मीनू का चरित्र चित्रण (नया रास्ता) - मीनू नामक नवयुवती नया रास्ता उपन्यास की नायिका है। वह दयाराम जी की बड़ी बेटी है। पूरी कथा मीनू को केन्द्र में रखक
मीनू का चरित्र चित्रण (नया रास्ता) - Meenu ka Charitra Chitran
मीनू का चरित्र चित्रण- मीनू नामक नवयुवती नया रास्ता उपन्यास की नायिका है। वह दयाराम जी की बड़ी बेटी है। पूरी कथा मीनू को केन्द्र में रखकर लिखी है। मीनू साँवले रंग व दहेज की कमी के कारण कई बार विवाह हेतु, नापसंद किए जाने पर शुरू में निराश हो जाती है लेकिन फिर आगे की पढ़ाई पूरी कर वकील बनने का निश्चय करती है और एक प्रतिष्ठित वकील बन समाज में आदर व सम्मान पाती है।
आधुनिक विचारों की समर्थक: मीनू होशियार, समझदार, बड़ों का आदर करने वाली, संस्कारी, शांत स्वभाव वाली, मेहनती, कुशल नृत्यांगना, साहसी, धैर्यशाली, दृढ़ निश्चयी व भावुक है। वह समाज की रूढ़ियों में विश्वास नहीं करती। वह समाज के तानों को सुनकर विचलित नहीं होती। कड़े परिश्रम व लगन के बल पर प्रत्येक परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करती है। वह आधुनिक युग से प्रभावित, पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने का निर्णय करती है।
अपाहिजों के प्रति सहानुभूति: अमित व उसके परिवार द्वारा किए गए दुर्व्यवहार को भी भुलाकर अमित से मिलने अस्पताल जाती है। वह विवाह में की जाने वाली फ़िजूलखर्ची के खिलाफ़ है। उसके मन में अपाहिजों के प्रति बचपन से ही सहानुभूति का भाव है। वह अपने विवाह - आयोजन में खर्च होने वाले रुपयों में से पाँच हजार रुपए से अपाहिज मनोहर को दुकान खुलवाकर उसकी मदद करती है। मीनू का सुझाव स्वीकार कर लिया जाता है और घर के सामने मनोहर को पान की दुकान खुलवा दी जाती है। मीनू की उदारता ने अपंग मनोहर की जिन्दगी सुधार दी। मीनू बहुत ही सुलझे विचारों वाली एक जागरूक नवयुवती है। मीनू समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत कर विपरीत परिस्थितियों का हिम्मत से सामना करने की प्रेरणा देती है।
प्रगतिशील लड़की: पिता के बीमार होने पर मीरापुर आती है। पिता की सेवा में जुट जाती है। शादी करने के प्रस्ताव को ठुकरा देती है। बिना लक्ष्य की पूर्ति के वह विवाह नहीं करना चाहती। एक सप्ताह पिता की सेवा करके मेरठ वापस चली जाती है। पहले आशा की शादी करने का सुझाव देती है। दृढ़ संकल्पी। माँ उसके सुझाव का समर्थन करती है। आशा की शादी तय हो जाती है। सहनशील, आशा की शादी के दिन स्त्रियों के ताने सुनकर भी अपने दिल की पीड़ा को वह चेहरे तक नहीं आने देती।
जोशीली अधिवक्ता मीनू - मीनू ने मात्र आठ महीने में वकालत में अपनी धाक जमा ली। देखने में पतली, कद में छोटी, मीनू की आवाज में जोश और कर्म के प्रति उत्साह झलकता था। उसकी बुलन्दी के चर्चे चारों ओर फैल गये थे। उसकी रौबीली आवाज ने सबके मन को मोह लिया था। देखने में साधारण पर उसमें अदम्य साहस था।
क्षमावान: नीलिमा से अमित के एक्सीडेंट की बात सुनकर मीनू चौंक उठती है। पता पूछकर मेडिकल कॉलेज जाती है। मीनू अमित के कर्मों को पाप नहीं मानती है। अमित जब अपनी भूल स्वीकार कर लेता है और रोने लगता है । तो उसकी बातों से भाव-विभोर होकर मीनू के नेत्रों में आँसू आ जाते हैं। वह उसे दिल से क्षमा कर देती है। मीनू सोचती है कि शायद अमित और उसका रिश्ता न जाने कितना पुराना है। जब उसे मालूम होता है मायाराम जी ने माफी माँगी है, वे अपनी गलती पर शर्मिन्दा है और अमित ने इस भूल का प्रायश्चित करने के लिए आज तक विवाह नहीं किया तो वह माँ से कह देती है कि जैसा आप उचित समझें वैसा करें। पर मैं किसी प्रकार की फिजूलखर्ची पसन्द नहीं करूँगी । इस स्वीकृति को पाकर माँ ने चैन की साँस ली।
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