आतिथ्य कहानी की समीक्षा, कथावस्तु और उद्देश्य: यशपाल द्वारा रचित कहानी 'आतिथ्य' अतिथि पर आधारित है। लेखिक ने इस आतिथ्य कहानी के माध्यम से अतिथि का आद
आतिथ्य कहानी की समीक्षा, कथावस्तु और उद्देश्य
यशपाल द्वारा रचित कहानी 'आतिथ्य' अतिथि पर आधारित है। लेखिक ने इस आतिथ्य कहानी के माध्यम से अतिथि का आदर और निरादर दोनों का वर्णन किया है। गाँव के लोग किस प्रकार अतिथि का स्वागत करते हैं इसका स्पष्ट वर्णन इस कहानी में मिलता है। आतिथ्य कहानी की तात्विक समीक्षा निम्न रूप में है-
आतिथ्य कहानी की कथावस्तु / कथासार
आतिथ्य कहानी की कथावस्तु:- यशपाल की कहानियों में सरलता देखने को मिलती है। आतिथ्य कहानी के कथानक के आरंभ तथा अंत तक रोचकता बनी रहती है। रामशरण भारत सरकार के अर्थ - विभाग में कलर्क है। वह सारी सुख-सुविधाओं से सम्पन्न व्यक्ति है। उसके मन में पहाड़ी क्षेत्र को देखने का विचार आता है। अपने इसी विचार को साकार करने के लिए वह छुट्टी लेकर शिमला की यात्रा पर निकल पड़ता है। उसे यात्रा के दौरान अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। रामशरण केवल दिशा के अनुमान से आगे बढ़ता जा रहा था। उसके मन में जंगली जानवरों को लेकर भी डर था। उसका शरीर किसी भी आहट से सिहर उठता था। उसका मानना था कि, ... यदि इस समय कोई भालू या चीता आए जाए! उसने साहस बनाए रखने के लिए निश्चय किया - जानवर के मुँह खोलकर झपटने पर वह जानवर के मुँह में बल्लम डालकर धँसा देगा।" इस प्रकार रास्ते का सफर तय करते हुए वह एक गाँव में पहुँचा। रामशरण पहले ही मकान के पास पहुँचा तो कुत्ते उस पर भौंकने लगे। कुतों के भौंकने पर रामशरण को डर नहीं लगा। अंधेरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था। रामशरण को किसी के घर में शरण चाहिए थी क्योंकि सर्दी बढ़ती जा रही है। वह दूर से पुकारता है, कोई है ? ज़रा देखना मुसाफिर है । रामश्रण के तीन बार पुकारने पर मकान के ऊपर की मंजिल की खिड़की खुली। पहाड़ी बोली में आवाज़ आई, कौन है इस समय?” रामशरण की आवाज़ सुनकर आस-पास के गाँव वाले भी खिड़की खोलकर उसे देखते हैं तभी एक पहाड़ी वाला बाहर निकलकर उसे धमकाता है और गाँव से बाहर निकलने को कहता है। इस तरह का व्यवहार देखकर रामशरण हैरान रह जाता है। वह चुपचाप निकल जाता है। वह गाँव के समीप रहकर एक पेड़ के नीचे बैठ जाता है। भूख और थकान के कारण उसका शरीर टूट रहा था। तभी उसको एक पहाड़ी मर्द की आवाज़ सुनाई देती है और वह उसे अपने घर लेकर जाता है। पहाड़ी मर्द, उसकी पुत्री तथा पत्नी रामशरण की सेवा करते हैं। उसके आदर-सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ते। सुबह होते ही पहाड़ी मर्द रामशरण को गाँव के बाहर छोड़कर आता है। उसे भी डर था अगर किसी गाँव वाले ने देख लिया तो निंदा का पात्र बन जाएगा। गाँव के बाहर पहुँचाकर वह रामशरण को क्रोधित स्वर में फटकारता है। उसे बदमाश कहकर घर से बाहर निकल जाने को कहता है। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी का कथानक संक्षिप्त होते हुए प्रभावशाली है। छोटी-छोटी घटनाओं का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है।
आतिथ्य कहानी के पात्र
आतिथ्य कहानी के पात्र:- प्रस्तुत कहानी आतिथ्य का मुख्य पात्र रामशरण है। रामशरण एक ऐसे वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है जो सभी सुख-सुविधाओं से सम्पन्न है। प्राकृतिक सौंदर्य को देखने की इच्छा उसे शिमला पहाड़ी क्षेत्र की ओर ले जाती है। वह पैदल शिमला यात्रा को निकल पड़ता है। इस यात्रा में उसे बहुत-सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उसने जैसा सोचा था कि पहाड़ी लोग उसका आदर करेंगे तथा मान-सम्मान देंगे लेकिन वैसा नहीं होता। उसकी आशा निराशा में बदल जाती है। कहानी के क्रम को आगे बढ़ाने के लिए रामशरण की यात्रा में पहाड़ी मर्द, उसकी पत्नी तथा बेटी सहायक के रूप में आते हैं जो रामशरण को शरण देते हैं। वह अपने अतिथि की अच्छी तरह से सेवा करते हैं। पहाड़ी मर्द की पत्नी भारतीय स्त्री का प्रतिनिधित्व करती है जहाँ उसे गृह-लक्ष्मी तथा अन्नपूर्णा कहा जाता है। वह रामशरण की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ती। उसे हाथ जोड़कर कहती है कि, ...धन भाग कि पाहुना परमेश्वर द्वार आए” उनके लिए अतिथि ईश्वर के समान है। जिसकी सेवा करना वह अपना कर्त्तव्य समझती है। पात्रों के चित्रांकन में लेखक को अद्भुत सफलता मिली है।
आतिथ्य कहानी की भाषा शैली
भाषा शैली:- प्रस्तुत कहानी की भाषा पात्रानुकूल एवं प्रसंगानुकूल है। यशपाल की कहानी 'आतिथ्य' की भाषा सरल और स्पष्ट है। इसमें तत्सम और तद्भव शब्दों का भी प्रयोग किया है। उदाहरणस्वरूप :- बेबस, गंध, ओठों, ज़ालिम, पाहुने, सम्बोधन। कहीं पर भाषा मुहावरेदार भी हो गई है जैसे- बोटी-बोटी, सिर चक्कर खाना आदि।
आतिथ्य कहानी का उद्देश्य
आतिथ्य कहानी का उद्देश्य:- प्रस्तुत कहानी आतिथ्य का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण परिवेश से सम्बन्धित है। ग्रामीण पहाड़ी लोगों का मानना है कि शहरी लोग बदमाश होते हैं। उनसे किसी भी प्रकार की सहानुभूति नहीं रखनी चाहिए लेकिन इसमें लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि घर में आए अतिथि के साथ हमें दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। अतिथि के प्रति संवेदनशून्य न होकर उसका आदर-सत्कार करना चाहिए। उसके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। लेखक ने जहाँ पहाड़ी लोगों का रामशरण के प्रति कठोर व्यवहार दिखाया है। वहीं एक पहाड़ी मर्द के हृदय में करूणा जगाकर कहानी को प्रभावशाली बना दिया है। यहाँ पर यह भी स्पष्ट है कि शहरी लोगों के प्रति गलत मानसिकता बनाकर उनके साथ दुर्व्यवहार करना या उनका निरादर करना क्या उचित है? व्यक्ति को अपने संस्कारों का मान रखना चाहिए क्योंकि संस्कार ही उसके जीवन की पूंजी है। अगर यही लुप्त हो जाएगी तो किसी के प्रति प्रेमभाव नहीं रहेगा। अतः ग्रामीण लोग शहरी लोगों को संदेह भरी दृष्टि से देखते हैं। जिसके कारण वह संवेदनशून्य व्यवहार करते हैं
आतिथ्य कहानी का शीर्षक
शीर्षक:- कहानी का शीर्षक आतिथ्य कहानी के अनुरूप है। कहानी का केन्द्र बिंदु अतिथि (रामशरण) है। अतिथि के रूप में उसे किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है उसका स्पष्ट वर्णन कहानी में उपलब्ध है। जिस इच्छा व चाह से वह शिमला की यात्रा करने निकला था वही यात्रा उसके जीवन की निराशा का कारण बनती है। लेखक ने आतिथ्य की भूमिका में उसकी विवशता को उजागर किया है।
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