आलोक वृत्त खंड काव्य की विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। ‘आलोक वृत्त' नामक खण्डकाव्य वर्णनात्मक ओजपूर्ण शैली में लिखा गया एक अत्यन्त ही सुन्दर प्रभावशाली र
आलोक वृत्त खंड काव्य की विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
आलोक वृत्त खंड काव्य की रचना कविवर गुलाब खंडेलवाल द्वारा की गई है। इस काव्य में भारत के स्वतंत्रता संग्राम की मार्मिक कथा का वर्णन है। आलोक वृत्त खंडकाव्य की कथा बापू के जन्म से आरंभ होती है और देश की स्वतंत्रता-प्राप्ति पर समाप्त होती है। इसके खंडकाव्य की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
आलोक वृत्त खंड काव्य की भावात्मक विशेषताएँ
(1) वर्ण्य-विषय -‘आलोक वृत्त' नामक खण्डकाव्य वर्णनात्मक ओजपूर्ण शैली में लिखा गया एक अत्यन्त ही सुन्दर प्रभावशाली रचना है, जो 1857 से 1947 तक के स्वतन्त्रता संग्राम का एक रेखाचित्र तो है ही, साथ ही साथ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की ऐतिहासिक विचार - यात्रा एवं उनके महाप्राण चरित्र तथा उदात्त मानवीय भावों की व्यंजना इस रचना की विशिष्टता है। भारतीय इतिहास तथा महात्मा गाँधी के जीवन की मर्मस्पर्शी घटनाओं के चयन में कवि का काव्य- कौशल सराहनीय है। केवल हजार - बारह सौ पंक्तियों में लगभग एक शताब्दी के घटना - प्रवाह एवं चिन्तन को समेट कर पाठकों के समक्ष कलात्मक ढंग से प्रस्तुत कर देना साधारण काव्य-प्रतिभा का काम नहीं है।
(2) कथा-संगठन - कवि ने कथा संगठन में इस बात का ध्यान रखा है कि गत सौ वर्षों की उन सभी प्रमुख घटनाओं को सूत्रबद्ध कर दिया जाय, जिनका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास और गाँधी जीवन-गाथा के साथ-साथ गाँधी- दर्शन में विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान हों। आदि से अन्त तक कथा में देश-प्रेम की ओर विशेष ध्यान दिया गया है। यथा-
सब से मनोहर था सनातन देश जो
सबसे पुरातन पूर्ण वैदिक सभ्यता
जिस भूमि पर फूली फली
फूटी जहाँ से प्रथम किरणें ज्ञान की,
जिसकी गहन गिरि कन्दराओं में पली
दिक्काल जित मुनि सप्तमों की साधना ।
देश-प्रेम के साथ राष्ट्रीय एकता, भावात्मक समन्वय, अन्तर्राष्ट्रीय चेतना, वैज्ञानिक प्रवृत्ति, सहयोग और सद्भावना के प्रति आस्था के स्वर भी खण्डकाव्य में स्थान-स्थान पर बड़ी ही सुन्दरता के साथ मुखर हुए हैं।
(3) रस निरूपण – प्रस्तुत खण्ड-काव्य में वीर रस की प्रधानता है। पूरा खण्डकाव्य ही स्वतन्त्रता-संग्राम के वर्णन में ओज गुणों से परिपूर्ण हैं, किन्तु इसके साथ-ही-साथ कवि ने यत्र-तत्र शान्त, श्रृंगार तथा करुण रसों का समावेश किया है।
आलोक वृत्त खंड काव्य की कलात्मक विशेषताएँ
(1) कथोपकथन - विवरण को विस्तार के साथ प्रस्तुत करने के प्रति कवि का विशेष आग्रह नहीं है; इसीलिए कथा में कथोपकथन को प्रमुखता नहीं दी गयी है। फिर भी कवि ने गाँधी जी का अपनी माँ से वार्तालाप, चम्पारन सत्याग्रह में सहयोगियों से बातचीत, न्यायालय में न्यायाधीश के समक्ष वक्तव्य, नागपुर और मुम्बई के कांग्रेस अधिवेशनों में उनके प्रेरक सन्देश, कस्तूरबा से बापू का काल्पनिक वार्तालाप आदि सन्दर्भों में कवि ने बड़े ही सशक्त और प्रभावशाली कथोपकथन अत्यन्त ही संक्षिप्त, स्वाभाविक, तर्कसंगत और ओजपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है।
(2) उद्देश्य - खण्डकाव्य का प्रमुख उद्देश्य स्वतन्त्रता - संग्राम के इतिहास और बापू के जीवन की एक झाँकी प्रस्तुत करके पाठकों में मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था को प्रतिस्थापित करना है तथा पीड़ित मानवता को सत्य और अहिंसा का शाश्वत सन्देश देकर उनमें प्राण फूँकना है।
(3) भाषा-शैली - प्रस्तुत खण्डकाव्य की भाषा अत्यन्त ही सशक्त और ओज गुण से सम्पन्न शुद्ध खड़ीबोली है। भाषा में सरल तथा बोधगम्य तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है। यत्र-तत्र मुहावरों और सूक्तियों के प्रयोग से अभिव्यक्ति में जान आ गयी है।
शैली अत्यन्त ही रोचक और लालित्यपूर्ण है। ओज गुण का निर्वाह आद्योपान्त हुआ है। किन्तु जिन प्रसंगों में माधुर्य की अपेक्षा की जा सकती है, वहाँ भाषा अत्यन्त ही मधुर हो गयी है। सर्वत्र काव्य में प्रसाद गुण का प्राचुर्य है।
(4) छन्द और अलंकार - खण्डकाव्य के आठ सर्गों में दस से अधिक छन्दों का प्रयोग हुआ है। अलंकारों के प्रति कवि का विशेष आग्रह नहीं है।
COMMENTS