बाबू जगत सिंह का चरित्र चित्रण: बाबू जगत सिंह बात अठन्नी की कहानी के सहायक पात्र हैं। वह पेशे से इंजीनियर हैं। इस कहानी में बाबू जगत सिंह का वर्णन एक
बाबू जगत सिंह का चरित्र चित्रण - Babu Jagat Singh ka Charitra Chitran
बाबू जगत सिंह का चरित्र चित्रण: बाबू जगत सिंह बात अठन्नी की कहानी के सहायक पात्र हैं। वह पेशे से इंजीनियर हैं। इस कहानी में बाबू जगत सिंह का वर्णन एक रिश्वतखोर, भ्रष्टाचारी और निर्दयी व्यक्ति के रूप में किया गया है। वह अपने पुराने और विश्वासप्राप्त नौकर रसीला की अठन्नी की चोरी का आरोप लगाकर उसे पुलिस के पास ले जाते हैं और मुकदमा चलवाते है।
धूर्त: बाबू जगत सिंह के नौकर रसीला का वेतन केवल दस रूपये था। जब रसीला ने अपने मालिक से वेतन बढ़ाने के लिए कहा तो इंजीनियर साहब ने सीधा मना कर दिया और कहा जहाँ तुम्हें कोई ज्यादा दे तो अवश्य चले जाओ। एक बार पाँच रुपए की मिठाई मँगवाने पर रसीला साढ़े चार रुपए की मिठाई लाया। बाबू जगतसिंह मिठाई देखते ही चौंक गए थे। उन्होंने जैसे ही रसीला से पूछा कि क्या यह मिठाई पाँच रुपए की है ? रसीला के चेहरे का रंग उड़ गया। वह बहुत डर गया था। उसने आखिर में सच कह दिया कि उससे गलती हो गई है।
क्रोधी और निर्दयी: रसीला द्वारा अठन्नी चोरी की बात जानकार बाबू जगत सिंह ने उसके गाल पर तमाचा मारा। हलवाई के पास चलने को कहा। रसीला के द्वारा गलती स्वीकार करने पर भी जगतसिंह ने रसीला को माफ़ नहीं किया। वह उसे थाने ले गए, वहाँ सिपाही को पाँच रुपए देकर रसीला से सच उगलवाने के लिए कहा। जगतसिंह ने सिपाही से यह भी कहा कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। बाबू जगतसिंह का अपने नौकर के प्रति ऐसा व्यवहार अत्यंत अनुचित है। वह उसकी पहली गलती है जिसे माफ़ किया जा सकता था। उसने मज़बूरी में आकर सिर्फ आठ आने की ही हेरा-फेरी की थी।
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