाई को एस एस स्टीवेंस (SS Stevens) ने महसूस किया एवं मनोवैज्ञानिक मापन में मापन के विभिन्न स्तर (Levels of Measurement) या मापन के स्केल (Scales of Measurement) की व्याख्या की।
मापन के स्तर (Levels / Scales of Measurement in Hindi)
स्टीवेंस ने मापन के निम्नलिखित चार स्तरों का वर्णन किया है: (1) नामित स्तर, (2) क्रमिक स्तर / मापनी, (3) अन्तराल स्तर / मापनी, (4) अनुपात स्तर / मापनी।
नामित स्तर (Nominal Scale)
नामित स्तर, मापन का सरलतम रूप है जिसमें वस्तुओं अथवा घटनाओं को किसी गुण या विशेषता के आधार पर अलग-अलग समूहों में रख दिया जाता है तथा प्रत्येक व्यक्ति या समूह की पहचान के लिए उसे कोई नाम संख्या अथवा चिन्ह दे दिया जाता है। इसलिए एक-एक समूह में सम्मिलित समस्त सदस्य उस गुण विशेष में आपस में समान किन्तु, दूसरे समूह से भिन्न होते है। जैसे आपने किसी मापन में सुविधा के लिए पुरुषों को अंक 1 दिया और महिलाओं को अंक 2 दिया, या ग्रामीण विद्यार्थियों को अंक 1 दिया शहरी विद्यार्थियों को अंक 2 दिया वस्तुतः इस स्तर पर अंकों का कोई आंकिक महत्व नहीं होता बल्कि ये सिर्फ एक संकेत के रूप में कार्य करते हैं यह एक निम्न स्तरीय मापनी है जिसपर किसी प्रकार की अन्कगानितीय संक्रिया संभव नहीं है।
क्रमिक स्तर / मापनी (Ordinal scale)
यह मापन का दूसरा स्तर है जिसमे मापन मे व्यक्तियों, वस्तुओं, घटनाओं को किसी विशेष अथवा लक्षण के आधार पर उच्चतम से निम्नतम के क्रम में व्यवस्थित किया जाता है तथा प्रत्येक वस्तु को एक क्रम सूचक अंक प्रदान किया जाता है। इसका सबसे अच्छा उदहारण प्राप्तांकों के आधार पर विद्यार्थियों की रैंकिंग है कक्षा में प्रथम द्वितीय तृतीय आदि। इस से यह तो पता चलता है कि कोई गुण विशेष किसमे ज्यादा है और किसमे कम परन्तु यह पता नहीं चलता कि कितना ज्यादा है अथवा कितना कम । इस मापनी में मापनार्थ व्यक्तियों या वस्तुओं की आरोही अथवा अवरोही क्रम में एक श्रेणी तैयार की जाती है। इस स्तर की मापनी के आधार पर सिर्फ यह बताया जा सकता है कि कौन ज्यादा है कौन कम परन्तु कितना ज्यादा है और कितना कम यह नहीं बताया जा सकता।
अन्तराल स्तर / मापनी (Interval Scale)
मापन का यह तृतीय स्तर है जिसमें इकाइयों अथवा वर्गों की दूरी अथवा अन्तर सामान होते हैं। इसमें प्रत्येक इकाई के बीच का अन्तर अथवा दूरी समान होती है, किन्तु कोई भी अंक शून्य से कितना दूर है इसका पता नही हो सकता है क्योंकि इसमें वास्तविक शून्य नही पाया जाता है (वास्तविक शुन्य का तात्पर्य 'गुण की अनुपस्थिति' से है प्राकृतिक विज्ञानों में जैसे 0 मीटर का मतलब है कोई लम्बाई नहीं 0 किलोग्राम का मतलब है कोई वजन नहीं इसे निरपेक्ष शुन्य कहते हैं) क्रमसूचक मापनी की तुलना में यह मापनी अधिक उपयोगी मनोवैज्ञानिक तथ्यों के मापन में यह बहुलता के साथ प्रयुक्त होती है। इस स्तर पर सापेक्ष शून्य होने की वजह से इस स्तर पर किये गए मापन में जोड़ना एवं घटना आदि अंकगणितीय क्रियाएं तो की जा सकती है परन्तु गुणा एवं भाग संभव नहीं। उदहारण के लिए किसी व्यक्ति का आई क्यू शुन्य है यह नहीं कहा जा सकता परन्तु आई क्यू 20, 40, 100 आदि है कहा जा सकता है। इससे सांख्यिकीय गणनाएं संभव होती हैं। इसका सबसे अच्छा उदहारण तापमान मापने का सेल्सियस स्केल है जिस पर यह तो कहा जा सकता है कि 20 डिग्री तापमान 10 डिग्री तापमान से 10 ज्यादा है परन्तु यह नहीं कहा जा सकता कि 20 डिग्री तापमान 10 डिग्री तापमान से दुगुना है। यह मापनी केवल सापेक्षिक मापन करती है। इसमें वास्तविक शून्य बिन्दु का अभाव होने से किसी वस्तु के गुण का निरपेक्ष मापन करने में यह सक्षम नही है। यह इस विधि की एक बड़ी कमी है, उदाहरणार्थ कोई छात्र परीक्षा में शून्य अंक प्राप्त करता है इसका आशय यह नही कि वह छात्र उस विषय में कुछ ज्ञान नही रखता है।
अनुपात स्तर / मापनी ( Ratio Scale)
यह स्तर सर्वोच्च स्तर है जो अन्य मापनीयों की तुलना में श्रेष्ठ, उच्चस्तरीय एवं वैज्ञानिक है। अन्तराल मापनी के समस्त विशेषताओं के साथ -साथ इस मापनी में एक निरपेक्ष शून्य (Absolute Zero)बिन्दु विद्यमान रहता है जो अन्य किसी भी मापनी में नही पाया जाता। वास्तविक शून्य का तात्पर्य ' गुण की अनुपस्थिति' से है । प्राकृतिक विज्ञानों में जैसे (0) मीटर का मतलब है कोई लम्बाई नहीं (0) किलोग्राम का मतलब है कोई वजन नहीं, इसे निरपेक्ष शून्य कहते हैं। इसी कारण इसे अन्तराल मापनी से श्रेष्ठ माना जाता है। इसमें शून्य बिन्दु कोई कल्पित बिन्दु नही होता अपितु इसका अर्थ किसी गुण या विशेषता की शून्य मात्रा से है। सामान्यतः मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षिक मापन अधिकतर अन्तराल स्तर के मापन होते है।
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