सूखी डाली एकांकी का कथावस्तु - Sukhi Dali Ekanki ki Kathavastu: सुप्रसिद्ध एकांकीकार उपेंद्रनाथ अश्क का 'सूखी डाली' एकांकी एक संयुक्त परिवार की जीवन श
सूखी डाली एकांकी की कथावस्तु - Sukhi Dali Ekanki ki Kathavastu
सूखी डाली एकांकी का कथावस्तु: सुप्रसिद्ध एकांकीकार उपेंद्रनाथ अश्क का 'सूखी डाली' एकांकी एक संयुक्त परिवार की जीवन शैली पर आधारित है। परिवार के मुखिया दादा मूलराज हैं। वे सदैव अपने परिवार के समस्त सदस्यों तथा बाल- बच्चों को स्नेह, श्रद्धा तथा अनुशासन में बाँध रखना चाहते हैं। मानो परिवार एक महान वटवृक्ष है। लेकिन उनके नाती की पत्नी परेश की पत्नी बेला नामक सुशिक्षित बहू आने पर घर में अशांति फ़ैल जाती है। बेला का स्वाभाव थोड़ा अलग है क्योंकि वह जिस परिवार से आई है वहां सास ससुर के घर में के लोगों के रहन-सहन में अंतर रहा। उसे मिसरानी को अच्छा नहीं लगता। वह बड़ों की आज्ञा न लेकर उसे काम से निकाल देती है। इसी यजह से ननद इन्दु से उसका झगड़ा हो जाता है। और इन्दु थोड़ा नमक मिर्च मिलाकर इसी बात को अपनी ताई को, चाची और भाभियों को ऐसे सुनाती है कि वे सब बेला के खिलाफ हो जाते हैं। बेला को घर की साजसज्जा और घर के फर्नीचर भी अच्छे नहीं लगते। इसलिए वह उन्हें घर से हटा देना चाहती है। जब नरेश ने उसे समझाया कि हमारे पुरखे भी इसी फर्नीचर का उपयोग करते आए हैं तब भी उसने सुनी नहीं। बेला की सास उसकी श्रद्धेया है।
नाटक का द्वितीय दृश्य आरंभ होता है। इसमें पुत्र कर्मचन्द दादा मूलराज के पाँव दबाता है। आंगन बरगद की एक डाली को तोड़कर बच्चे उसे रोपते और पानी देते हैं। उसी समय दादा बोलते हैं कि बरगद से टूटी डाली में लाख पानी देने पर भी क्या वह हरी-भरी हो सकती है ? उनका कहना है कि हमारा परिवार एक बटवृक्ष है और मैं इस वृक्ष की एक डाली भी टूटने नहीं दूंगा। अर्थात् मुखिया नहीं चाहते परिवार से नई बहू अलग हो जाए और पूरा घर बर्बाद हो जाए। इसलिए समस्त स्त्रियों को आदेश देते हैं कि वे सब बेला का आदर करें। उसकी हँसी न उड़ाएँ। उससे कोई घर का काम न कराया जाए और उसका बहुमूल्य समय नष्ट नहीं किया जाए। जब बेला को आवश्यकता से अधिक आदर किया जाता है और उसे कोई काम करने नहीं दिया जाता तब बेला खुद लज्जित होती है। दादा मूलराज भी उसे कपड़े धोने से रोकते हैं। बेला आश्चर्य और दुःखी हो जाती है। उसी समय इन्दु कह देती है कि दादाजी आप यह तो सहन नहीं कर पाएँगे कि परिवार रूपी बरगद की कोई डाली वृक्ष से लगी लगी ही सूख जाए। ऐसी हालत बेला की हो गई थी। इसलिए उसे भी अन्य स्त्रियों के साथ मिलजुल कर घर की व्यवस्थानुसार रहने की आज्ञा दी जाए। अतः एकांकी कला की दृष्टि से इसकी कथावस्तु अत्यंत सफल है।
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सूखी डाली की पात्र बेला का चरित्र चित्रण बताइए।
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