सरजू भैया कहानी का सारांश - Sarju Bhaiya Summary in Hindi ‘सरयू भैया' लेखक के पड़ोस में रहते हैं। उनका कोई भाई-बहन न होने के कारण वे लेख...
सरजू भैया कहानी का सारांश - Sarju Bhaiya Summary in Hindi
‘सरयू भैया' लेखक के पड़ोस में रहते हैं। उनका कोई भाई-बहन न होने के कारण वे लेखक को ही अपना छोटा भाई मानते थे। घर से सम्पन्न थे। लेकिन पिता की मृत्यु के साथ ही उनके ऊपर समस्याओं का कहर बरस पड़ा। ये अपने पिता की लेन-देन वाली परंपरा को नहीं संभाल पाए। बाढ़ ने खेती बरबाद की और भूकंप ने घर का सत्यानाश कर दिया।
यदि सरयू भैया की कद-काठी की बात करें तो इनकी गिनती गाँव के सबसे लम्बे और दुबले आदमियों में की जाती है। उनका रंग गुलाबी, बगुले सी बड़ी-बड़ी टाँगें, चिंपाजी की तरह बड़ी-बड़ी बाँहें हैं। वे हमेशा धोती पहने, और कंधे पर अंगोछा डाले रहते हैं। उनकी नाक खड़ी लम्बी, भवें सघन, बड़ी-बड़ी आखें, गाल पिचके, चमकीले पंक्तिबध्द छोटे-छोटे दाँत और पसलियाँ ऐसी जिन्हें आप आसानी से गिन सकते हो। उनके शरीर की नसें ऐसी दिखाई देती हैं मानो शरीर को कोई
रस्सी उलझाए हुए है। उन्हें देखने पर वे भूखमरे या मनहूस आदमी प्रतीत होते हैं । उनकी पाँच संतानें हुई। जिनमें सिर्फ बेटियाँ ही बेटियाँ थी। और उनकी पत्नी लम्बाई में उनसे ठीक आधी थी। हाल ही में बेटा पाने के अरमान को लिए इस दुनिया से चल बसी। उनके पास इतनी संपत्ति है कि अपने परिवार का पेट भरने के अतिरिक्त आगत अतिथियों की सेवा सत्कार भी मजे में कर सकते हैं।
सरयू भैया एक नेक दिल इंसान हैं। वे गाँव के चंद जिंदादिल लोगों में गिने जाते हैं। उन्होंने अपना जीवन परोपकार हेतु समर्पित कर दिया है जिसके चलते उनका शरीर तो सूख ही गया है साथ ही सम्पत्ति का भी बड़ा नुकसान हो गया। गाँव घर में सभी के अच्छे-बुरे कामों में सरयू भैया की उपस्थिति सबसे पहले रहती थी। लोग उनके इस व्यवहार का दुर्पयोग करने से नहीं कतराते थे। उनके पास जो भी व्यक्ति अपनी समस्या लेकर पहुँचता वह निराश होकर नहीं जाता और जब देने की बात आती थी तो सूद की बात तो दूर मूलधन भी नहीं लौटाते थे।
एक बार वे बड़े ही दुखी अवस्था में लेखक के पास आए। उन्होंने देखा की उनकी हालत बहुत खराब थी और आँखों से आँसू बह रहे थे। मालूम पड़ा उनके घर में एक छोटी सी घटना घटी थी। उन्हों ने बताया कि एक सूदखोर महाजन से उन्होंने कुछ रुपये लिए थे समय पर न लौटा पाने के कारण अब वह नालिश की धमकी दे रहा है। लेकिन लोगों ने उनकी समस्या का समाधान करना तो दूर उल्टे उन्हें उल्झाने में कोई कोर कसर नहीं की। मैंने उन्हें आश्वासन दिया लेकिन लोगों की कृतघ्नता ने लेखक की रात भर नींद उड़ा दी।
इस प्रकार लेखक ने समाज के लोगों की लालची, चाटुकारी व स्वार्थी प्रवृत्ति को उकेरने का प्रयास किया। और परोपकार की सीमाओं पर नियंत्रण रखने की ओर संकेत किया है।
सरयू भैया का चरित्र-चित्रण :
सरयू भैया की गणना गाँव के सबसे लम्बे और दुबले आदमियों में की जाती है। उनका रंग गुलाबी, बगुले सी बड़ी-बड़ी टाँगे, चिंपाजी की तरह बड़ी-बड़ी बाँहे हैं। वे हमेशा धोती पहने, और कंधे पर अंगोछा डाले रहते हैं। उनकी नाक खड़ी लम्बी, भवें सघन, बड़ी-बड़ी आँखें, गाल पिचके, चमकीले पंक्तिबध्द छोटे-छोटे दाँत और पसलियाँ ऐसी जिन्हें आप आसानी से गिन सकते हो। उनके शरीर की नसें ऐसी दिखाई देती हैं मानो शरीर को कोई रस्सी उलझाए हुए है। उन्हें देखने पर वे भूखमरे या मनहूस आदमी प्रतीत होते हैं। उनकी पाँच संतानें हुई। जिनमें सिर्फ बेटियाँ ही बेटियाँ थी । और उनकी पत्नी लम्बाई में उनसे ठीक आधी थी। हाल ही में बेटा पाने के अरमान को लिए इस दुनिया से चल बसी । उनके पास इतनी संपत्ति है कि अपने परिवार का पेट भरने के अतिरिक्त अतिथियों की सेवा सत्कार भी मजे में कर सकते हैं। इतना सबकुछ होने के बावजूद वे सादगी भरा जीवन व्यतीत करते थे।
सरयू भैया के गाँव के किसी घर में कोई बीमार पड़ जाए और वैद्य को बुलाना हो तो तुरंत सरयू भैया की खोज शुरू हो जाती है। किसी बुजुर्ग व्यक्ति का बाजार से सौदा लाना हो तो सरयू भैया, किसी का रिश्तेदार किसी दूसरे गाँव में यदि बीमार हो और खबर लानी हो, किसी को रजिस्ट्री करनी हो, शिनाख्त के लिए सरयू भैया, किसी के घर शादी व्याह या मुंडन आदि हो तो सरयू भैया अस्त व्यस्त रहते। किसी के घर पर आधी रात में किसी की मृत्यु हो जाती है तो कफन लाने के लिए सरयू भैया को ही ढूँढ़ा जाता था। इस प्रकार गाँववालों के लिए समर्पित सरयू भैया खुद अपने घर और खेत नहीं बचा पाते हैं क्योंकि इन्हें गाँववालों के कामों से फुरसत ही नहीं मिल पाती थी। इस प्रकार वैद का दवाखाना और पादरी के फाटक की तरह ही सरयू भैया के सेवा रूपी द्वार गाँव वालों के लिए चाबीसों घंटे खुले ही रहते हैं।
एक बार वे बड़े ही दुखी अवस्था में लेखक के पास आए। उन्होंने देखा की उनकी हालत बहुत खराब थी और आँखों से आँसू बह रहे थे। मालूम पड़ा उनके घर में एक छोटी सी घटना घटी थी। उन्हों ने बताया कि एक सूदखोर महाजन से उन्होंने कुछ रुपये लिए थे समय पर न लौटा पाने के कारण अब वह नालिश करने की धमकी दे रहा है। लेकिन लोगों ने उनकी समस्या का समाधान करना तो दूर उल्टे उन्हें उल्झाने में कोई कोर कसर नहीं की। मैंने उन्हें आश्वासन दिया लेकिन लोगों की कृतघ्नता ने लेखक की रात भर नीद उड़ा दी।
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