वैकल्पिक प्रमाणन (Alternate Certification in Hindi) विद्यालयी मूल्यांकन में वैकल्पिक प्रमाणन से तात्यपर्य विद्यार्थियों के उपलब्धियों को प्रमाणित करने
वैकल्पिक प्रमाणन (Alternate Certification in Hindi)
वैकल्पिक प्रमाणन: विद्यालयी मूल्यांकन में वैकल्पिक प्रमाणन से तात्यपर्य विद्यार्थियों के उपलब्धियों को प्रमाणित करने के लिए गैर परंपरागत तरीकों / सूचकों के प्रयोग से है। परंपरागत तरीकों के अंतर्गत मूल्यांकनकर्ता विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धियों के लिए निर्धारित प्रश्नों पर दिये गए उत्तरों की जांच करता है और इस आधार पर उसकी योग्यता को आंकिक रूप में प्रस्तुत कर समूह में उसकी स्थिति/क्रम को बताता है एवं पूर्व निर्धारित कसौटियों के आधार पर उसकी उपलब्धि को प्रथम, द्वितीय, तृतीय श्रेणी, उत्तीर्ण एवं अनुतीर्ण श्रेणियों में बाटता है। विद्यार्थी की शैक्षिक उपलब्धि समूह के औसत प्रदर्शन द्वारा निर्धारित मानक से तुलना करके ज्ञात की जाती है। विद्यार्थी समूह में औसत से ऊपर है या नीचे है तथा पदानुक्रम में किस क्रम में है अर्थात विद्यार्थी की सापेक्षिक स्थिति ज्ञात की जाती है।
राबर्ट ग्लेजर (1963) ने अपने लेख के माध्यम से शिक्षाशास्त्रियों तथा मनोवैज्ञानिकों का ध्यान उन कमियों की ओर आकर्षित किया जो परंपरागत मापन के प्रत्ययों को नवीन अभिक्रमित अनुदेशन तकनीकों से संबन्धित परिस्थितियों में लागू करने से हो रही थी। उन्होने अपने लेख में प्रचलित मानक संदर्भित मापन के विकल्प के रूप में निकष संदर्भित मापन के प्रत्यय को प्रस्तुत किया और कहा कि मानक संदर्भित मापन की सहायता से किसी विद्यार्थी की अन्य विद्यार्थियों से सापेक्षिक स्थिति ज्ञात की जाती है जबकि निकष संदर्भित मापन में विद्यार्थी की निरपेक्ष स्थिति का वर्णन किया जाता है। पाठ्य वस्तु संदर्भित मापन (Content Referenced Measurement), उद्देश्य संदर्भित मापन (Objective Referenced Measurement) तथा क्षेत्र संदर्भित मापन (Domain Referenced Measurement) जैसे नामों का प्रयोग भी निकष संदर्भित मापन के लिए किया जाता है।
वैकल्पिक प्रमाणन विदेशों में शिक्षक-प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में शिक्षण योग्यता का प्रमाण पत्र प्रदान करने का एक गैर-परंपरागत रास्ता है। शिक्षकों की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से शिक्षा शास्त्र विषय से इतर विषय से स्नातक किए हुए इच्छुक विद्यार्थियों को अवसर देकर लघु प्रशिक्षण देकर शिक्षण का लाइसेन्स / प्रमाणपत्र देना वैकल्पिक प्रमाणन का उदाहरण है। ऐसे विद्यार्थी शिक्षण व्यवसाय में रहते हुए भी दूरस्थ विधि या ऑनलाइन विधि से ऐसे टीचिंग सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। इस कोर्स के अंतर्गत उनमें किसी विशेष शिक्षा स्तर के लिए आवश्यक शिक्षण कौशलों एवं ज्ञान में निपुण बनाने हेतु कोर्स वर्क, शिक्षण अनुभव, मानकीकृत परीक्षण की व्यवस्था होती है। उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा पिछले सालों में शिक्षकों की भारी कमी को दूर करने हेतु बीएड डिग्री किए हुए विद्यार्थियों को प्राथमिक शिक्षक बनने का मौका देकर उनको छः माह का विशिष्ट बी. टी. सी का प्रशिक्षण देकर बेसिक शिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान करना वैकल्पिक प्रमाणन का उपयुक्त उदाहरण है। इसमें राज्य सरकार द्वारा तैयार किया गया 'विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण कार्यक्रम' माध्यमिक स्तर के लिए प्रशिक्षित ( बीएड डिग्री धारी) अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक बनने का अवसर प्रदान करता है। 'विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण कार्यक्रम' हेतु चयन चाहे विभिन्न शैक्षिक स्तर की योग्यता के प्राप्तांकों के गुणांक के आधार पर हो या शिक्षक पात्रता परीक्षा के प्राप्तांक के आधार पर हो, दोनों ही स्थितियों में अभ्यर्थियों का चयन एवं प्रशिक्षण कर शिक्षण का लाइसेन्स/ प्रमाण पत्र देना वैकल्पिक प्रमाणन के अंतर्गत माना जाएगा।
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