दो कलाकार कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। प्रत्येक कहानी का कोई-न-कोई उद्देश्य होता है। कहानीकार मन्नू भंडारी द्वारा लिखित दो कलाकार कहानी का उद्देश्य
दो कलाकार कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
प्रत्येक कहानी का कोई-न-कोई उद्देश्य होता है। कहानीकार मन्नू भंडारी द्वारा लिखित दो कलाकार कहानी का उद्देश्य समाज सेवा को कला का दर्जा देना है। चित्रों की अपेक्षा समाज-सेवा में कला की सच्ची संवेदना है। दूसरों की पीड़ा से अनुप्रेरित होने के कारण समाज-सेवा, चित्रकला से अधिक उपयोगी है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कहानीकार ने ऐसी स्थितियों और घटनाओं का चयन किया है, जिसमें दोनों ही पक्ष हिस्सा लेते हैं, और अपने-अपने कार्यों की उत्तमता का दावा करते हैं।
दो कलाकार कहानी के आरंभ में चित्रा कुछ लकीरें खींचकर दुनिया के श्रम को उजागर करती है, तो अरुणा हॉस्टल के इर्द-गिर्द रहने वाले बच्चों को पढ़ाकर और फुलिया दाई के बीमार बच्चे की सेवा करके सामाजिक कार्यों में संलग्न रहती है। इसी तरह एक बाढ़ पीड़ितों के काल्पनिक चित्र तैयार करती है तो दूसरी उनके लिए चंदा इकट्ठा कर शिविर में जाती है और लोगों को जीवनदान देने के पुण्य कार्यों में जुटी हुई है।
तीसरे खंड में चित्रा एक भिखारिन के बच्चों का स्केच बनाती हैं और अरुणा की मत्यु भिखारिन के बाद उसके दोनों बच्चों को पालती-पोसती है। कहानीकार ने इन सभी घटनाओं के माध्यम से समाज-सेवा को सहज रूप से उत्तम सिद्ध करना चाहा, और बताया कि मानवीय संवेदनाओं से भरा व्यक्ति ही सच्चा कलाकार हो सकता है। 'किस काम की ऐसी कला जो आदमी को आदमी न रहने दे', 'दुनिया की बड़ी से बड़ी घटना भी इसे आंदोलित नहीं करती, जब तक उसमें कला के लिए कोई स्थान न हो' जैसे संवादों से कहानीकार ने अपने उद्देश्य को स्पष्ट किया है और सहज रूप से आई घटनाओं, चरित्रों तथा संवादों के माध्यम से अपने उद्देश्य प्राप्त करने में सफलता पाई है।
घटनाओं के अतिरिक्त संवादों के माध्यम से भी कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। चित्रा और अरुणा जहाँ अपने-अपने कार्य को श्रेष्ठ बताती हैं वहीं उनके संवाद कहानी के उद्देश्य को रेखांकित करते हैं। चित्रा जहाँ बच्चों को पढ़ाने और फुलिया दाई के बीमार बच्चे की सेवा करने वाली घटना का मजाक उड़ाती है वहीं कहानी के अंत में अरुणा भी चित्रा द्वारा तैयार किए गए चित्र को चित्रा का कंफ्यूजन यानी भ्रम कहती है। अरुणा का यह संवाद कि 'किस काम की ऐसी कला जो आदमी को आदमी न रहने दे' कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट करता है। 'इन निर्जीव चित्रों की बजाए दो-चार की जिंदगी क्यों नहीं बना देती' जैसे संवाद भी उद्देश्य को स्पष्ट करने में सहायक हैं। इस प्रकार संवादों के माध्यम से भी लेखिका ने कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।
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