महाभारत की एक साँझ के पात्रों का चरित्र चित्रण: आलोच्य एकांकी महाभारत की एक साँझ में पांच चरित्र हैं - दुर्योधन, भीम और युधिष्ठिर मुख्य चरित्र संजय औ
महाभारत की एक साँझ के पात्रों का चरित्र चित्रण
आलोच्य एकांकी महाभारत की एक साँझ में पांच चरित्र हैं - दुर्योधन, भीम और युधिष्ठिर मुख्य चरित्र संजय और धृतराष्ट्र गौण। इस लेख में महाभारत की एक साँझ के सभी पात्रों का चरित्र चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
दुर्योधन का चरित्र चित्रण
महाभारत की एक साँझ एकांकी में दुर्योधन का चरित्र अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वह धृतराष्ट्र का सबसे बड़ा पुत्र है। दुर्योधन का वास्तविक नाम सुयोधन है परन्तु अपने दुराचरण के कारण वह दुर्योधन के रूप में जाना गया। वह योद्धा है, पराक्रमी है परंतु उसके सारे सेनापति मारे जाते हैं तब वह एक कायर की भाँति दैतवन के जलाशय में छुप बैठता है। पांडव यह जानकर दुर्योधन को युद्ध के लिए ललकारते हैं। फिर वह मजबूरन पानी से बाहर आकर युद्ध के लिए प्रस्तुत हो जाता है । और गदायुद्ध में उसकी मृत्यु होती है। परंतु मृत्यु तक वह अपने को निर्दोष समझता है। प्रस्तुत एकांकी में भारतभूषण अग्रवाल ने उसके चारित्रिक दोषों को उजागर नहीं किया है। उनका कहना है कि महाभारत युद्ध में क्यों कौरव वंश का ही सारा दोष है, पांडव का बिल्कुल नहीं। अतः दुर्योधन का कहना है वह सत्य-धर्म की लड़ाई लड़ता है, अन्याय की लड़ाई नहीं। इसलिए सारे न्यायी वीरों ने उसका पक्ष लिया है । इस प्रकार दुर्योधन का चरित्र-चित्रण अत्यंत मार्मिक ढंग से किया गया है।
युधिष्ठिर का चरित्र चित्रण
महाभारत की एक साँझ एकांकी में युधिष्ठिर का चरित्र भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे धार्मिक और सत्यवादी हैं। फिर भी वे दुर्योधन को दैवतन के जलाशय से निकालने के लिए उसके साथ खूब तर्क-वितर्क करते हैं। “ओ पापी ! अरे कपटी, दुरात्मा दुर्योधन क्या स्त्रियों की भाँति जल में छिपा बैठा है। बाहर निकल अब । देख, तेरा काल तुझे ललकार रहा है। ” युधिष्ठिर कुछ नहीं सुनना चाहते। सिवाय दुर्योधन की हार। वे दुर्योधन को उसकी वीरता को धिक्कारते हैं उसे कायर बताते हैं । अंत में उसे लड़ने के लिए उसकी पसन्द के मुताबिक गदा भी देते हैं। वे निहत्थे पर वार करना नहीं चाहते। वे रक्तपात युद्ध के खिलाफ होने के बावजूद अब अन्यायी का अंत करना चाहते हैं।
भीम का चरित्र चित्रण
भीम युधिष्ठिर का छोटा भाई है। वह भी युधिष्ठिर भैया के साथ दैवतन जलाशय के पास पहुंचकर दुर्योधन को ललकारता है। दुर्योधन दुर्योधन ! अरे अपने सारे सहयोगियों की हत्या का कलंक अपने माथे पर लगाकर तू कायरों की भाँति अपने प्राण बचाता फिरता है। तुझे लज्जा नहीं आती ? भीम योद्धा है वह दुश्मन दुर्योधन को लड़कर मारना चाहता है। उसका झूठ बर्दाश्त नहीं कर पाता। अंत में वह दुर्योधन को गदा युद्ध में मारकर विजय प्राप्त करता है।
संजय का चरित्र चित्रण
संजय धृतराष्ट्र को युद्ध की घटनाओं का वर्णन करके सुनाते हैं। उनके सारे प्रश्नों के उत्तर देते हैं। एकांकीकार ने धृतराष्ट्र को अपने पक्ष का विकाश और अपने पुत्र दुर्योधन की मृत्यु पर अत्यधिक व्याकुल होने का चित्र प्रदर्शित किया है। धृतराष्ट्र संजय से पूछते हैं - " किसके प्राणों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका यह भीषण विषफल हमें मिला ! ओह, क्या पुत्र स्नेह अपराध है, पाप है ?” इस प्रकार संजय उन्हें सुयोधन की सरोवर में छुपने की बात, युधिष्ठिर और भीम की ललकार की बात सब कुछ कहते-सुनाते हैं। यह सब सुनकर धृतराष्ट्र अत्यंत दुःखी हो जाते हैं। वे सहन नहीं कर पाते । संजय उन्हें धैर्य रखने के लिए बार-बार कहते हैं।
संबंधित लेख:
महाभारत की एक साँझ की कथावस्तु बताइए
COMMENTS