रीढ़ की हड्डी एकांकी के प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण कीजिए: प्रस्तुत एकांकी रीढ़ की हड्डी लेखक जगदीश चन्द्र माथुर के द्वारा रचित है। इस एकांकी के म
रीढ़ की हड्डी एकांकी के प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण कीजिए
प्रस्तुत एकांकी रीढ़ की हड्डी लेखक जगदीश चन्द्र माथुर के द्वारा रचित है। इस एकांकी के मुख्य पात्र हैं उमा, रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद और शंकर। इस लेख में रीढ़ की हड्डी एकांकी के पात्रों का चरित्र-चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
रीढ़ की हड्डी एकांकी के आधार पर उमा का चरित्र चित्रण
उमा का चरित्र चित्रण: उमा 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी की नायिका उमा का चरित्र प्रभावशाली है। वह स्पष्टवादी, साहसी और तेजस्वी है। झूठ, दिखावा उसे बिल्कुल पसन्द नहीं। जब कि वह बी. ए. पास है पर लड़के वालों को मैट्रिक पास क्यों बताया गया है पिता की ही झूठी बात से वह दुःखी है। विवाह के संबंध में उसकी राय न लेना वह अनुचित समझती है। लड़के के पिता के अनावश्यक सवालों से वह ऊबकर अपनी योग्यता बता देती है और शंकर के स्वभाव के बारे में भी सबसे कह डालती है। यही उसकी स्पष्ट वादिता है। आजकल समाज में लड़की को देखकर तरह-तरह के प्रश्न पूछकर अपमान करना वह ठीक नहीं समझती।
रीढ़ की हड्डी एकांकी के आधार पर रामस्वरूप का चरित्र चित्रण
रामस्वरूप का चरित्र चित्रण: रामस्वरूप 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी की नायिका उमा के पिता हैं। अधेड़ उम्र के हैं। स्वभाव आम आदमी की तरह है। यद्यपि उनकी बेटी बी. ए. तक पढ़ी है फिर भी उसकी शादी की खातिर वे झूठ का सहारा लेते हैं। अतिथियों का स्वागत करना अधिक पसन्द करते हैं। कहते हैं - आवश्यकतानुसार सब काम सही ढंग से करने वाले व्यक्ति हैं। अतिथियों के हाँ में हाँ मिलाने में रुचि रखते हैं। जैसे-तैसे काम निपटाना चाहते हैं।
रीढ़ की हड्डी एकांकी के आधार पर गोपाल प्रसाद का चरित्र चित्रण
गोपाल प्रसाद का चरित्र चित्रण: गोपाल प्रसाद पेशे में एक प्रतिष्ठित वकील हैं। उनका स्वभाव वकील के जैसा है। उनकी बातों में दंभ अहंकार और अकड़ का पुट है। जाँच पड़ताल करते हैं यद्यपि वे खुद पढ़े-लिखे हैं परंतु अपने बेटे शंकर के लिए कम पढ़ी-लिखी बेटी चाहते हैं। वे दकियानूसी विचारों के होने के कारण एक साधारण मैट्रिक तक पढ़ने वाली लड़की को पसन्द करना चाहते हैं जो उनके घर के सारे काम-काज करे और सब कुछ सहती रहे।
रीढ़ की हड्डी एकांकी के आधार पर शंकर का चरित्र चित्रण
शंकर का चरित्र चित्रण: 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी का पात्र शंकर, गोपाल प्रसाद का पुत्र है। उसकी शादी उमा नामक बी०ए० पास लड़की से होनी है। शंकर दुर्बल चरित्र वाला आवारा किस्म का युवक है। मेडिकल की पढ़ाई करने समय उसका ध्यान पढ़ाई पर कम लड़कियों पर अधिक रहा है। वह लड़कियों के हॉस्टल के चक्कर लगाया करता था। ऐसा करते हुए एक दिन पकड़े जाने पर उसकी खूब पिटाई की जाती है। इससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और अब वह सीधा बैठने में असमर्थ है। ष्टांकर का अपना कोई व्यक्तित्व नहीं हैं। उसके अपने विचार नहीं हैं। वह किसी बात पर टिका नहीं रह सकता है। वह वही करता है जो उसके पिता कहते हैं। वह पढ़ा-लिखा होकर भी पढ़ी-लिखी लड़की को महत्त्व नहीं देता है। आत्मविश्वास की कमी के कारण वह उपहास का पात्र बनकर रह गया है।
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रीढ़ की हड्डी एकांकी की भाषा शैली पर विचार व्यक्त कीजिए।
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