कक्षा 11 हिंदी आरोह के पाठ 7 रजनी के प्रश्न उत्तर: NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 6 Rajni
कक्षा 11 हिंदी आरोह के पाठ 7 रजनी के प्रश्न उत्तर: NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 6 Rajni
प्रश्न 1. रजनी ने अमित के मुद्दे को गम्भीरता से लिया, क्योंकि-
- वह अमित से बहुत स्नेह करती थी।
- अमित उसकी मित्र लीला का बेटा था।
- वह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की सामर्थ्य रखती थी।
- उसे अखबार की सुर्खियों में आने का शौक था।
उत्तर- (3) वह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की सामर्थ्य रखती थी।
प्रश्न 2. जब किसी का बच्चा कमज़ोर होता है, तभी उसके माँ-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है, तो उस टीचर से न लें ट्यूशन, किसी और पास चले जाएँ..... यह कोई मजबूरी तो है नहीं - प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है, तर्क दीजिए ।
उत्तर - रजनी ट्यूशन के रैकेट के सम्बन्ध में निदेशक के पास जाती है। उसे बताती है कि बच्चों को जबरदस्ती ट्यूशन लेने के लिए कहा जाता है। ऐसे लोगों के सम्बन्ध में बोर्ड क्या कर रहा है? निदेशक ने इस समस्या को गम्भीरता से नहीं लिया। वे सहज भाव से कहते हैं कि ट्यूशन करने में कोई मजबूरी नहीं है। कमजोर बच्चे को ट्यूशन पढ़ना पड़ता है। यदि कोई अध्यापक उन्हें लूटता है तो वे दूसरे के पास चले जाएँ।
शिक्षा निदेशक का यह जवाब बहुत घटिया तथा गैरजिम्मेदाराना है। वे ट्यूशन को बुरा नहीं मानते। उन्हें इसमें गम्भीरता नज़र नहीं आती। वे बच्चों के शोषण को नहीं रोकना चाहते। ऐसी बातें कहकर वह अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहता है । अत: यह संवाद पूरी तरह से गलत है।
प्रश्न 3. तो एक और आंदोलन का मसला मिल गया - फुसफुसाकर कही गई यह बात-
- (क) किसने किस प्रसंग में कही ?
- (ख) इससे कहने वाले की किस-किस मानसिकता का पता चलता है ?
उत्तर- (क) यह बात रजनी के पति रवि ने उस समय कही जब रजनी ने भाषण देते समय निजी स्कूल के टीचर्स की समस्याओं का जिक्र किया। उन्हें कम वेतन मिलता था। रजनी उन्हें संगठित होकर आंदोलन चलाने की सलाह दे रही थी जिससे इस अन्याय का पर्दाफाश हो सके।
उत्तर- (ख) रवि की इस बात से उसकी उदासीन प्रवृत्ति का पता चलता है। वह समाज में होने वाले अन्याय को देखकर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। वह स्वार्थी है और अपने तक ही सीमित रहता है।
प्रश्न 4. रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है? क्या होता अगर-
- (क) अमित का पर्चा सचमुच खराब होता ।
- (ख) सम्पादक रजनी का साथ न देता ।
उत्तर- रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या शिक्षा का व्यवसायीकरण है। स्कूल के अध्यापक बच्चों को ज़बरदस्ती ट्यूशन पढ़ने के लिए बाध्य करते हैं तथा ट्यूशन न लेने पर वे उनके अंक कम कर देते हैं। इस कड़ी में इसके विरुद्ध लोगों में चेतना उत्पन्न करने की कोशिश की गई है।
(क) अगर अमित का पेपर खराब होता तो यह समस्या सामने नहीं आती और न ही रजनी इसे आंदोलन का रूप दे पाती। बच्चों तथा अभिभावकों को ट्यूशन के शोषण से पीड़ित न होना पड़ता ।
(ख) यदि सम्पादक रजनी का साथ न देता तो यह समस्या सीमित लोगों के मध्य ही रह जाती। कम संख्या का बोर्ड पर कोई असर नहीं होता। आंदोलन पूरी ताकत से नहीं चल पाता और सफलता संदिग्ध रहती।
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1. गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता - इस संवाद के सन्दर्भ में आप सबसे ज्यादा किसे और क्यों गुनहगार मानते हैं?
उत्तर- इस संवाद के सन्दर्भ में सबसे ज्यादा दोषी गणित अध्यापक के अत्याचार को सहने वाला है। अध्यापक ट्यूशन लेने के लिए छात्रों को डराता है, कम अंक देता है। इस कार्य को सहन करने से उसका हौसला बढ़ता है। उसका विरोध करके उसे दबाया जा सकता है। इस प्रकार गणित के अध्यापक और इसे सहने वाला दोनों ही दोषी हैं।
प्रश्न 2. स्त्री के चरित्र की बनी बनाई धारणा से रजनी का चेहरा किन मायनों में अलग है?
उत्तर- रजनी साधारण स्त्रियों से अलग है। आम स्त्री सहनशील तथा डरपोक होती है। वह अन्याय का विरोध नहीं करती एवं संघर्षों से दूर रहना चाहती है। रजनी इन सबके विपरीत जुझारू, संघर्षशील एवं बहादुर है। वह अपने सामने हो रहे अन्याय को नहीं सहन कर सकती। वह अपने पति तक को खरी-खोटी सुनाती है एवं अधिकारियों की खिंचाई करती है। यह ट्यूशन के विरोध में जन-आंदोलन खड़ा कर देती है।
प्रश्न 3. पाठ के अन्त में मीटिंग के स्थान का विवरण कोष्ठक में दिया गया है। यदि इसी दृश्य को फिल्माया जाए तो आप कौन-कौन से निर्देश देंगे ?
उत्तर - यदि मीटिंग दृश्य फिल्माया जाए तो हम निम्नलिखित निर्देश देंगे-
- स्टेज के पीछे बैनर लगा हो तथा उस पर एजेंडा लिखा होना चाहिए।
- रजनी को अपने डायलॉग्स पूर्णरूप से याद होने चाहिए।
- मीटिंग स्थल पर प्रवेश करने वालों को जोश से आना-जाना होगा ।
- स्टेज पर माइक तथा कुर्सी होनी चाहिए।
- तालियाँ इत्यादि समयानुसार बजें ।
प्रश्न 4. इस पटकथा में दृश्य- संख्या का उल्लेख नहीं है। मगर गिनती करें तो सात दृश्य हैं। आप किस आधार पर इन दृश्यों को अलग करेंगे ?
उत्तर— पटकथा में दृश्य - संख्या नहीं है, किन्तु दृश्य अलग-अलग दिए गए हैं। हम सभी दृश्यों को स्थान के आधार पर अलग-अलग करेंगे।
भाषा की बात
प्रश्न 1. निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित अंश में जो अर्थ निहित हैं उन्हें स्पष्ट करते हुए लिखिए-
(क) वरना तुम तो मुझे काट ही देतीं।
उत्तर- काट ही देतीं - भूल ही जाना ।
स्पष्टीकरण-रजनी कहती है कि अगर वह लीला के घर पर न आती तो वह उसे मिठाई खिलाने की बात भूल ही जाती ।
(ख) अमित जब तक तुम्हारे भोग नहीं लगा लेता, हम लोग खा थोड़े ही सकते हैं।
उत्तर- भोग नहीं लगा - चखाना ।
स्पष्टीकरण - लीला कहती है कि अमित जब तक रजनी आंटी को खिला नहीं लेता, तब तक वह किसी और को नहीं खाने देता ।
थोड़े ही - नहीं ।
स्पष्टीकरण - वह हमें तब तक खाने नहीं देता जब तक वह तुम्हें न खिला आए ।
(ग) बस बस मैं समझ गया ।
उत्तर- संपादक महोदय रजनी की बात पर कहते हैं कि और अधिक कहने की आवश्यकता नहीं, मैं साड़ी बात समझ गया।
कोड मिक्सिंग / कोड स्विचिंग
प्रश्न 1. कोई रिसर्च प्रोजेक्ट है क्या? व्हेरी इंटरेस्टिंग सब्जेक्ट ।
ऊपर दिए गए संवाद में दो पंक्तियाँ हैं पहली पंक्ति में रेखांकित अंश हिन्दी से अलग अंग्रेजी भाषा का है जबकि शेष हिन्दी भाषा का है। दूसरा वाक्य पूरी तरह अंग्रेजी में है। हम बोलते समय कई बार एक ही वाक्य में दो भाषाओं (कोड) का इस्तेमाल करते हैं। यह कोड मिक्सिंग कहलाता है। जबकि एक भाषा में बोलते-बोलते दूसरी भाषा का इस्तेमाल करना कोड स्विचिंग कहलाता है। पाठ में से कोड मिक्सिंग और कोड स्विचिंग के तीन-तीन उदाहरण चुनिए और हिन्दी भाषा में रूपांतरण करके लिखिए।
उत्तर- कोड मिक्सिंग-
- (क) नाइंटी फाइव तो तेरे पक्के हैं।
- (ख) मैथ्स में ही पूरे नम्बर आ सकते हैं।
- (ग) सॉरी मैडम, ईयरली एक्जाम्स की कॉपियाँ तो हम नहीं दिखाते हैं।
हिन्दी रूपांतरण–
- (क) पंचानवे तो तेरे पक्के हैं।
- (ख) गणित में ही तो पूरे अंक आ सकते हैं।
- (ग) क्षमा कीजिए, बहन जी, वार्षिक परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएँ तो हम लोग नहीं दिखाते हैं।
कोड स्विचिंग-
- (क) आई मीन व्हॉट आई से । नियम का जरा भी ख्याल होता तो इस तरह की हरकतें नहीं होतीं स्कूल में,
- (ख) कोई शोध परियोजना है क्या ? व्हेरी इंटरेस्टिंग सब्जेक्ट ।
- (ग) विल यू प्लीज गेट आउट ऑफ दिस रूम । ..... मेमसाहब को बाहर ले जाओ।
हिन्दी रूपांतरण—
- (क) मैं जो कह रही हूँ, वह सच है। नियम.....।
- (ख) कोई शोध परियोजना है क्या ? बहुत रोचक विषय है।
- (ग) कृपया आप इस कमरे से बाहर चले जाएँ।..... मेमसाहब.... ।
पटकथा की दुनिया
प्रश्न 1. आपने दूरदर्शन या सिनेमा हाल में अनेक चलचित्र देखे होंगे। पर्दे पर चीजें जिस सिलसिलेवार ढंग से चलती हैं उसमें पटकथा का विशेष योगदान होता है। पटकथा कई महत्वपूर्ण संकेत देती है, जैसे-
- कहानी / कथा
- संवादों की विषय-वस्तु
- संवाद अदायगी का तरीका
- आसपास का वातावरण / दृश्य
- दृश्य का बदलना ।
इस पुस्तक के अपने पसंदीदा पाठ के किसी एक अंश को पटकथा में रूपान्तरित कीजिए ।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।
परीक्षा में उपयोगी रजनी पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. 'रजनी' पाठ का प्रतिपाद्य बताइए ।
उत्तर - यह पाठ शिक्षा के व्यवसायीकरण, ट्यूशन के रैकेट, अधिकारियों की उदासीनता तथा आम जनता द्वारा अन्याय का विरोध आदि के बारे में बताता है। यह हमें अन्याय का विरोध करने की प्रेरणा देता है। यह पाठ सिखाता है कि यदि अन्याय को नहीं रोका गया तो वह बढ़ता जाएगा। अन्याय का विरोध समाज को साथ लेकर हो सकता है, क्योंकि आम आदमी की सहभागिता के बिना सामाजिक, प्रशासनिक व राजनैतिक व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन सम्भव नहीं है।
प्रश्न 2. गणित के टीचर के खिलाफ अन्य बच्चों ने आवाज क्यों नहीं उठाई ?
उत्तर- गणित का अध्यापक बच्चों को जबरदस्ती ट्यूशन पर आने के लिए कहता था। ऐसा न करने पर उनके अंक तक काट देता था। दूसरे बच्चों ने उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई, क्योंकि उन्हें लगता था कि ऐसा करने पर अगली कक्षाओं में भी उनके साथ भेदभाव किया जाएगा। अध्यापक उनका भविष्य बिगाड़ देगा और उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा। इस डर से अमित व उसकी माँ भी रजनी को विरोध करने से रोकना चाहते थे ।
प्रश्न 3. रजनी सम्पादक से क्या सहायता माँगती है ?
उत्तर- रजनी सम्पादक को ट्यूशन की समस्या बताती है तथा उसे अखबार में छापने का आग्रह करती है। वह उनसे कहती है कि 25 तारीख को पेरेंट्स मीटिंग की खबर भी प्रकाशित करें। इससे सब लोगों तक खबर पहुँच जाएगी। व्यक्तिगत तौर पर हम कम लोगों से सम्पर्क कर पाएँगे।
प्रश्न 4. शिक्षा बोर्ड और प्राइवेट स्कूलों के बीच क्या सम्बन्ध होता है?
उत्तर- शिक्षा बोर्ड शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए प्राइवेट स्कूलों को 90% सहायता देकर मान्यता देता है। यह सहायता स्कूलों के रखरखाव, अध्यापक और विद्यार्थियों के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए दी जाती है। शिक्षा बोर्ड के नियमों का पालन करना प्राइवेट स्कूल का कर्तव्य है। शिक्षा बोर्ड सिलेबस बनाता है, वार्षिक परीक्षा बोर्ड करवाता है।
प्रश्न 5. सरकारी कार्यालयों की व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर- सरकारी कार्यालयों में आम आदमी को परेशान किया जाता है। यहाँ हर कदम पर भ्रष्टाचार है। अफसर अन्दर खाली बैठे रहते हैं, परन्तु बाहर 'बिजी' होने का सन्देश दिया जाता है। चपरासी भी रिश्वत लेकर ही मुलाकातियों को साहब से मिलने भेजता है। अधिकारी का रवैया काम को टालने वाला होता है। उसे जनता से कोई लेना-देना नहीं होता।
प्रश्न 6. 'रजनी' के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर- 'रजनी' इस पाठ की नायिका है। उसके चरित्र का सबसे बड़ा गुण संघर्षशीलता है। वह अन्याय के विरुद्ध टक्कर लेने में कुशल है। वह निर्भय, बेबाक तथा आत्मविश्वास से परिपूर्ण महिला है। वह सत्य के लिए किसी से भी टकराने की हिम्मत रखती है। उसमें लोगों को इकट्ठा करने तथा उन्हें अपनी बातों से प्रभावित करने की विचित्र शक्ति है। वह सच्चे अर्थों में नायिका है।
प्रश्न 7. अमित के चरित्र पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर- अमित एक प्रतिभाशाली बालक है। वह पढ़ाई में काफी होशियार है। उसे अपने अध्यापकों पर भी श्रद्धा है। अभी वह न्याय-अन्याय की परिभाषा को नहीं समझता । अतः अध्यापक द्वारा ट्यूशन पढ़ने की बात कहने पर वह बिना किसी तर्क-वितर्क के उसे मान लेना चाहता है। वह किसी भी स्थिति में अपने अध्यापक को नाराज नहीं करना चाहता। सच तो यह है कि वह ट्यूशन की जबरदस्ती को अन्याय समझता ही नहीं । अतः वह अध्यापक के प्रति एक भी कठोर शब्द नहीं कहता।
प्रश्न 8. ट्यूशन पढ़ाने वाले पाठक जी किस युक्ति से अमित को ट्यूशन पढ़ने के लिए बाध्य करते हैं?
उत्तर- पाठक जी अमित को ट्यूशन पढ़ने के लिए कुछ युक्तियों से बाध्य करते हैं। जैसे - वे अमित को डराते हैं कि वार्षिक परीक्षा में पूरे अंक लेने के लिए ट्यूशन जरूरी हैं। वे उसे धमकी भी देते हैं कि ट्यूशन के बिना रह जाओगे।' वे ट्यूशन पढ़ने वाले अन्य लड़कों के नाम लेकर उसे प्रेरित करते हैं।
प्रश्न 9. क्या आप हैडमास्टर को ट्यूशन में सहायता करने का दोषी मानते हैं?
उत्तर- हैडमास्टर ट्यूशन के काले धन्धे में प्रत्यक्ष रूप से दोषी नहीं है। वह किसी अध्यापक का समर्थन नहीं करता। लेकिन वह अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाह अवश्य है। स्कूल का मुखिया होने के नाते उसका यह उत्तरदायित्व है कि वह ट्यूशन पर लगाम कसे। कोई भ्रष्ट अध्यापक ट्यूशन के लिए छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करे। अगर उसे इस प्रकार की शिकायत मिलती है तो शीघ्र उस पर कार्यवाही करे। लेकिन वह ऐसा कुछ नहीं करता। इसलिए वह लापरवाही करने का दोषी है।
प्रश्न 10. लीला बेन के व्यवहार पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर- लीला बेन एक साधारण घरेलू महिला है। वह अपने बच्चे के हित की कामना करती है तथा वस्तुस्थिति के अनुसार सोच-समझकर निर्णय करती है। उसमें अन्याय का विरोध करने की हिम्मत नहीं है। अपने प्रिय पुत्र के भविष्य को दाँव पर लगाकर संघर्ष करने की बजाय वह थोड़ा-बहुत अन्याय सहन करना ही उचित मानती है। इसलिए वह रजनी को अमित के स्कूल में जाकर झगड़ा करने से रोकती है।
प्रश्न 11. अमित अपने गणित अध्यापक से नाराज न होकर अपनी माँ से क्यों नाराज होता है?
उत्तर- अमित अबोध बालक है। वह वस्तुस्थिति नहीं समझता। वह नहीं जानता कि उसके गणित - अध्यापक लोभ में अन्धे होकर ट्यूशन पढ़ने के लिए जबरदस्ती कर रहे हैं और जान-बूझकर कम अंक दे रहे हैं। वह अन्य लड़कों को भी ट्यूशन पढ़ते देखकर सोचता है कि शायद ट्यूशन लेना आवश्यक है। उसकी माँ उसे गणित की ट्यूशन पढ़ने के लिए रोकती है। अत: वह गणित में कम अंक आने में अपनी माँ को दोषी समझता है।
प्रश्न 12. वार्षिक परीक्षाओं की कॉपियाँ न दिखाने के पीछे हैडमास्टर का क्या तर्क है? क्या आप उससे सहमत हैं? हैडमास्टर महोदय वार्षिक परीक्षाओं की कॉपियाँ न दिखाने के पीछे मात्र यही तर्क देते हैं कि ऐसा करने से लड़कों तथा उनके अभिभावकों की भीड़ लग जाएगी। उन्हें निपटाना एक झंझट हो जाएगा।
उत्तर- मैं हैडमास्टर के इस तर्क से सहमत नहीं हूँ । एक झंझट से बचने के लिए किसी के भविष्य को बर्बाद तो नहीं किया जा सकता। इस नियम से भ्रष्ट अध्यापकों की चाँदी हो जाएगी। वे मनमानी करेंगे तथा कॉपियाँ जाँचने में लापरवाही बरतेंगे। इस प्रकार योग्य छात्रों का भविष्य अन्धकारमय हो जाएगा। इस नियम से भ्रष्ट अध्यापकों पर कोई नियन्त्रण नहीं रहेगा।
प्रश्न 13. रजनी अपने पति को किस बात के लिए डाँटती - दुत्कारती है?
उत्तर- रजनी अपने पति रवि को तब डाँटती है जब वह उसे ट्यूशन के विरुद्ध संघर्ष करने से रोकता है। रजनी के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपनी आँखों के सामने होते हुए अन्याय को रोके। वह अपने पति को भी संघर्षशील, जुझारू तथा समाज का हित चिन्तक बनाना चाहती है।
प्रश्न 14. क्या शिक्षा निदेशक को शिकायत मिलने पर ही कार्यवाही करनी चाहिए ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- शिक्षा-निदेशक रजनी को तर्क देता है कि उसे आज तक ट्यूशन के सन्दर्भ में कोई शिकायत ही नहीं मिली। इसलिए वह किसी पर कार्यवाही कैसे करे। शिक्षा निदेशक का यह व्यवहार ठीक नहीं है। उसका यह कर्तव्य बनता है कि वह सामान्य रूप से भी शिक्षा के कामकाज पर निगरानी रखे। यदि कोई अध्यापक जबरदस्ती ट्यूशन लेता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कार्यवाही करे।
प्रश्न 15. छात्रों तथा अध्यापकों की समस्याएँ देखते हुए ट्यूशन पढ़ाने की समस्या के लिए क्या समाधान निकाला जाता है?
उत्तर- छात्रों एवं अध्यापकों की अपनी-अपनी समस्याएँ हैं । कमजोर छात्रों को ट्यूशन की आवश्यकता है। जरूरतमंद अध्यापकों को ट्यूशन पढ़ाकर कमाने की जरूरत है। इसलिए यह समाधान निकाला गया कि कोई भी अध्यापक अपने स्कूल के बच्चों को ट्यूशन न पढ़ाए। इससे अध्यापक की मनमानी और जबरदस्ती समाप्त हो सकेगी।
प्रश्न 16. “ ट्यूशन पढ़ना- पढ़ाना छात्र और अध्यापक का मामला है।" आप इस तर्क से कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर - मैं इस तर्क से कतई सहमत नहीं हूँ । यदि कोई अध्यापक स्कूल के विद्यार्थी को ट्यूशन पढ़ने के लिए बाध्य करता है तो यह स्कूल के हैडमास्टर का नैतिक कर्तव्य बनता है कि वह ऐसा न होने दे। हैडमास्टर यह कहकर बच नहीं सकता कि यह अध्यापक और छात्र का आपसी मामला है। इस तरह से छात्र असहाय और अध्यापक नियन्त्रणहीन हो जाएगा।
प्रश्न 17. ट्यूशन पढ़ाने के मामले में शिक्षा बोर्ड का क्या रुख है? क्या आप इससे सहमत हैं?
उत्तर- ट्यूशन पढ़ने-पढ़ाने के सन्दर्भ में शिक्षा निदेशक बिल्कुल उदासीन हैं। उनके अनुसार अगर कोई बच्चा एक अध्यापक से ट्यूशन नहीं पढ़ता, तो उसे किसी अन्य से ट्यूशन ले लेनी चाहिए। शिक्षा निदेशक ट्यूशन को एक बुराई नहीं मानता। यह चिन्ता का विषय है।
प्रश्न 18. इस पाठ के आधार पर अध्यापकों की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- कुछ अध्यापक प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं। उनमें से कुछ ऐसे हैं जिन्हें बहुत कम तनख्वाह मिलती है। इसलिए उन्हें ट्यूशन पढ़ाकर ही गुजारा करना पड़ता है। ट्यूशन पढ़ाना उनके लिए सहारा है, मजबूरी है, जीवन का आधार है। कुछ अध्यापकों का सरेआम शोषण होता है। उन्हें कम तनख्वाह मिलती है लेकिन अधिक पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं। मजबूरी में उन्हें अपना शोषण सहन करना पड़ता है क्योंकि दूसरी जगह उन्हें नौकरी नहीं मिलती।
रजनी पाठ के MCQ / बहुविकल्पीय प्रश्न
1. 'रजनी' में किस समस्या को रेखांकित किया गया है ?
(क) आर्थिक समस्या
(ख) सामाजिक समस्या
(ग) राजनीतिक समस्या
(घ) शिक्षा के व्यवसायीकरण की समस्या "✔"
2. रजनी किससे कहती है कि सेविंथ क्लास के अमित सक्सेना की मैथ्स की कॉपी देखना चाहती हूँ ?
(क) क्लास टीचर से
(ख) मैथ के टीचर से
(ग) हैडमास्टर से "✔"
(घ) इनमें से कोई नहीं
3. रजनी किस प्रकार की नारी है ?
(क) संघर्षशील
(ख) अन्याय की विरोधी
(ग) निर्भीक
(घ) ये सभी "✔"
4. 'रजनी' पिछली सदी के किस दशक का एक बहुचर्चित टी. वी. धरावाहिक रहा है ?
(क) सातवें
(ख) आठवें
(ग) नवें "✔"
(घ) छठे
5. रजनी अमित की समस्या को लेकर सर्वप्रथम कहाँ जाती है ?
(क) हैडमास्टर के पास "✔"
(ख) शिक्षा निदेशक के पास
(ग) सम्पादक के पास
(घ) अभिभावक के पास
6. “आपने तो इसे बाकायदा आन्दोलन का रूप ही दे दिया।" रजनी से यह कथन कौन कहता है ?
(क) उसका पति
(ख) शिक्षा निदेशक
(ग) संपादक "✔"
(घ) अमित के माता-पिता
7. “आपको स्लिप भेजकर भीतर आना चाहिए न ।" रजनी से यह कथन कौन कहता है ?
(क) हैडमास्टर
(ख) शिक्षा निदेशक "✔"
(ग) संपादक
(घ) पाठक साहब
8. 'रजनी' किस विधा की रचना है ?
(क) कहानी
(ख) फीचर
(ग) पटकथा "✔"
(घ) यात्रावृत्त
निम्नलिखित गद्यांशों से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
गद्यांश - 1
1. हाँ ! कॉपी लौटाते हुए कहा था कि तुमने किया तो अच्छा है पर यह तो हाफ-ईयरली है.... बहुत आसान पेपर होता है इसका तो। अब अगर ईयरली में भी पूरे नम्बर लेने हैं तो तुरन्त ट्यूशन लेना शुरू कर दो। वरना रह जाओगे। सात लड़कों ने तो शुरू भी कर दिया था। पर मैंने जब मम्मी-पापा से कहा, हमेशा बस एक ही जवाब (मम्मी की नकल उतारते हुए) मैथ्स में तो तू वैसे ही बहुत अच्छा है, क्या करेगा ट्यूशन लेकर ? देख लिया अब ? सिक्स्थ पोजीशन आई है मेरी। जो आज तक कभी नहीं आई थी।
प्रश्न – आप अमित के कम अंकों के लिए किसे दोषी मानते हैं?
उत्तर- मेरी दृष्टि में अमित के कम अंकों के लिए उसका गणित - अध्यापक पाठक दोषी है। वह काफी स्वार्थी और चालबाज है। उसने अमित को ट्यूशन के लिए विवश करने के चक्कर में वार्षिक परीक्षा में कम अंक दिए। मेरी नजरों में उस स्कूल का प्राचार्य भी दोषी है। वह भी ट्यूशन के इस काले धन्धे में सम्मिलित जान पड़ता है।
प्रश्न – अमित अपने कम अंकों के लिए किसे दोष देता है और क्यों ?
उत्तर- अमित के गणित में सौ के स्थान पर 72 अंक आए। इसके लिए वह अपनी माँ को दोषी मानता है क्योंकि उसने उसे गणित की ट्यूशन लगाने से मना किया था। अमित की नजरों में ट्यूशन वाले बच्चों के ही अच्छे अंक आते हैं। अमित वास्तव में अपने अध्यापक से डरता है । अत: वह उनके सामने तो नहीं बोल सकता। माँ के सामने बोल सकता है, इसलिए उसे ही दोषी ठहरा देता है।
प्रश्न – अमित की माँ ने गणित की ट्यूशन के लिए उसे क्यों मना किया?
उत्तर- अमित की माँ ने अमित को गणित की ट्यूशन के लिए दो कारणों से मना किया - पहली बात, वह गणित में होशियार था। इसलिए उसे इसमें ट्यूशन की आवश्यकता नहीं थी। दूसरी बात, उसकी आर्थिक स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं थी कि अंग्रेजी के साथ-साथ गणित की ट्यूशन का खर्चा उठा सके।
प्रश्न – इसे अध्यापक की प्रेरणा कहेंगे, आग्रह कहेंगे या धमकी ? तर्क- सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- अध्यापक के संवादों को पढ़कर हम कह सकते हैं कि इन शब्दों में धमकी छिपी हुई है। अध्यापक के कहने का ही अपना दबाव होता है। छात्र अक्सर अध्यापक पर पूरी तरह आश्रित होता है। उसे पूरा समय उसकी नजरों के सामने तथा उसकी कृपा पर रहना पड़ता है। फिर यदि वह सीधा-सीधा यह कह दे कि ‘वरना रह जाओगे’, तो यह धमकी हो जाती है। वार्षिक परीक्षा में जानबूझकर कम अंक देकर उसने इस धमकी को पूरा भी करके दिखा दिया।
प्रश्न – अध्यापक ने अच्छे अंक लाने पर भी अमित को किस प्रकार ट्यूशन के लिए प्रेरित किया ?
उत्तर- गणित के अध्यापक पाठक ने अमित के अच्छे अंक लाने पर भी उसे ट्यूशन करने के लिए दबाव बनाया। उसने पहले तो उसकी प्रशंसा की जिससे वह उसकी बात मानने को तैयार हो जाए। फिर वार्षिक परीक्षा अधिक पाठ्यक्रम होने का डर बताया, ताकि वह ट्यूशन की आवश्यकता अनुभव करे। अंततः यह भी कह दिया 'वरना रह जाओगे ।' यह सरासर धमकी थी। इस प्रकार अध्यापक ने उसे घेर घोटकर ट्यूशन करने हेतु बाध्य करना चाहा।
प्रश्न – पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- (1) पाठ का नाम : रजनी, (2) पाठ की लेखिका : मन्नू भंडारी
गद्यांश - 2
कुछ नहीं कर सकते आप ? तो मेहरबानी करके यह कुर्सी छोड़ दीजिए। क्योंकि यहाँ पर कुछ कर सकने वाला आदमी चाहिए। जो ट्यूशन के नाम पर चलने वाली धाँधलियों को रोक सके..... मासूम और बेगुनाह बच्चों को ऐसे टीचर्स के शिकंजों से बचा सके जो ट्यूशन न लेने पर बच्चों के नम्बर काट लेते हैं .... और आप हैं कि कॉपियाँ न दिखाने के नियम से उनके सारे गुनाह ढक देते हैं।
प्रश्न – रजनी का हैडमास्टर को कुर्सी छोड़ने की बात कहना कहाँ तक उचित है?
उत्तर- रजनी हैडमास्टर को कुर्सी छोड़ने की बात तब कहती है, जब वह यह कहता है कि ट्यूशन के मामले में वह कुछ नहीं कर सकता। वह ट्यूशन के मामले में बच्चों और अध्यापकों का आपसी रिश्ता मानता है। इसमें वह कोई दखल नहीं करना चाहता। रजनी का मानना है कि बच्चों को ट्यूशन के डर से बचाने का काम निश्चित तौर पर हैडमास्टर का है। उसे अपने प्रभाव से, सावधानी से और कठोरता से गलत कार्यों को रोकना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं कर पाता तो उसे कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।
प्रश्न – आपके अनुसार हैडमास्टर ट्यूशन रोकने के लिए क्या कर सकता है ?
उत्तर- मेरे अनुसार हैडमास्टर स्कूल का मुखिया है। वह चाहे तो ट्यूशन का दबाव बनाने वाले अध्यापकों पर पूरा नियन्त्रण रख सकता है। वह बीच-बीच में जाँच कर सकता है कि कहीं कोई अध्यापक बच्चों पर अनुचित दबाव तो नहीं बना रहा। यदि ऐसा हो रहा हो तो वह उस अध्यापक के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही कर सकता है। यदि वह देखे कि अध्यापकों ने सामूहिक रूप से ट्यूशन की बीमारी बढ़ा ली है, तो वह इस विषय में अपनी कक्षा के छात्रों को ट्यूशन न पढ़ाने का नियम भी बना सकता है।
प्रश्न – बच्चों को उनकी कॉपियाँ न दिखाने का नियम कहाँ तक तर्कसंगत है ?
उत्तर- बच्चों को वार्षिक परीक्षा की कॉपियाँ न दिखाने का नियम सर्वथा अन्यायपूर्ण है। यह लोकतान्त्रिक अधिकारों के विरुद्ध है। इससे कोई अध्यापक चाहे तो मनमानी से किसी छात्र के अंक घटा या बढ़ा सकता है। इस प्रकार के नियम से ट्यूशन जैसे रोग बढ़ते हैं, स्वार्थी अध्यापकों को बल मिलता है। अगर वार्षिक परीक्षा की कॉपी देखने का नियम बना दिया जाए तो अध्यापक को पकड़े जाने का डर रहेगा और वह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकेगा।
प्रश्न – क्या आप हैडमास्टर को भी ट्यूशन को बढ़ावा देने का दोषी मानते हैं?
उत्तर- हाँ, हैडमास्टर भी ट्यूशन की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने का दोषी है। यद्यपि वह बच्चों को सीधे-सीधे ट्यूशन के लिए नहीं कहता, लेकिन उन अध्यापकों का साथ अवश्य देता है जो जबरदस्ती ट्यूशन पढ़ाते हैं। उसे चाहिए था कि वह ट्यूशन पढ़ाने वाले अध्यापकों का समर्थन न करके उनके विरुद्ध कार्यवाही करता अथवा जाँच के आदेश देता। वह वार्षिक परीक्षा की कॉपियों को खुलवाने का नियम भी तोड़ सकता था लेकिन वह सब नहीं करता। इससे लगता है कि कहीं-न-कहीं वह भी दोषी अध्यापकों का समर्थक है।
प्रश्न – पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- (1) पाठ का नाम : रजनी, (2) पाठ की लेखिका : मन्नू भंडारी
गद्यांश - 3
मुझे बाहर करने की जरूरत नहीं। बाहर कीजिए उन सब टीचर्स को जिन्होंने आपकी नाक के नीचे ट्यूशन का यह घिनौना रैकेट चला रखा है। (व्यंग्य से) पर आप तो कुछ कर नहीं सकते, इसलिए अब मुझे ही कुछ करना होगा और मैं करूँगी, देखिएगा आप ।
प्रश्न – रजनी किन अध्यापकों को बाहर करने को कहती है और क्यों ?
उत्तर- रजनी जबरदस्ती ट्यूशन पढ़ाने वाले अध्यापकों को स्कूल से बाहर करने की बात कहती है। ऐसे अध्यापक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वे उन्हें जबरदस्ती ट्यूशन पढ़ने के लिए विवश कर रहे हैं। इससे योग्य छात्रों का मनोबल गिरता है। शिक्षा का वातावरण दूषित होता है। अत: दोषी अध्यापकों को स्कूल से निकाल देना ही उचित है।
प्रश्न – रजनी जैसी नारियों का आन्दोलन चलाना कहाँ तक उचित है ?
उत्तर- रजनी समाज-सेविका है। वह हर अन्याय का विरोध करती है । यद्यपि उसका अपना कोई स्वार्थ नहीं है फिर भी वह अपने आस-पास के समाज को अपना मानती है तथा अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना अपना धर्म समझती है। जब तक ऐसे मनस्वी लोग आन्दोलन नहीं छेड़ते, तब तक ये गहरी समस्याएँ दूर नहीं हो सकतीं। ट्यूशन जैसी समस्याएँ गहरी जड़ें जमा चुकी हैं। इन्हें आन्दोलन के माध्यम से उखाड़ा जा सकता है ।
प्रश्न – यह संवाद किसने, किसे क्यों कहा?
उत्तर- यह संवाद रजनी ने स्कूल हैडमास्टर को कहा । क्योंकि हैडमास्टर ने रजनी से साफ-साफ कहा कि वह स्कूलों में चलने वाले ट्यूशनों के काले धन्धे को नहीं रोक सकता। इस पर रजनी ने उन्हें कुर्सी छोड़ने के लिए ललकारा तो हैडमास्टर ने उसे बाहर चले जाने के लिए कहा। इस पर रजनी ने उन्हें कहा कि वे उसे बाहर करने कि स्थान पर ट्यूशन का घिनौना रैकेट चलाने वाले अध्यापकों को बाहर करें।
प्रश्न – 'आप तो कुछ कर नहीं सकते, इसलिए अब मुझे ही कुछ करना होगा' - इस व्यंग्य का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- इसका अर्थ यह है कि स्कूल के अध्यापक और मुख्य- अध्यापक सभी ट्यूशन के काले धन्धे में लिप्त हैं। मुख्य अध्यापक इसे रोकने में स्वयं को असमर्थ महसूस करते हैं। ऐसी स्थिति में रजनी जैसी सामाजिक कार्यकर्ता को इसका बीड़ा उठाना पड़ेगा।
प्रश्न – पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- (1) पाठ का नाम : रजनी, (2) पाठ की लेखिका : मन्नू भंडारी
गद्यांश - 4
देखो, तुम मुझे फिर गुस्सा दिला रहे हो रवि.... गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता जैसे लीला बेन और कांति भाई और हजारों-हजारों माँ-बाप । लेकिन सबसे बड़ा गुनहगार तो वह है जो चारों तरफ अन्याय, अत्याचार और तरह-तरह की धाँधलियों को देखकर भी चुप बैठा रहता है, जैसे तुम। (नकल उतारते हुए) हमें क्या करना है, हमने कोई ठेका ले रखा है दुनिया का । (गुस्से और हिकारत से) माई फुट (उठकर भीतर जाने लगती है। जाते-जाते मुड़कर) तुम जैसे लोगों के कारण ही तो इस देश में कुछ नहीं होता, हो भी नहीं सकता।
प्रश्न- इस संवाद का वक्ता कौन है? वह क्यों गुस्से में है?
उत्तर- इस संवाद की वक्ता है - रजनी। वह अपने पति रवि के उदासीन व्यवहार के कारण गुस्से में है। रवि उसे कहता है कि जब उसके बच्चे ट्यूशन नहीं पढ़ रहे और न ही उनका शोषण हो रहा है, फिर वह क्यों परेशान हो रही है? रजनी के विचार भिन्न हैं। वह चाहती है कि मनुष्य को अपने स्वार्थ के लिए ही नहीं, बल्कि हर प्रकार के अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए।
प्रश्न- इसमें किन-किनको गुनहगार कहा गया है और क्यों ?
उत्तर- इस संवाद में दो प्रकार के गुनहगार बताए गए हैं - गुनाह करने वाले और गुनाह को सहन करने वाले। क्योंकि रजनी की दृष्टि में गुनाह करने वाला तो दोषी है ही, उसे सहन करने वाला भी गुनाहों को प्रोत्साहन देता है। इसलिए दोनों दोषी हैं।
प्रश्न- सबसे बड़ा गुनहगार किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर- रजनी की दृष्टि में सबसे बड़ा गुनहगार वह है जो अपने चारों ओर हो रहे अत्याचार, अन्याय और धाँधलियों को देखकर भी चुप बैठा रहता है, उनका विरोध नहीं करता। ऐसे उदासीन लोगों के कारण ही अत्याचारी का साहस बढ़ता है।
प्रश्न- किन लोगों के कारण देश में कोई परिवर्तन नहीं हो पाता
उत्तर- जो लोग समाज से उदासीन रहते हैं, जो समाज में होने वाले अत्याचारों को देखकर भी शांत बने रहते हैं, जो अन्यायी से लड़ने का प्रयास नहीं करते, उनके कारण देश में कोई परिवर्तन नहीं हो पाता।
प्रश्न- पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- (1) पाठ का नाम : रजनी, (2) पाठ की लेखिका : मन्नू भंडारीगद्यांश - 5
रजनी: क्या खूब ! आप कहते हैं कि हैडमास्टर को एक्शन लेना चाहिए.... हैडमास्टर कहते हैं मैं कुछ नहीं कर सकता, तब करेगा कौन? मैं पूछती हूँ कि ट्यूशन के नाम पर चलने वाले इस घिनौने रैकेट को तोड़ने के लिए दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए आपको, आपके बोर्ड को ? ( चेहरा तमतमा जाता है)
निदेशक: लेकिन हमारे पास तो आज तक किसी पेरेंट से इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई।
रजनी: यानी की शिकायत आने पर ही आप इस बारे में कुछ सोच सकते हैं। वैसे शिक्षा के नाम पर दिन-दहाड़े चलने वाली इस दुकानदारी की आपके ( बहुत ही व्यंग्यात्मक ढंग से) बोर्ड ऑफ एजुकेशन को कोई
जानकारी ही नहीं, कोई चिन्ता ही नहीं ?
प्रश्न – 'क्या खूब' में छिपे व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- ‘क्या खूब' में काफी गहरा व्यंग्य है। रजनी अध्यापकों, मुख्याध्यापकों और शिक्षा निदेशक की मिलीभगत अथवा उदासीनता पर हैरान होती है । हैडमास्टर ट्यूशन के मामले को छात्र और अध्यापक के बीच का मामला बताते हैं। शिक्षा निदेशक चाहते हैं कि इसके विरुद्ध हैडमास्टर कार्यवाही करें। मतलब यह है कि सभी अपना पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं। अपनी जिम्मेदारी दूसरे पर डाल रहे हैं। इस प्रकार ट्यूशन का रैकेट ज्यों-का-त्यों बना हुआ है।
प्रश्न – इन संवादों के आधार पर बताइए कि आपको ट्यूशन की समस्या का कोई समाधान नजर आता है ?
उत्तर- इन संवादों को पढ़कर प्रतीत होता है कि ट्यूशन की समस्या का कोई समाधान नहीं है। अध्यापक सरेआम छात्रों को ट्यूशन के लिए विवश कर रहे हैं। हैडमास्टर उन पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे। शिक्षा निदेशक कहते हैं कि इसके लिए हैडमास्टरों को एक्शन लेना चाहिए या उन्हें लिखित शिकायत मिलनी चाहिए। बिना शिकायत के वे कुछ भी करने में असमर्थ हैं। इस हालत को देखकर लगता है कि ट्यूशन का धन्धा इसी प्रकार चलता रहेगा। इसका कोई स्थायी समाधान नहीं है।
प्रश्न – बोर्ड के रवैये को आप कहाँ तक उचित मानते हैं?
उत्तर- शिक्षा बोर्ड का ट्यूशन के प्रति रवैया ठीक नहीं है। पहली बात, निदेशक महोदय स्वयं कामचोर हैं। वे अपनी जिम्मेदारी को दूसरों पर टालने में कुशल हैं। दूसरे, वे लिखित शिकायत आने पर ही कार्यवाही करना चाहते हैं। स्वयं-प्रेरणा से पहल करके वे जाँच-पड़ताल नहीं करना चाहते।
प्रश्न – आप रजनी के विरोध को कहाँ तक सही मानते हैं?
उत्तर- रजनी सामाजिक कार्यकर्त्री है। वह देखती है कि ट्यूशन की विकराल समस्या को सभी टाल रहे हैं। एक षड्यंत्र रचा जा चुका है। अध्यापकों के साथ-साथ मुख्याध्यापक भी इस समस्या को बढ़ाने में या अनदेखी करने में लीन हैं। शिक्षा - निदेशक भी मूक दर्शक बने हुए हैं। ऐसे में स्वतंत्र समाजसेवी ही आन्दोलन द्वारा इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। हम रजनी के विरोध को पूरी तरह न्यायसंगत मानते हैं।
प्रश्न – पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- (1) पाठ का नाम : रजनी, (2) पाठ की लेखिका : मन्नू भंडारी
गद्यांश - 6
(एकाएक जोश में आकर ) आप भी महसूस करते हैं न ऐसा ? .... तो फिर साथ दीजिए हमारा । अखबार यदि किसी इश्यू को उठा ले और लगातार उस पर चोट करता रहे तो फिर वह थोड़े से लोगों की बात नहीं रह जाती। सबकी बन जाती है ..." आँख मूँदकर नहीं रह सकता फिर कोई उससे । आप सोचिए जरा अगर इसके खिलाफ कोई नियम बनता है तो (आवेश के मारे जैसे बोला नहीं जा रहा है।) कितने पेरेंट्स को राहत मिलेगी "कितने बच्चों का भविष्य सुधर जाएग, उन्हें अपनी मेहनत का फल मिलेगा, माँ-बाप के पैसे का नहीं, शिक्षा के नाम पर बचपन से ही उनके दिमाग में यह तो नहीं भरेगा कि पैसा ही सब कुछ है।
प्रश्न – इस संवाद का वक्ता और श्रोता कौन है? वक्ता श्रोता को क्या प्रेरणा देता है?
उत्तर- इस संवाद की वक्ता है - रजनी और श्रोता है - समाचार पत्र का संपादक। रजनी संपादक को प्रेरणा देती है कि वह ट्यूशन के काले धन्धे में लिप्त अध्यापकों, मुख्य- अध्यापकों तथा बड़े अधिकारियों के विरोध में लेख लिखें। इससे कई बच्चों तथा उनके माता-पिताओं को ट्यूशन के अनावश्यक दबाव से निजात मिलेगी।
प्रश्न – अखबार की भूमिका पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर- प्रजातन्त्र में अखबार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। यदि समाचार-पत्रों में ट्यूशन जैसी सामाजिक समस्याओं पर चोट करने वाले लेख लिखे जाएँ और इससे सम्बन्धित समाचार छापे जाएँ तो बड़ी संख्या में लोग जागरूक होते हैं। तब कितने ही प्रभावित लोग इकट्ठे होकर विरोध करते हैं तथा दोषी लोगों के कान भी खड़े हो जाते हैं।
प्रश्न – रजनी संपादक महोदय को ट्यूशन रोकने के कितने लाभ गिनवाती है?
उत्तर- रजनी समाचार-पत्र के संपादक को ट्यूशन रोकने के निम्नलिखित लाभ बताती है—
- कितने ही प्रभावित बच्चों तथा उनके माता-पिताओं को ट्यूशन की समस्या से राहत मिलेगी।
- योग्य बच्चों को अपनी मेहनत का उचित फल मिल सकेगा और उनका भविष्य सुधर सकेगा।
- बच्चों के मन में यह संस्कार जम जाएगा कि पैसा ही सब कुछ नहीं है।
प्रश्न – पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए ।
उत्तर- (1) पाठ का नाम : रजनी, (2) पाठ की लेखिका : मन्नू भंडारी
गद्यांश - 7
बड़ा अच्छा लगा जब टीचर्स की ओर से भी एक प्रतिनिधि ने आकर बताया कि कई प्राइवेट स्कूलों में तो उन्हें इतनी कम तनख्वाह मिलती है कि ट्यूशन न करें तो उनका गुजारा ही न हो। कई जगह तो ऐसा भी है कि कम तनख्वाह देकर ज्यादा पर दस्तखत करवाए जाते हैं। ऐसे टीचर्स से मेरा अनुरोध है कि वे संगठित होकर एक आन्दोलन चलाएँ और इस अन्याय का पर्दाफाश करें (हॉल में बैठा हुआ पति धीरे से फुसफुसाता है, लो, अब एक और आन्दोलन का मसला मिल गया, कैमरा फिर रजनी पर) इसलिए अब हम अपनी समस्या से जुड़ी सारी बातों को नजर में रखते हुए ही बोर्ड के सामने यह प्रस्ताव रखेंगे कि वह ऐसा नियम बनाए (एक-एक शब्द पर जोर देते हुए) कि कोई भी टीचर अपने ही स्कूल के छात्रों का ट्यूशन नहीं करेगा। ( रुककर ) ऐसी स्थिति में बच्चों के साथ जोर-जबरदस्ती करने, उनके नम्बर काटने की गन्दी हरकतें अपने आप बन्द हो जाएँगी। साथ ही यह भी हो कि इस नियम को तोड़ने वाले टीचर्स के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी। अब आप लोग अपनी राय दीजिए ।
प्रश्न – अध्यापकों की कौन-कौन सी उचित समस्याएँ सामने आई हैं? रजनी ने अपने भाषण में उनका क्या समाधान प्रस्तुत किया है?
उत्तर- इसमें अध्यापकों की दो उचित समस्याएँ सामने आई हैं- पहली यह कि उन्हें प्राइवेट स्कूलों में बहुत कम तनख्वाह मिलती है जिससे उनका गुजारा नहीं हो पाता। दूसरी यह कि कुछ स्कूलों में कम तनख्वाह देकर अधिक पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं। रजनी ने पहली समस्या का कोई समाधान नहीं दिया। दूसरी समस्या के सन्दर्भ में कहा कि ऐसे अध्यापक मिलकर आन्दोलन करें और अन्याय का पर्दाफाश करें।
प्रश्न – ट्यूशन के बारे में रजनी ने क्या सुझाव रखा ? क्या इससे जबरदस्ती ट्यूशन की समस्या का समाधान हो सकेगा ?
उत्तर- ट्यूशन की समस्या के सन्दर्भ में रजनी ने सुझाव रखा कि कोई भी अध्यापक अपने स्कूल के छात्रों की ट्यूशन न करे। जो अध्यापक ऐसा करता पाया जाए उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए। इस सुझाव ट्यूशन की समस्या का पूर्णतया समाधान तो नहीं हो पायेगा पर थोड़ा-बहुत समाधान अवश्य हो पाएगा। कम-से-कम स्कूल के अध्यापकों को छात्र पर दबाव डालने का अवसर नहीं मिल सकेगा ।
प्रश्न – क्या आपको लगता है कि जबरदस्ती ट्यूशन की समस्या समाप्त हो जाएगी ?
उत्तर- कहानी को पढ़ने से प्रतीत होता है कि ट्यूशन की समस्या का समाधान होना कठिन है। कारण यह है कि अध्यापक, मुख्य-अध्यापक और निदेशक - सभी तो इसमें लिप्त हैं। ये समस्याएँ इच्छा-शक्ति से समाप्त होती हैं, नियम बनाने से नहीं । शिक्षा अधिकारियों की इच्छा-शक्ति को देखते हुए इन समस्याओं का
स्थायी समाधान होता नहीं दीख पड़ता ।
प्रश्न – पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए ।
उत्तर- (1) पाठ का नाम : रजनी, (2) पाठ की लेखिका : मन्नू भंडारी
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