आकलन का अर्थ परिभाषा और उद्देश्य लिखिए

आकलन का अर्थ परिभाषा और उद्देश्य लिखिए: आकलन हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। मूलतः आकलन शब्द Assessment की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द 'ad sedere' (to

आकलन का अर्थ परिभाषा और उद्देश्य लिखिए

आकलन का अर्थ: आकलन हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। मूलतः आकलन शब्द Assessment की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द 'ad sedere' (to sit beside) से मानी जाती है जिसका अर्थ है 'पास में बैठना'। वस्तुतः मध्यकालीन लैटिन समुदाय में जज के सहायक का कार्य टैक्स निर्धारित करने के उद्देश्य से किसी की संपत्ति का अनुमान लगाना होता था। बाद में इस शब्द का अर्थ परिवर्तित होकर 'किसी व्यक्ति विचार आदि के बारे में निर्णय लेना' हो गया। सामान्य अर्थों में आकलन का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह से सबंधित सूचना संग्रहण की प्रक्रिया से है ताकि व्यक्ति या समूह विशेष के सन्दर्भ में कोई निर्णय लिया जा सके।

आकलन की परिभाषा (Definition of Assessment in Hindi)

कैम्ब्रिज शब्दकोष के अनुसार, "आकलन का तात्पर्य किसी चीज की कीमत, वैल्यू, गुणवत्ता या महत्व का निर्णय अथवा निर्धारण करना है।"

वालेस, लार्सन एवं एल्क्सनीन, 1992, के अनुसार “आकलन का तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह के बारे में सूचना संग्रहण, विश्लेषण एवं उनका अर्थ निकालने की प्रक्रिया से है जिस से किसी व्यक्ति के बारे में अनुदेशनात्मक, निर्देशनात्मक अथवा प्रशासनिक निर्णय लिये जा सकें।

आकलन का अर्थ उदेश्यपूर्ण क्रियाओं द्वारा सूचना संग्रहण एवं व्यवस्थापन की प्रक्रिया से है ताकि शिक्षण, अधिगम एवं विभिन्न व्यक्तियों के सन्दर्भ में उनका अर्थ निकला जा सके और प्रायः पूर्व निर्धारित मानदंडों से उसकी तुलना की जा सके।

यदि हम आकलन की उपरोक्त परिभाषा का विश्लेषण करें तो यह पाते हैं कि आकलन के मुख्यतः पांच पहलू हैं:

  • उद्देश्य पूर्ण कार्य
  • सूचना संग्रहण
  • सूचनाओं का विश्लेषण
  • सूचना का अर्थ निकलना
  • अनुदेशनात्मक, प्रशासनिक अथवा निर्देशनात्मक निर्णय

आकलन के उद्देश्य (Purpose of Assessment in Hindi)

आकलन के उद्देश्य को निम्न बिन्दुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है: (1) शिक्षण पूर्व उद्देश्य, (2) शिक्षण के दौरान के उद्देश्य, (3) शिक्षण के उपरांत के उद्देश्य

शिक्षण पूर्व उद्देश्य:

  1. अनुदेशन से पूर्व विद्यार्थी के पूर्व ज्ञान को जानने के लिए
  2. अधिगम की कठिनाई अथवा अग्रिम ज्ञान को जानने के लिए
  3. अनुदेशन की योजना बनाने के लिए

शिक्षण के दौरान के उद्देश्य

  1. अनुदेशन की प्रभाविता को जानने के लिए
  2. अधिगम के दौरान विद्यार्थी की समस्याओं को जानने के लिए
  3. अनुदेशन के बारे मे प्रतिपुष्टि के लिए
  4. नैदानिक अनुदेशन के लिए

शिक्षण के उपरांत के उद्देश्य

  1. शैक्षिक संप्राप्ति के प्रमाणन के लिए
  2. विद्यार्थियों के शैक्षिक संप्राप्ति के आधार प्र ग्रेड प्रदान करने के लिए
  3. सम्पूर्ण शिक्षण की प्रभाविता जानने के लिए
  4. शिक्षक के स्वमूल्यांकन के लिए

आकलन का पारंपरिक व्यवहारवादी दृष्टिकोण: अधिगम का आकलन (Assessment of Learning)

आकलन के पारंपरिक व्यवहारवादी दृष्टिकोण जिसे अधिगम का आकलन की संज्ञा भी दी जाती है का मुख्य उद्देश्य ‘योगात्मक' है जो सामान्यतः किसी कार्य या कार्य की, इकाई की समाप्ति पर किया जाता है। वस्तुत: 'अधिगम का आकलन' विद्यार्थी की संप्राप्ति के प्रमाण उसके माता पिता, शिक्षक, विद्यार्थी स्वयं अथवा अन्य व्यक्तियों के लिए प्रस्तुत करता है। अधिगम का आकलन वस्तुतः व्यवहारवाद की देन है । व्यवहारवाद मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है जो मानव के सभी प्रत्यक्ष व्यवहारों का अध्ययन करता है। व्यवहारवाद का जनक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक जे. बी. वाटसन को माना जाता है। व्यवहारवाद पर आधारित अधिगम सिद्धान्तों में सबसे प्रमुख योगदान बी. एफ. स्किनर का है। व्यवहारवाद, अधि को अधिगम को, अधिगम हेतु प्रेरित उद्दीपक एवं अनुक्रिया के मध्य एक संबंधन के रूप में देखता है जो पुरस्कार एवं दण्ड के द्वारा संचालित होता है। मनोविज्ञान पर व्यवहारवादी दृष्टिकोण ने गहरा प्रभाव डाला है। शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया पर भी अधिकांश अनुसन्धान एवं सिद्धांतों का विकास व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों द्वारा किये गए। शिक्षण एवं अधिगम सम्पूर्ण प्रक्रिया पर 1990 के दशक तक सर्वाधिक प्रभाव व्यवहारवाद का रहा और तदनुसार शैक्षिक आकलन एवं मूल्याङ्कन की रूप रेखा पर भी इनका गहन प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। व्यवहार वादी मनोवैज्ञानिक अतिवातावरण वादी (Extreme Environmentalist) थे। व्यवहार वादियों की मान्यता थी कि

  • मानव का सम्पूर्ण अधिगम मानव एवं वातावरण के पारस्परिक अनुक्रिया के कारण विभिन्न उद्दीपक एवं उनके प्रति अनुक्रिया के संबंधन का परिणाम है
  • बालक जब पैदा होता है तब टेबुला रसा (tabula rusa) अर्थात एक खाली स्लेट के समान होता है व्यव्हारवादियों ने चिंतन, समस्या समाधान, स्मृति जैसी मानसिक प्रक्रियाओं की जन्मजात उपस्थिति की उपेक्षा की
  • मानव व्यवहार मापनीय एवं निरिक्षणीय होते हैं
  • व्यवहार वाद के अनुसार अधिगम उद्दीपक एवं अनुक्रिया के बीच विभिन्न पुनर्बलनों की सहायता से किये गए अनुबंधन का परिणाम है
  • दिए गए उद्दीपक पर सीखी गयी अनुक्रिया बार बार प्रदान करना अधिगम का सूचक है
  • शिक्षक का प्रयास शिक्षण के दौरान उद्दीपक एवं अनुक्रिया के मध्य के संबंधन शिक्षक उपयुक्त समझता है, पुनर्बलन के द्वारा मजबूत करना है

इस प्रकार व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों ने शिक्षण अधिगम की सम्पूर्ण प्रक्रिया में मानव संज्ञान यथा सोचने की क्षमता, तर्क करने की क्षमता, समस्या समाधान की क्षमता, व्यक्ति का सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य आदि सभी की उपेक्षा करते हुए विद्यार्थी को एक निष्क्रिय ग्रहण कर्ता के रूप में देखते हुए शिक्षण अधिगम हेतु विभिन्न विधियों एवं तदनुसार आकलन के मानक तय कर दिए। व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों ने अपनी विभिन्न मान्यताओं के आधार पर आकलन के जो मानक तय किये उनके अनुसार आकलन का उद्देश्य दिए गए उद्दीपक पर विद्यार्थी से अपेक्षित अनुक्रिया प्राप्त करना है (जो उसे अनुबंधन के दौरान सिखाई गयी है) एवं आकलन मुख्यतः सीखी गयी अनुक्रिया के प्रत्यास्मरण पर आधारित होना चाहिए।

अपनी विभिन्न मान्यताओं के आधार पर व्यवहारवादियों ने जो आकलन के उपकरण सुझाये वे प्रत्यास्मरण पर आधारित थे जिनमे लिखित परीक्षा अथवा पेपर पेंसिल टेस्ट प्रमुख थे। साथ ही व्यवहारवादियों ने आकलन के आधार पर विद्यार्थियों की रैंकिंग एवं उनके संप्राप्ति के मात्रात्मक आकलन को बढ़ावा दिया। परिणामतः धीरे धीरे योगात्मक आकलन की महत्ता बढती चली गयी। आकलन का उद्देश्य विद्यार्थियों के कथित अधिगम स्तर में विभेद करना एवं तदनुसार उन्हें विभीन्न श्रेणियों में रखना मात्र हो गया। इस कारण विद्यार्थियों पर विभिन्न प्रकार के प्रत्यास्मरण पर आधारित परीक्षणों का बोझ बढ़ता चला गया और उनकी रचनात्मकता की उपेक्षा होती गयी। वयवहार वादियों द्वारा सुझाये गए आकलन एवं आकलन के उपकरण मुख्यतः विद्यार्थी केन्द्रित न होकर पाठ्यवस्तु केन्द्रित थे। साथ ही व्यवहार वादियों ने अधिगम के संज्ञानात्मक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पक्षों की भी उपेक्षा की और संस्कृति मुक्त (Culture Free or Culture Fair) परीक्षणों के विकास पर ध्यान केंद्रित रखा फलतः अधिगम का उद्देश्य पाठ्यक्रम की समाप्ति पर 'लिखित परीक्षाओं में उच्च अंक प्राप्त करना मात्र रह गया।

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