आलोक वृत्त खंड काव्य के नायक का चरित्र चित्रण : 'महात्मा गाँधी' यशस्वी कवि गुलाब खंडेलवाल के खंडकाव्य 'आलोक-वृत्त' के नायक हैं, जो भारतीय स्वतंत्रता-स
आलोक वृत्त खंड काव्य के नायक का चरित्र चित्रण - Alok Vritt Khand Kavya ke Nayak ka Charitra Chitran
'महात्मा गाँधी' यशस्वी कवि गुलाब खंडेलवाल के खंडकाव्य 'आलोक-वृत्त' के नायक हैं, जो भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के साथ-साथ सत्य, अहिंसा और सदाचार के सूत्रधार हैं। 'महात्मा गाँधी' में मानवोचित दुर्बलताएं भी हैं, किन्तु वे उनमें सुधार लाकर आत्म-चिंतन द्वारा एक आदर्श धीरोदत्त नायक बन जाते हैं।
संक्षेप में 'महात्मा गाँधी'(आलोकवृत्त खंडकाव्य के नायक) के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
- मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था
- स्वतन्त्रता के प्रति ललक
- मातृ-पितृ भक्त
- राष्ट्र-प्रेम
1. मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था - राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी में मानवीय मूल्यों के प्रति घोर आस्था है । वे बचपन से ही मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए लालायित हैं और इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए समुद्र पार ग्रहण करते हैं -
मन्त्र पुराने काम न देते, मन्त्र नया पढ़ना है।
मानवता के हित मानव का रूप नया गढ़ना है ।।
सागर के उस पार शक्ति का कैसा स्रोत निहित है।
ज्ञान और विज्ञान कौन वह जिससे विश्व विजित है ।।
2. स्वतन्त्रता के प्रति ललक- महात्मा गाँधी में देश की स्वतन्त्रता के लिए बचपन से ही ललक है । वे उस स्वतन्त्रता की प्राप्ति के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देते हैं। आजादी की लड़ाई के प्रति पहले से ही तैयार हैं। वे अन्धविश्वास और 33 परम्पराओं से आबद्ध घेरे में रहना नहीं चाहते ।
3. मातृ-पितृ भक्त- वे माता-पिता के पूर्ण भक्त तथा आज्ञा-पालक सेवक थे। उनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। कवि के शब्दों में-
रुग्ण पिता की सेवा में रहते थे सतत निरत जो
मिल पाये कैसे माँ का आदेश विदेश गमन को
चैन न लेने देती थी चिन्ता मोहन के मन को । ।
4. राष्ट्र-प्रेम- भारत राष्ट्र के प्रति उनमें अटूट प्रेम था। इसके लिए तो उन्होंने वकालत तक छोड़ दी और जीवन भर महान कष्ट सहते रहे। इसी कारण वे भगवान से प्रार्थना करते हैं-
प्रभो ! इस देश को सत्पथ दिखाओ ।
लगी जो आग भारत में बुझाओ ।
मुझे दो शक्ति इसको शान्त कर दूँ।
लपट में रोष की निज शीश धर दूँ ।
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