सरहद के उस पार कहानी का सारांश - Sarhad Ke Us Paar Kahabu ka Saransh: रिपोर्ताज रचनाकार रेणु जी ने सरहद के उस पार रिपोर्ट में बताया है कि बिहार स्थित
सरहद के उस पार कहानी का सारांश - Sarhad Ke Us Paar Kahabu ka Saransh
फणीश्वर नाथ रेणु रिपोर्ताज लेखन के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। इन्होंने अपने इस ‘सरहद के उस पार' रिपोर्ताज में भारत के पड़ोसी मित्र देश नेपाल की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक दशा का वर्णन किया है।
सरहद के उस पार कहानी का सारांश: रिपोर्ताज रचनाकार रेणु जी ने सरहद के उस पार रिपोर्ट में बताया है कि बिहार स्थित कटिहार जिले से दस गज की दूरी पर नेपाल राज्य का विराट नगर स्थित है। विराटनगर कल-कारखानों, ‘मिलों का नगर है।' हिमालय की गोद में बसा नेपाल हिमालय की सुनहरी चोटियों से घिरा हुआ, मनमोहक सुन्दर है, जहाँ जाने के लिए किसी का भी दिल मचल उठता है। कटिहार से अपनी तलाशी देकर यदि आपके पास से कोई आपत्तिजनक चीज नहीं निकलती तो आराम से जाया जा सकता है वरना म्युनिसिपलटी के कुड़ा ढोने वाले ट्रक में भी जगह नहीं मिलेगी। यदि गलती से भी कोई स्वयं को सोशलिस्ट कह दे या विराटनगर में मजदूर यूनियन बनाने की बात कह दे या मजदूरों की, दलित का अध्ययन करनेवाला बता दे तो उसकी सारी किताबें, सारी चीजें जब्त कर ली जाएँगी, उसके सामने अनेक मुश्किलें खड़ी कर दी जाएँगी।
नेपाल की प्रकृति की गोद में जूट मिल्स, कॉटन मिल्स के मालिकों-साहबों के लिए एक से बढ़कर एक स्वर्ग-सा आनन्द देने वाले सुन्दर-सुन्दर बंगलो बने हुए हैं जहाँ बड़े बड़े मालिक - साहब - अधिकारी नेता बड़े आराम से आनन्दमय जीवन जीते हैं और नेपाल सरकार उन तमाम पूँजीपतियों रूपी जहरीले साँपों को हर तरह की सहायता - सहूलियतें प्रदान करती है। नेपाल सरकार के सहयोग से ही ये जहरीले साँप (पूँजीपति वर्ग) अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं मसलन मैंच फैक्टरी, हाइड्रो इलैक्ट्रिक, सूगर मिल्स, पेपर मिल्स और सीमेन्ट मिल्स धड़ाधड़ खुल रही हैं। इसके साथ ही अबोध नेपाली जनता की गाढ़ी कमाई की रकम विदेशी बैकों के खाते में भरी जा रही है। नेपाली जनता की जिन्दगी दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है क्योंकि नेपाल राज्य इन पूँजीपतियों के घर का बंधक न बन जाए, इसी बात की आशंका है। हालाँकि अब नेपाल के चैतन्य समाज की आँखें खुल चुकी हैं, लोग धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं। अब जनता भी समझने लगी है कि नेपाल के निरंकुश शासकों और इन पूँजीपतियों में गहरी सांठ-गाँठ है। इस गठबंधन के खिलाफ अब यहाँ जबर्दस्त सफल क्रान्ति होगी।
लेखक ने नेपाल की परिस्थितियों का गहरा अध्ययन किया है। उसने नेपाल के जंगलों में राजनीति और साहित्य की शिक्षा प्राप्त की है, नेपाल की काठ की कोठरी में समाजवाद को समझा, पहाड़ की कंदराओं में बैठकर रूस की राज्यक्रान्ति का नेपाली भाषा में अनुवाद करते हुए उस नेपाली पागल नौजवान की चमकती हुई आँखों को अपनी जिन्दगी में मशाल के रूप में ग्रहण किया है।
सन् १९४२ में नेपाल के बापू ने वहाँ प्रजातंत्र कायम करने का सपना देखा था परन्तु उन्हें नेपाल सरकार ने मार डाला।
उनके जाने के बाद शिक्षित जागरूक युवकों ने उनके इस मशाल को जलाए रखा। ये सभी समाजवाद के हिमायती थे। हिन्दुस्तान में नेपाली काँग्रेस का जन्म और प्रसिद्ध समाजवादी श्री विश्वेश्वर प्रसाद कोइराला की रहनुमाई में लेखक के इस कथन की सत्यता को जाँचा परखा जा सकता है। अंग्रेजों के जाने के बाद नेपाल गुरखों ने कभी गलती से भी एक राउंड गोली हिन्दुस्तानी नागरिकों पर चला दी तो नेपाल की एक तिहाई आबादी आत्म-ग्लानि से सिर झुका लेगी। भारत की अगली क्रान्ति में नेपाल जबर्दस्त हिस्सा लेगा। पर हमारे देश के नेताओं की निगाह में दुनिया भर के लिए दर्द है परन्तु नेपाल की शोषित जनता के लिए उनके मुँह से एक शब्द नहीं निकलता।
अब नेपाल में प्रगतिशील साहित्यकारों, कलाकारों की संख्या बढ़ रही है। नेपाली साहित्य 'सिपाही', 'कैकयी', 'परालो को आग' आदि रचनाओं को लेकर नेपाल की साहित्यिक मंडली दुनिया की किसी भी साहित्यिक प्रतियोगिता में सम्मान प्राप्त कर सकती है। प्रकृति - सुषमा से संबंधित साथ ही यथार्थवादी रचनाओं की यहाँ कमी नहीं है। नेपाल खूबसूरत देश है परन्तु समय के साथ यह पिछड़ता जा रहा है। बरसात में सड़कों पर घुटने-घुटने भर कीचड़, गर्मियों में धूल, गरीबी, भ्रष्टाचार अशिक्षा जैसी तमाम समस्याएँ ऐसी हैं, जिसका समाधान कर नेपाल को और सुन्दर बनाया जा सकता है परन्तु शासक वर्ग और ठेकेदारों की मिली भगत से गड़बड़ - घोटालों को समझना आसान नहीं है क्योंकि इस कौम को यहाँ की सरकार ने सदियों से मूर्ख-अनपढ़ बनाकर अंग्रेजी सरकार की सेवा के लिए रिजर्व रखा है। परन्तु अब इनमें समझ आने लगी है जागरूकता बढ़ने लगी है, शासक वर्ग की चाल समझ में आने लगी है।
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