वाचक का चरित्र चित्रण: बहादुर कहानी में दूसरा प्रमुख पात्र वाचक है। अगर आप ध्यान से देखें, तो उसके चरित्र के दो पक्ष दिखाई देंगे। वाचक में मध्यवर्गीय
बहादुर कहानी में वाचक का चरित्र चित्रण
वाचक का चरित्र चित्रण: बहादुर कहानी में दूसरा प्रमुख पात्र वाचक है। अगर आप ध्यान से देखें, तो उसके चरित्र के दो पक्ष दिखाई देंगे। वाचक में मध्यवर्गीय व्यक्ति के गुण और दोष दोनों मिलेंगे। इसलिए उसके व्यक्तित्व का कोई पक्ष तो बुरा लगता है और कोई पक्ष अच्छा। पहला पक्ष तब सामने आता है, जब वह किशोर द्वारा पीटने और भद्दी गालियाँ देने पर बहादुर को बचाता तो है, लेकिन उसका यह भी मानना है कि नौकर तो पिटते ही रहते हैं। पिता को गाली दिए जाने पर बहादुर काम करने से मना कर देता है, तो उसे हँसी आती है। निर्मला बहादुर को पीटती है, तो वह निर्मला को नहीं समझाता, उलटे बहादुर को ही डाँटते हुए कहता है कि ज़्यादा रूठना- फूलना मुझे पसंद नहीं। रिश्तेदारों को ख़ुश रखने के लिए यह जानते हुए भी कि बहादुर चोरी नहीं कर सकता, वह उसे पीटता है।
मध्यवर्ग की एक सीमा यह होती है कि वह कुछ कार्य दिखाने के लिए करता है। उसे लगता है कि इससे उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। बहादुर को घर में नौकरी पर रखना इसका प्रमाण है। इस वर्ग के बहुत से लोग दूसरों के कहे या दबाव में आ जाते हैं। निर्मला और वाचक भी ऐसे ही पात्र हैं। निर्मला पड़ोस की स्त्री के कहने पर बहादुर के लिए रोटियाँ बनाना छोड़ देती है और वाचक रिश्तेदार के कहने पर बहादुर पर चोरी का शक करता है, उसे मारता है।
वाचक के व्यक्तित्व का एक रूप और भी है। उसका पछतावा बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह पूरी कहानी ही उसके पछतावे पर लिखी गई है।
इस कहानी में बहादुर मुख्य पात्र है, जिसके इर्द-गिर्द कहानी घूमती है। इसमें निर्मला, किशोर और निर्मला के रिश्तेदार कहानी को आगे बढ़ाने में सहायक हैं- ऐसे पात्रों को गौण पात्र कहते हैं। इन गौण पात्रों में से किशोर के विषय में आपने ज़रूर कुछ सोचा होगा। किशोर और बहादुर लगभग एक ही आयु के हैं। इस आयु वर्ग के किशोरों में मूलतः समानता होती है लेकिन वातावरण, सामाजिक परिस्थिति, आर्थिक स्थिति, पारिवारिक स्थिति आदि के कारण व्यवहार में अंतर आ जाता है। दोनों में समानता यह है कि कोई फैसला लेते समय दोनों सोचते - विचारते नहीं ।
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