Ncert Solutions for Class 11 हिंदी आरोह पाठ 6 स्पीति में बारिश के प्रश्न उत्तर
Ncert Solutions for Class 11 हिंदी आरोह पाठ 6 स्पीति में बारिश के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता, क्यों?
उत्तर - स्पीति की भौगोलिक स्थिति विचित्र है। यहाँ आने-जाने के सुलभ साधन नहीं हैं। यह पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ है। वर्ष में आठ-नौ महीने बर्फ पड़ती है तथा यह क्षेत्र शेष विश्व से कटा रहता है। इन दुर्गम रास्तों को पार करने का साहस किसी राजा अथवा शासक ने नहीं किया। यहाँ की आबादी बहुत ही कम है तथा जनसंचार के साधनों का अभाव है। मानवीय गतिविधियों के अभाव के कारण यहाँ इतिहास नहीं बना। इसका वर्णन केवल राज्यों के साथ जुड़े रहने पर ही आता है। यह क्षेत्र प्रायः स्वायत्त ही रहा है।
प्रश्न 2. स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं?
उत्तर- स्पीति के लोगों का जीवन बहुत कठोर है। यहाँ लम्बी शीत ऋतु होती है। यह क्षेत्र वर्ष में आठ-नौ महीने शेष विश्व से कटा रहता है। यहाँ जलाने के लिए लकड़ी भी उपलब्ध नहीं होती। लोग ठंड से ठिठुरते रहते हैं। यहाँ न हरियाली है और न ही पेड़। यहाँ पर्याप्त मात्रा में वर्षा भी नहीं होती। यहाँ वर्ष में एक ही फसल उगा सकते हैं। जौ, गेहूँ, मटर तथा सरसों के अतिरिक्त दूसरी फसल नहीं हो सकती। यहाँ पर किसी प्रकार का फल व सब्जियाँ पैदा नहीं होतीं। यहाँ रोजगार के साधन नहीं हैं। यहाँ की जमीन खेती योग्य है, किन्तु सिंचाई के साधन नहीं हैं। अतः यहाँ के लोग अत्यंत जटिल परिस्थिति में जीवन व्यतीत करते हैं।
प्रश्न 3. लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों है?
उत्तर- बौद्ध धर्म में माने मंत्र की बहुत महिमा है। 'ओं मणि पद्मे हुं' इनका बीज मंत्र है। इसी मंत्र को संक्षेप में माने कहते हैं। लेखक का यह मानना है कि इस मंत्र का यहाँ इतना अधिक जाप हुआ है कि पर्वत श्रेणी को यह नाम आसानी से दिया जा सकता है। हो सकता है कि स्पीति के दक्षिण में स्थित पर्वत श्रेणी का माने नाम इसीलिए पड़ा हो।
प्रश्न 4. ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं - इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है?
उत्तर- लेखक का कहना है कि माने पर्वत श्रेणियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं, क्योंकि उनके जाप से यहाँ का वातावरण बोझिल एवं नीरस हो गया है। लेखक पहाड़ों तथा मैदानों से युवक-युवतियों को बुलाना चाहता है जिससे वे यहाँ आकर क्रीड़ा - कौतुक करें, प्रेम के खेल खेलें, जिससे यहाँ के वातावरण में ताजगी तथा उत्साह का संचार हो। चोटियों पर चढ़ने से जीवन अँगड़ाई लेने लगेगा। युवाओं के अट्टहास से चोटियों पर जमा आर्तनाद पिघलेगा।
प्रश्न 5. वर्षां यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है - लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर- लेखक बताता है कि स्पीति में वर्षा बहुत ही कम होती है। इसलिए वर्षा ऋतु मन की साध पूरी नहीं करती। वर्षा के बिना यहाँ की धरती सूखी, ठंडी तथा बंजर है। जब कभी यहाँ वर्षा हो जाती है तो लोग इसे अपना सौभाग्य मानते हैं। बरसात के दिन को वे सुख का संकेत मानते हैं। लेखक के आने के पश्चात् यहाँ वर्षा हुई। लोगों ने उसे बताया कि वर्षा होने के कारण आपकी यात्रा सुखद होगी।
प्रश्न 6. स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से निम्न प्रकार भिन्न हैं-
- स्पीति के पहाड़ों की ऊँचाई 13,000 से 21,000 फीट तक की है।
- यहाँ के दर्रे बहुत ऊँचे तथा दुर्गम हैं।
- यहाँ वर्षा नहीं होती तथा पेड़ एवं हरियाली का नामोनिशान नहीं है।
- यहाँ वर्ष में आठ-नौ महीने बर्फ जमी रहती है एवं रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं।
- यहाँ परिवहन तथा संचार का कोई साधन नहीं है।
- यहाँ एक ही फसल होती है। उसमें भी जौ, मटर, सरसों आदि प्रमुख हैं। फल तथा सब्जियाँ यहाँ पैदा नहीं होती हैं।
- यहाँ सिर्फ दो ऋतुएँ होती हैं- वसंत ऋतु तथा शीत ऋतु ।
- यहाँ आबादी बहुत ही कम है।
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1. स्पीति में बारिश का वर्णन एक अलग तरीके से किया गया है। आप अपने यहाँ होने वाली बारिश का वर्णन कीजिए।
उत्तर- हमारे यहाँ तपती गरमी के बाद जब आकाश में काले बादल घुमड़-घुमड़कर आते हैं तो शरीर तथा मन को शांति प्रदान करते हैं। वर्षा होते ही चारों ओर प्रसन्नता फैल जाती है। प्रकृति भी प्रसन्न होकर हँसती हुई प्रतीत होती है। बच्चों की मस्ती देखने लायक होती है। पक्षी अपनी खुशी का बखान स्वर उत्पन्न करके करते हैं। तालाब, नहरें, नदियाँ सभी पर यौवन आ जाता है। ऐसा प्रतीत होता है, जैसे धरती फिर जवान हो गई हो।
प्रश्न 2. स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना कीजिए। किनका जीवन आपको ज़्यादा अच्छा लगता है और क्यों ?
उत्तर - स्पीति के लोगों का जीवन मैदानी क्षेत्रों के निवासियों की अपेक्षा बहुत ही कष्टदायक है। मैदानी क्षेत्रों में जलवायु कठोर नहीं होती है। यहाँ छह ऋतुएँ होती हैं। जबकि स्पीति में सर्दी तथा वसंत दो ही ऋतुएँ होती हैं। यहाँ वर्षा नहीं होती।
मैदानों में रोजगार, कृषि, खाद्य सामग्री व संचार के साधन अधिक मात्रा में मिलते हैं। व्यक्ति के पास सुख के साधनों की कमी नहीं है, इसके विपरीत स्पीति में ऐसा कुछ भी नहीं है।
अतः मैदानी भागों में रहने वाले का जीवन ज्यादा सुखी एवं अच्छा है। यहाँ जीवन की गति नियमित रूप से चलती रहती है
प्रश्न 3. 'स्पीति में बारिश' एक यात्रा- वृत्तांत है। इसमें यात्रा के दौरान किए गए अनुभवों, यात्रा - स्थल से जुड़ी विभिन्न जानकारियों का बारीकी से वर्णन किया गया है। आप भी अपनी किसी यात्रा का वर्णन लगभग 200 शब्दों में कीजिए।
उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 4. लेखक ने स्पीति की यात्रा लगभग तीस वर्ष पहले की थी। इन तीस वर्षों में क्या स्पीति में कुछ परिवर्तन आया है ? जानें, सोचें और लिखें।
उत्तर- लेखक ने स्पीति की यात्रा लगभग 30 वर्ष पहले की थी, किन्तु आज वहाँ कुछ बदलाव आया है। अब वहाँ संचार, यातायात तथा रोजगार के साधन विकसित हुए हैं, परन्तु प्राकृतिक दशाएँ पूर्ववत् ही हैं। अतः अधिक परिवर्तन की वहाँ गुंजाइश नहीं है।
भाषा की बात
प्रश्न 1. पाठ में से दिए गए अनुच्छेद में क्योंकि, और, बल्कि, जैसे ही, वैसे ही, मानो, ऐसे, शब्दों का प्रयोग करते हुए उसे दोबारा लिखिए-
लैंप की लौ तेज़ की। खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज़ हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भिड़ा दिया । उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रही थी। मैं उसे देख नहीं रहा था। सुन रहा था। अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका आ रहा था। जैसे बरफ़ का अंश लिए तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं।
उत्तर - लैंप की लौ तेज की। जैसे ही खिड़की का एक पल्ला खोला वैसे ही तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। वैसे ही मैंने पल्ला भिड़ा दिया और उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रही थी । मैं उसे देख नहीं रहा था बल्कि सुन रहा था। अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका ऐसे आ रहा था मानो बर्फ का अंश लिए तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं।
बोर्ड परीक्षा में आने वाले प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. 'स्पीति में बारिश' पाठ का प्रतिपाद्य बताइए ।
उत्तर- यह पाठ एक यात्रा - वृत्तांत है। स्पीति हिमाचल के मध्य में स्थित है। यह स्थान अपनी भौगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताओं के कारण अन्य पर्वतीय स्थलों से भिन्न है। लेखक ने यहाँ की जनसंख्या, ऋतु, फसल, जलवायु व भूगोल का वर्णन किया है। ये एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। उन्होंने दुर्गम क्षेत्र स्पीति में रहने वाले लोगों के कठिनाई भरे जीवन का भी वर्णन किया है। कुछ युवा पर्यटकों को पहुँचना स्पीति के पर्यावरण को बदल सकता है। ठंडे रेगिस्तान जैसे स्पीति के लिए उनका आना, वहाँ बूँदों भरा एक सुखद संयोग बन सकता है।
प्रश्न 2. शिव का अट्टहास नहीं, हिम का आर्तनाद है। स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- लेखक बताता है कि पहाड़ के शिखरों पर जो बर्फ जमी होती है, उसे शिव की तेज हँसी का कारण माना जाता है, परन्तु स्पीति में यह मान्यता लागू नहीं होती। यहाँ बर्फ कष्टों का प्रतीक है। जीवन में इतने अभाव हैं कि यहाँ दर्द के सिवाय कुछ नहीं है। यही चीख-पुकार, दर्द बर्फ के रूप में जमा हो गया है।
प्रश्न 3. स्पीति रेगुलेशन कब पास हुआ? इसके बारे में बताइए ।
उत्तर - स्पीति रेगुलेशन 1873 ई. में ब्रिटिश सरकार के समय पारित किया गया। इसके निम्नलिखित प्रभाव थे-
- लाहुल व स्पीति को विशेष दर्जा दिया गया।
- यहाँ ब्रिटिश भारत के अन्य कानून लागू नहीं होते थे।
- स्थानीय प्रशासन के अधिकार नोनो को दिए गए।
- नोनो मालगुजारी को इकट्ठा करता तथा फौजदारी के छोटे-छोटे मुकदमों का फैसला करता था।
- अधिक बड़े मामले कमिश्नर को भेजे जाते थे ।
प्रश्न 4. बाह्य आक्रमण से स्पीति के लोग अपनी सुरक्षा कैसे करते हैं?
उत्तर - बाहरी आक्रमण से रक्षा करने के लिए स्पीति के लोग अप्रतिकार का तरीका अपनाते हैं। वे उससे लड़ते नहीं। वे चाँग्मा का तना पकड़कर या एक-दूसरे को पकड़कर आँख मींचकर बैठ जाते हैं। जब आक्रमणकारी या संकट गुजर जाता है तो वे उठकर वापस आ जाते हैं।
प्रश्न 5. केलंग का बादशाह काजा के सूबेदार से क्यों डरता है ?
उत्तर - केलंग और काजा स्पीति के क्षेत्र हैं। केलंग के बादशाह के पास काजा के सूबेदार की स्थिति पर निगरानी और नियन्त्रण रखने के लिए न तो संचार के साधन हैं, न परिवहन हैं। वहाँ न सड़कें, न बिजली, न टेलीफोन । मात्र वायरलेस सेट से ही उनकी बात हो पाती है। केलंग और काजा के मध्य 170 मील की दुर्गम दूरी है। उसे पार करने में महीनों लग जाते हैं। अतः केलंग के बादशाह को डर बना रहता है कि कहीं काजा का सूबेदार विद्रोह न कर दे ।
प्रश्न 6. आधुनिक युग में भी स्पीति के बादशाह वायरलेस सेट का उपयोग क्यों करते हैं?
उत्तर - स्पीति के पहाड़ अत्यन्त दुर्गम हैं । यहाँ आठ-नौ महीने बर्फ जमी रहती है। यहाँ की जनसंख्या भी बहुत कम है। यहाँ रहने की स्थितियाँ बहुत कठिन हैं। अतः संचार और परिवहन के साधनों का एकदम अभाव है। टेलीफोन या बिजली की तारें नहीं हैं। इसलिए केवल वायरलेस सेट से ही बादशाह और सूबेदार की बातें हो पाती हैं।
प्रश्न 7. स्पीति में रहने की स्थितियाँ नहीं हैं - ऐसा क्यों ?
उत्तर- स्पीति की सबसे बड़ी विपत्ति है - उसकी दुर्गमता तथा भीषण ठण्ड । यहाँ की पहाड़ियाँ बहुत ऊँची, नंगी, भव्य तथा ठण्डी हैं। यहाँ न ऋतुओं की विविधता है, न हरियाली न वर्षा है, न पेड़ न अधिक फसलें हैं, न लकड़ी और न फल। इसलिए यहाँ विकास भी नहीं हो सका। अतः सड़कें जल, बिजली, टेलीफोन आदि यहाँ नहीं हैं। इसलिए जनसंख्या भी बहुत कम है। इस प्रकार यहाँ रहने योग्य स्थितियाँ नहीं हैं।
प्रश्न 8. स्पीति के जन-जीवन में प्रसन्नता लाने के क्या उपाय हो सकते हैं?
उत्तर- स्पीति अत्यन्त दुर्गम क्षेत्र है इसलिए यहाँ पर्यटक भी नहीं आते। यहाँ के निवासी भी बूढ़े लामा हैं। यदि यहाँ जोखिम भरे खेलों को बढ़ावा दिया जाए, साहसी नवयुवकों को आमन्त्रित किया जाए। वे खेल-कूद और क्रीड़ा - कौतुक करें तो यहाँ के जन-जीवन में खुशी का संचार हो सकता है।
प्रश्न 9. स्पीति किस-किस राज्य के अधीन रहा ?
उत्तर- सन् 1846 से पहले स्पीति कश्मीर के राजा गुलाब सिंह के पास था। सन् 1846 में यह ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत आया। सन् 1847 में इसे काँगड़ा जिले में शामिल किया गया। स्वराज्य मिलने के पश्चात् पहले 1960 में पंजाब के अन्तर्गत लाहुल-स्पीति नाम का एक अलग जिला बनाया गया। सन् 1966 में हिमाचल प्रदेश बना। तब यह हिमाचल के अन्तर्गत आ गया।
प्रश्न 10. स्पीति में कौन-कौन सी फसलें होती हैं और अधिक फसलें कैसे उगाई जा सकती हैं?
उत्तर- स्पीति में गेहूँ, बाजरा, मटर और सरसों की खेती होती है। यहाँ खेती की मुख्य समस्या है - जल स्रोत का न होना। यहाँ वर्षा का जल तो नहीं होता, लेकिन अगर किसी अन्य साधन से जल पहुँचाया जा सके तो और अिधक फसलें उगाई जा सकती हैं।
'स्पीति में बारिश' बहुविकल्पीय प्रश्न / MCQ Question Answers
1. 'स्पीति में बारिश' साहित्य की किस विधा की रचना है ?
(क) रेखाचित्र
(ख) रिपोर्ताज
(ग) डायरी
(घ) यात्रावृत्त “✓”
2. 'स्पीति' के बौद्ध विहारों को किसने लूटा था ?
(क) रामनाथ सिंह
(ख) मानसिंह
(ग) जोरावर सिंह “✓”
(घ) गुलाब सिंह
3. 'स्पीति' नदी किस नदी में मिलती है ?
(क) गंगा
(ख) ब्रह्मपुत्र
(ग) यमुना
(घ) सतलुज “✓”
4. लद्दाख मंडल के दिनों में स्पीति का शासन किसके द्वारा चलाया जाता था ?
(क) ब्रिटिश शासन द्वारा
(ख) राजा द्वारा
(ग) नोनो द्वारा “✓”
(घ) कमिश्नर द्वारा
5. 'स्पीति में बारिश' पाठ के लेखक कौन हैं ?
(क) प्रेमचन्द्र
(ख) कृष्णनाथ “✓”
(ग) बालमुकुन्द गुप्त
(घ) कृश्नचंदर
6. 'स्पीति' वर्तमान में किस प्रदेश के लाहुल स्पीति जिले की तहसील है ?
(क) हिमाचल प्रदेश “✓”
(ख) अरुणाचल प्रदेश
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) उत्तर प्रदेश
7. 'स्पीति' में कौन-सी ऋतु नहीं होती है ?
(क) वसन्त ऋतु
(ख) शीत ऋतु
(ग) ग्रीष्म ऋतु “✓”
(घ) ये सभी
8. किस वर्ष तक लाहुल-स्पीति पर कश्मीर के राजा गुलाब सिंह का प्रशासन रहा
(क) सन् 1846 “✓”
(ग) सन् 1848
(ख) सन् 1856
(घ) सन् 1858
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1. स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले की तहसील है।
2. स्पीति में जनसंख्या लाहुल से भी कम है।
3. स्पीति चारों ओर से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों का कैदी है।
4. स्पीति में दो ऋतुएँ होती हैं।
5. स्पीति में कभी-कभी बारिश होती है।
V. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए
1. स्पीति हिमाचल प्रदेश के किस जिले की तहसील है ?
उत्तर - लाहुल-स्पीति।
2. 1960 ई. में लाहुल-स्पीति को किस राज्य के अन्तर्गत एक अलग जिला बना दिया गया ?
उत्तर - पंजाब राज्य।
3. अंग्रेज लाहुल-स्पीति के जरिए किस क्षेत्र में प्रवेश चाहते थे ?
उत्तर- पश्चिमी तिब्बत के ऊन वाले क्षेत्र में ।
4. लद्दाख मण्डल के दिनों में स्पीति का शासन किसके द्वारा चलाया जाता था ?
उत्तर - नोनो (स्थानीय शासक) के द्वारा ।
5. स्पीति के पहाड़ कैसे हैं?
उत्तर - स्पीति के पहाड़ लाहुल से ज्यादा ऊँचे नंगे और भव्य हैं।
गद्यांश सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित गद्यांशों से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले की तहसील है। लाहुल-स्पीति का यह योग भी आकस्मिक ही है। इनमें योगायोग नहीं है। ऊँचे दरों और कठिन रास्तों के कारण इतिहास में भी कम रहा है। अलंघ्य भूगोल यहाँ इतिहास का बड़ा कारक है। जब जबकि संचार में कुछ सुधार हुआ है तब भी लाहुल-स्पीति का योग प्रायः ‘वायरलेस सेट' के जि है जो केलंग और काजा के बीच खड़कता रहता है। फिर भी केलंग के बादशाह को भय लगा रहा है कि कहीं काजा सूबेदार उसकी अवज्ञा तो नहीं कर रहा है? कहीं बगावत तो नहीं करने वाला है? लेकिन सिवाय वायरलेस सेट पर स भेजने के कर भी क्या सकता है ? वसन्त में भी 170 मील जाना-आना कठिन है। शीत में प्राय: असम्भव है।
प्रश्न – स्पीति में इतिहास क्यों कम रहा है?
उत्तर- स्पीति में रहने लायक स्थितियाँ नहीं हैं। अतः यहाँ की जनसंख्या भी कम हैं। न ही प्रगति के अवसर इस कारण मानव जीवन की गतिविधियाँ भी कम हैं जिनके आधार पर इतिहास बनता है । इतिहास नाम पर यहाँ की भौगोलिक कठिनाइयाँ ही प्रमुख हैं।
प्रश्न – स्पीति की भौगोलिक स्थिति पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर- स्पीति का नाम लाहुल के साथ जोड़ा जाता है। यह हिमाचल प्रदेश की एक तहसील है। इसमें ऊँचे-उ दर्रे और कठिन रास्ते हैं। यहाँ के पहाड़ अलंघ्य हैं। यहाँ तक कि आधुनिक युग में भी दूरसंचार साधनों का अभाव है। यहाँ सर्दियों में नदी-नाले तक जम जाते हैं। वसन्त थोड़े समय के लिए आता उसमें भी आवागमन कठिन होता है।
प्रश्न – केलंग के बादशाह की समस्या क्या है और क्यों है?
उत्तर- केलंग के बादशाह की समस्या है - संचार और आवागमन के साधनों का अभाव। उसके अन्तर्गत का प्रदेश भी है। यह स्थान केलंग से दूर है। सड़कें हैं नहीं। पैदल आना-जाना बहुत मुश्किल है। वसन्त दिनों में पैदल आया जाया जा सकता है। लेकिन 170 मील की दूरी इतने समय में तय नहीं हो पात सर्दियों में सब जगह बर्फ जम जाती है। संचार के लिए उनके पास बस एक वायरलेस सेट है। इसी सहारे उनकी आपसी बातचीत हो सकती है। अतः केलंग के बादशाह को डर लगा रहता है कि क काजा का सूबेदार उस सूबे पर कब्जा न कर ले।
प्रश्न – लाहुल-स्पीति में आवागमन की क्या कठिनाइयाँ हैं ?
उत्तर- लाहुल-स्पीति का क्षेत्र अत्यन्त बीहड़, दुर्गम और पहाड़ी है। यहाँ ऊँचे-ऊँचे दर्रे और कठिन रास्ते एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ तक जाना बहुत कठिन होता है। न ही यहाँ अधिक आबादी है, न विकास न सड़कें, न टेलीफोन हैं और न बिजली है । अतः एक स्थान से दूसरे स्थान पर सन्देश पहुँचाना ब कठिन हो जाता है। आठ महीने बर्फ जमी रहती है, इसलिए पैदल यात्रा भी कठिन हो जाती है ।
प्रश्न – इस यात्रावृत्तान्त तथा इसके लेखक का नाम बताइए ।
उत्तर- यात्रावृत्तान्त - कृष्णनाथ; लेखक - लेखक
गद्यांश - 2
स्पीति नदी के साथ-साथ मेरा थोड़ा परिचय स्पीति के पहाड़ों का भी है। स्पीति के पहाड़ लाहुल से ज्यादा ऊँचे, ' और भव्य हैं। इनके सिरों पर स्पीति के नर-नारियों का आर्तनाद जमा हुआ है। शिव का अट्टहास नहीं, हिम का आर्त है। ठिठुरन है। गलत है। व्यथा है । इस व्यथा की कथा इन पहाड़ों की ऊँचाई के आँकड़ों में नहीं कही जा सकती। फिर भी जो सुन्दरता को इंच में के अभ्यासी हैं वे भला पहाड़ को कैसे बख्श सकते हैं। वे यह जान लें कि स्पीति मध्य हिमालय की घाटी है। जिसे हिमालय जानते हैं—स्केटिंग, सौन्दर्य प्रतियोगिता, आइसक्रीम और छोटे-भटूरे का कुल्लू-मनाली, शिमला, मसू नैनीताल, श्रीनगर वह सब हिमालय नहीं है। हिमालय का तलुआ है।
प्रश्न – इस यात्रावृत्तान्त तथा इसके लेखक का नाम बताइए ।
उत्तर- यात्रावृत्तान्त - कृष्णनाथ; लेखक - लेखक
प्रश्न – स्पीति के पहाड़ प्रसिद्ध पहाड़ों से कैसे अलग हैं?
उत्तर- स्पीति के पहाड़ कुल्लू-मनाली, रोहतांग, शिमला, मसूरी, नैनीताल, श्रीनगर जैसे प्रसिद्ध पहाड़ों से भिन्न हैं। उन प्रसिद्ध पहाड़ी स्थलों पर हरियाली ही हरियाली है। वहाँ सैलानी घूमने आते हैं। वे मनोरंजन-स्थल हैं। इसलिए वहाँ सैलानियों का जमघट बना रहता है। इसके विपरीत स्पीति के पहाड़ ऊँचे, नंगे तथा भव्य हैं। यहाँ न हरियाली है, न वर्षा है, न भीड़-भाड़ है। ये झाड़-रहित हैं।
प्रश्न – 'यहाँ शिव का अट्टास नहीं, हिम का आर्तनाद है' - आशय स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- स्पीति के पहाड़ों में भगवान शिव के मुक्त अट्टहास नहीं है, अर्थात् यहाँ न चहल-पहल है, न जीवन का शोर है, न उमंग है, न हलचल है और न खुशी है। यहाँ तो मात्र मौन बर्फ का साम्राज्य है। बर्फ के कारण यहाँ का जन-जीवन जड़, उदास और दुखद हो गया है।
गद्यांश - 3
मध्य हिमालय की जो श्रेणियाँ स्पीति को घेरे हुए हैं उनमें से जो उत्तर में हैं उसे बारालाचा श्रेणियों का विस्तार समझें। बारालाचा दर्रे की ऊँचाई का अनुमान 16,221 फीट से लगाकर 16,500 फीट का लगाया गया है। इस पर्वत-श्रेणी में दो चोटियों की ऊँचाई 21,000 फीट से अधिक है। दक्षिण में श्रेणी है वह माने श्रेणी कहलाती है। इसका क्या अर्थ है ? कहीं यह बौद्धों के माने मन्त्र के नाम पर तो नहीं है? "ओं मणि पद्मे हुं" इनका बीज मंत्र है। इसका बड़ा महात्म्य है। इसे संक्षेप में माने कहते हैं। कहीं इस श्रेणी का नाम इस माने के नाम पर तो नहीं है? अगर नहीं है तो करने जैसा है। यहाँ इन पहाड़ियों में माने का इतना जाप हुआ कि यह नाम उन श्रेणियों को दे डालना ही सहज है।
प्रश्न- स्पीति में किस धर्म का प्रभाव दिखाई देता है?
उत्तर- स्पीति में बौद्ध धर्म का प्रभाव दिखाई देता है। यहाँ बड़ी वय के बौद्ध लामा निवास करते हैं । बौद्ध धर्म के माने मंत्र - 'ओं मणि पद्मे हुं' का यहाँ काफी उच्चार हुआ है। यहाँ के निवासियों ने इस मंत्र का काफी जाप किया है।
प्रश्न- माने पर्वत श्रेणी किसे कहा गया है? इसका नामकरण कैसे हुआ ?
उत्तर- स्पीति को दक्षिण दिशा में जो पहाड़ घेरे हुए हैं, उन्हें माने श्रेणी नाम दिया जाता है। लेखक का अनुमान है कि इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म का प्रभाव है। इसलिए संभवत: बौद्धों के माने मंत्रों के नाम से इनका नाम माने पर्वत-श्रृंखला पड़ा हो। माने मंत्र है- ' ओं मणि पद्मे हुँ ।'
प्रश्न- बारालाचा पर्वत श्रेणी किसे कहते हैं? उसकी ऊँचाई कितनी है ?
उत्तर- स्पीति घाटी के चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ हैं। जो पहाड़ स्पीति की उत्तर दिशा में स्थित हैं, उन्हें बारालाचा पर्वत श्रेणी कहते हैं। इसके पर्वत 16,000 फीट से ऊँचे हैं। इस दर्रे की ऊँचाई अनुमान से 16,221 फीट से लेकर 16,500 फीट तक है। इसकी दो चोटियाँ 21,000 फीट से भी ज्यादा ऊँची हैं।
प्रश्न- इस यात्रावृत्तान्त तथा इसके लेखक का नाम बताइए।
उत्तर- यात्रावृत्तान्त - कृष्णनाथ; लेखक - लेखक
गद्यांश - 4
मैं ऊँचाई के माप के चक्कर में नहीं हूँ। न इनसे होड़ लगाने के पक्ष में हूँ। वह एक बार लोसर में जो कर लिया सो बस है। इन ऊँचाइयों से होड़ लगाना मृत्यु है। हाँ, कभी-कभी उनका मान-मर्दन करना मर्द और औरत की शान है। मैं सोचता हूँ कि देश और दुनिया के मैदानों से और पहाड़ों से युवक-युवतियाँ आएँ और पहले तो स्वयं अपने अहंकार को गलाएँ—फिर इन चोटियों के अहंकार को चूर करें। उस आनन्द का अनुभव करें जो साहस और कूवत से यौवन में ही प्राप्त होता है। अहंकार का ही मामला नहीं है। ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं। युवक-युवतियाँ किलोल करें तो यह भी हर्षित हों। अभी तो इन पर स्पीति का आर्तनाद जमा हुआ है। वह इस युवा अट्टहास की गरमी से कुछ तो पिघले। यह एक युवा निमन्त्रण है।
प्रश्न – लेखक युवक-युवतियों को किसलिए स्पीति बुलाना चाहता है ?
उत्तर- लेखक देश-विदेश के युवक-युवतियों को स्पीति की पहाड़ियों में बुलाना चाहता है। इसका कारण यह है कि स्पीति में उदासी है, वीरानी है। न यहाँ विकास हुआ है, न चहल-पहल है। निवासियों में भी अधिकांश बौद्ध लामा हैं। वे लामा बूढ़े हैं जो माने मंत्रों का जाप करते रहते हैं। लेखक चाहता है कि नवयुवक यहाँ आकर क्रीड़ा-कौतुक करें, आनन्द - लीला करें। तभी यहाँ की उदासी समाप्त हो सकती है।
प्रश्न – यौवन का आनन्द क्या है ? लेखक युवकों को किस चीज का निमन्त्रण देता है?
उत्तर- लेखक के अनुसार अहंकार को गलाना तथा कठोरता के अहंकार को चूर करना - दोनों यौवन के आनन्द हैं। युवक ही अलंघ्य पहाड़ों को पार करने का साहस कर सकते हैं। वे ऊँचाइयों से प्रतिस्पर्द्धा करके भी खुशी अनुभव कर सकते हैं। लेखक नवयुवकों को इन्हीं का अनुभव करने हेतु स्पीति में निमन्त्रित करता है।
प्रश्न – लेखक की दृष्टि में स्पीति की उदासी तोड़ने का क्या उपाय है?
उत्तर- लेखक की दृष्टि में स्पीति का भूगोल वैसे ही बीहड़, दुर्गम, मौन तथा उदास है । वहाँ सदैव बर्फ का आर्तनाद छाया रहता है। दूसरे, वहाँ बूढ़े लामा रहते हैं। वे बौद्ध मन्त्रों का जाप कर करके उदासी को और अधिक गहन कर देते हैं। इसलिए उस उदासी को तोड़ने का उपाय यह है कि वहाँ देश-विदेश के नवयुवक-युवतियाँ आएँ। वे खेल और मनोविनोद करें। दुर्गम पहाड़ियों पर चढ़ने का साहस दिखाएँ।
प्रश्न – अहंकार को गलाने और अहंकार को चूर करने का क्या अर्थ है ?
उत्तर- अहंकार को गलाने का अर्थ है - पहाड़ों के प्राकृतिक सौन्दर्य में रहते हुए अपनी लघुता को पहचानें। प्रकृति की विराटता के सामने सिर झुकाएँ हों। इनके निर्माता ईश्वर के सामने झुकें। साथ ही पहाड़ों को पार करने की कोशिश करें ताकि उनकी दुर्गमता को चुनौती मिले। पहाड़ों की कठोरता को पार करने के रास्ते बनें।
प्रश्न – इस यात्रावृत्तान्त तथा इसके लेखक का नाम बताइए।
उत्तर- यात्रावृत्तान्त - कृष्णनाथ; लेखक - लेखक
गद्यांश - 5
यह पवास यहाँ नहीं पहुँचता है। कालिदास की वर्षा की शोभा विंध्याचल में हैं हिमाचल की इन मध्य की घाटियों में नहीं है। मैं नहीं जानता कि इसका लालित्य लाहुल-स्पीति के नार - नारी समझ भी पाएँगे या नहीं। वर्षा उनके संवेदन का अंग नहीं है। वह यह जानते नहीं हैं कि 'बरसात में नदियाँ बहती हैं, बादल बरसते, मस्त हाथी चिंघाड़ते हैं, जंगल हरे-भरे हो जाते हैं, अपने प्यारों से बिछुड़ी हुई स्त्रियाँ रोती- कलपती हैं, मोर नाचते हैं और बन्दर चुप मारकर गुफाओं में जा छिपते हैं। अगर कालिदास यहाँ आकर कहें कि 'अपने बहुत से सुन्दर गुणों से सुहानी लगने वाली, स्त्रियों का जी खिलाने वाली, पेड़ों की टहनियों और बेलों की सच्ची सखी तथा सभी जीवों का प्राण बनी हुई वर्षा ऋतु आपके मन की सब साधें पूरी करें' तो शायद स्पीति के नर-नारी यही पूछेंगे कि यह देवता कौन है? कहाँ रहता है ? यहाँ क्यों नहीं आता ? स्पीति में कभी-कभी बारिश होती है। वर्षा ऋतु यहाँ मन की साध पूरी नहीं करती। धरती सूखी, ठण्डी और वंध्या रहती है।
प्रश्न – 'वर्षा उनके संवेदन का अंग नहीं है' का आशय स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- स्पीतिवासी वर्षा ऋतु के अनुभव को ले नहीं पाते। जैसी मनमोहक वर्षा का वर्णन कालिदास ने अपनी कविताओं में किया है, वैसी वर्षा स्पीति में नहीं होती । अतः वर्षा का सुख उनकी अनुभूतियों में नहीं है, उनकी रंगों में नहीं है।
प्रश्न – कालिदास ने वर्षा ऋतु का किस प्रकार गुणगान किया है?
उत्तर- कालिदास ने वर्षा ऋतु का अत्यन्त मादक तथा मनमोहक वर्णन किया है। उन्होंने वर्षा में बादलों के बरसने का, नदियों के बहने का, मस्त हाथियों के चिंघाड़ने का, जंगल में फैली हरियाली का, वियोगिनी नारियों के रोने-कलपने का, मोरों के नाचने का तथा बन्दरों के चुप्पी मारकर गुफाओं में छिपने का मनोहारी वर्णन किया है।
प्रश्न – लेखक को क्यों लगता है कि लाहुल-स्पीति के लोग कालिदास के पावस-प्रसंग को नहीं समझ पाएँगे?
उत्तर- लेखक के अनुसार लाहुल-स्पीति के लोग वर्षा के सुख से अनभिज्ञ हैं। स्पीति में बारिश न के बराबर होती है। वह भी सुहानी नहीं होती। भीषण ठण्ड के कारण बारिश बर्फीली होती है। इसलिए जब लोग कालिदास के मनमोहक पावस-प्रसंग को पढ़ेंगे तो वे इसे मानेंगे नहीं, न ही समझ सकेंगे।
प्रश्न – इस यात्रावृत्तान्त तथा इसके लेखक का नाम बताइए ।
उत्तर- यात्रावृत्तान्त - कृष्णनाथ; लेखक - लेखक
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