आँसुओं की होली कहानी में श्रीविलास का चरित्र चित्रण: 'आँसुओं की होली' कहानी का प्रमुख पात्र श्रीविलास उर्फ सिलबिल है। इस कहानी का घटनाक्रम श्रीविलास
आँसुओं की होली कहानी में श्रीविलास का चरित्र चित्रण
श्रीविलास का चरित्र चित्रण: 'आँसुओं की होली' कहानी का प्रमुख पात्र श्रीविलास उर्फ सिलबिल है। इस कहानी का घटनाक्रम श्रीविलास के इर्द-गिर्द ही घूमता नज़र आता है। श्रीविलास का व्यक्तित्व/चरित्र ढीला-ढाला है। वह चुस्त व्यक्ति नहीं है। दफ्तर जाते समय उसके पाजामें का नाड़ा लटकता रहता। सिर पर फेल्ट - कैप है, लम्बी-सी चुटिया पीछे झांकती है। उन्होंने जो अचकन पहना है वह सुन्दर फैशनिबल है किन्तु लम्बी इतनी है कि उनके शरीर पर आकर अपना रूप खो देती है।
श्री विलास एक परम्परावादी व्यक्ति के रूप में भी सामने आते हैं। परम्परावादी पति है उनका मानना है कि पत्नी को इतनी छूट नहीं देनी है और उसे पति की प्रत्येक बातों का ख्याल रखना चाहिए। यही उसका कर्तव्य है। इसीलिए पति के मना करने पर वह रंगों को छूती तक नही है और पति के नाटक में पूरा साथ देती है। श्रीविलास को होली का त्योहार पसंद नहीं था। इतना ही नहीं वह किसी भी त्योहार को नहीं मनाता है। जब होली का त्योहार आता तो श्रीविलास घर से बाहर ही नहीं निकलता। होली पर पत्नी चंपा के भाई आते हैं तो वह बीमारी का नाटक करता है।
श्री विलास के जीवन को देखकर लगता है कि उनके जीवन से सम्बन्धित कोई बात जरूर है जो उनके मन में दबी है। इस बात का रहस्य पत्नी द्वारा उन पर डाले गए रंग से पता चलता है कि पाँच साल पहले होली के दिन उनके मित्र मनहर ने उन्हें अनाथ बुढ़िया की लाश को कंधा देने को कहा तब श्रीविलास होली के त्योहार का मजा खोना नहीं चाहता था। उस समय उन्हें गाने की महफिल में जाना था। जिसके चलते वह मनहर को मना कर देता है। मित्र मनहर उसे धिक्कारते हुए फटकारता है। यह धिक्कार उसके जीवन के सभी रंग खो देती है और वह आत्मग्लानि में जीता है।
श्रीविलास ने अपने जीवन के लक्ष्य के बारे में नहीं सोचा था । उन्हें किसी से कोई लेना देना नहीं था। वह अपनी ही मौज मस्ती में रहते थे। देश सेवा के प्रति उनकी कोई रूचि नहीं थी। अपने ही राग-रंग में डूबे रहते थे। उनका मानवता से कोई मतलब नहीं था।
श्रीविलास स्पष्टवादी व्यक्ति नहीं थे। वह अपनी पत्नी के भाइयों को होली के लिए मना नहीं कर सके। यहीं पर उनकी अस्पष्टवादिता दिखाई देती है। यहाँ तक कि पत्नी का सहारा लेकर झूठ बोलते हैं और उसे भी झूठ का भागीदार बनाते हैं।
श्रीविलास का हृदय उदार से भी भरा था। पत्नी चंपा जब पति के लिए थाली से भरे पकवान लाती है। तो वह उसकी प्रशंसा करते है। वह पत्नी को पुरस्कार देने की इच्छा प्रकट करते हैं। पत्नी पुरस्कार में होली खेलनी की इच्छा प्रकट करती है तो वह उसकी खुशी के लिए उसके साथ होली खेलते हैं।
श्रीविलास की पत्नी जब उनपर रंग डालती है तो वह अतीत में छुपी कायरता से मुक्त हो जाते हैं और कहानी का सारा रहस्य खुल जाता है। वह अपने मित्र मनहर की तरह बनने का प्रण लेता है ताकि वह देश, समाज तथा मानव की सेवा पूरी निष्ठा से कर सके। वह कहता है, “.. ईश्वर मुझे ऐसी शक्ति दे कि मैं मन में ही नहीं, कर्म में भी मनहर बनूँ।" अपने मित्र की कर्मशीलता तथा देश सेवा की भावना को याद करते हुए स्वयं संकल्प लेकर गुलाल से अपने मित्र के चित्र पर रंग छिड़ककर प्रणाम करता है। वास्तव में श्रीविलास कमजोर मन का व्यक्ति था। उसे किसी से कोई लेना-देना नहीं था लेकिन उसके जीवन में घटित घटना उसके जीवन को एक नया मार्गदर्शन देती है। परिणामस्वरूप वह कर्मशील युवक बनने का संकल्प लेता है।
मनहर :- मनहर कहानी का प्रमुख पात्र नहीं बल्कि गौण पात्र है। इस कहानी में मनहर एक ऐसे युवक के रूप में उभरकर सामने आया है जिसके जीवन का लक्ष्य समाज सेवा, देश सेवा था। उसने अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करके रखा था। जिस उम्र में युवक मौज-मस्ती करते थे उस उम्र में वह देश तथा समाज की सेवा में लगा रहता था। उसकी समाज सेवा की भावना तब दिखाई देती है जब अनाथ बुढ़िया की लाश को कंधा देना चंपा :- कहानी की नायिका चंपा है। चंपा श्रीविलास की पत्नी है। वह अपना पत्नीधर्म पूर्ण निष्ठा से निभाती है। पति के प्रत्येक कार्य में उसका साथ देती है। यहाँ तक कि वह पति के झूठ में भी सहायक सिद्ध होती है। शुरूआत में पति का होली न खेलना चंपा को दुखी तो करता है लेकिन जब वह पति के लिए पकवान लेकर जाती है तो वह उसके खाने की प्रशंसा करता है। परिणामस्वरूप वह उसे पुरस्कार स्वरूप कुछ मांगने को कहता है। चंपा बड़ी ही चतुराई से होली खेलने का पुरस्कार मांगती है जिसे श्रीविलास मना नहीं कर पाता।
पत्नी कर्तव्य का पालन करते हुए चंपा एक कार्य यह भी करती है कि वह अपने पति के भीतर छिपे हुए रहस्य को बाहर निकालती है जो चंपा के चरित्र की विशेषता है। वह पति पर रंग डालती है तो पति होली से जुड़ी हुई घटना का रहस्य बताता है। पत्नी के कारण ही उसके मन की कायरता या दुर्बलता समाप्त हो जाती है और वह कर्मशील व्यक्ति बनने का निर्णय लेता है।
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