आकलन और मूल्यांकन में अंतर - Aaklan aur Mulyankan me antar: मूल्यांकन निर्धारित करता है कि पूर्व निर्धारित मानदंड के अनुसार विद्यार्थी ने सीखा या नही
आकलन और मूल्यांकन में अंतर - Aaklan aur Mulyankan me antar
आकलन और मूल्यांकन में अंतर: मूल्यांकन निर्धारित करता है कि पूर्व निर्धारित मानदंड के अनुसार विद्यार्थी ने सीखा या नहीं (सफल/ असफल) जबकि आकलन विद्यार्थी के दृढ़ विन्दुओं, उन क्षेत्रों जिनमे सुधार आवश्यक है एवं अंतर्दृष्टि के लिए प्रतिपुष्टि प्रदान करता है। वस्तुतः मूल्यांकन एक परंपरागत अवधारणा है जिसका प्रमुख उद्देश्य है विद्यार्थियों के बीच शैक्षिक संप्राप्ति के आधार पर अंतर करना और इसकी प्रकृति प्रायः योगात्मक है जबकि आकलन एक नवीन अवधारणा है जिसका उद्देश्य है विद्यार्थी निष्पादन में सुधार। आकलन एवं मूल्यांकन के प्रमुख अंतर को निम्नांकित टेबल में स्पष्ट किया गया है :
आकलन और मूल्यांकन में अंतर
अंतर का मानदंड | आकलन | मूल्यांकन |
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विषयवस्तु | रचनात्मक, अधिगम की उन्नति | योगात्मक, विद्यार्थी संप्राप्ति को जानना |
केंद्र | प्रक्रिया उन्मुखः शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया | उत्पाद उन्मुख : क्या सीखा गया |
उपयोगिता | नैदानिक: उन क्षेत्रों की पहचान जहाँ पर विद्यार्थी को समस्या है | निर्णयात्मकः ग्रेड एवं अंक के रूप में विद्यार्थी द्वारा क्या सीखा गया का निर्णय1 |
मुख्य भूमिका | विद्यार्थी एवं मूल्यांकनकर्ता दोनों की | मूल्यांकनकर्ता की |
प्रतिपुष्टि का आधार | व्यापक, निरीक्षण पर आधारित मजबूत एवं कमजोर (Strength and Weaknesses) पक्षों के रूप में | पूर्व निर्धारित मानक पर आधारित गुणवत्ता के स्तर के रूप में |
रिपोर्ट में वर्णन | विद्यार्थी के मजबूत बिंदु और किस प्रकार विद्यार्थी अपने प्रदर्शन को उन्नत कर सकता है अर्थात रचनात्मक आलोचना (Constructive Criticism) - प्रदर्शन की गुणवत्ता पूर्व निर्धारित | मानदंडों पर आधारित एवं कक्षा के अन्य विद्यार्थियों की तुलना में |
रिपोर्ट का उपयोगकर्ता | मुख्यतः विद्यार्थी ( अपने प्रदर्शन में सुधार के लिए) एवं शिक्षक (नैदानिक शिक्षण की योजना बनाने के लिए) | अन्य लोग यथा माता पिता, रोजगार प्रदाता अथवा अन्य संस्थाएं |
रिपोर्ट का उपयोग | विद्यार्थी के प्रदर्शन में सुधार | विद्यार्थी के सम्बन्ध में निर्णय लेने के लिए |
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