नौकरी पेशा कहानी की कथावस्तु और चरित्र चित्रण: नौकरी पेशा कहानी के आरंभ में बताया गया कि किस प्रकार गाँव से उखड़े हुए लोग कस्बों में आकर पनाह लेते है
नौकरी पेशा कहानी की कथावस्तु और चरित्र चित्रण
नौकरी पेशा कहानी के आरंभ में बताया गया कि किस प्रकार गाँव से उखड़े हुए लोग कस्बों में आकर पनाह लेते हैं। कस्बों में रहना वे अपनी प्रतिष्ठा समझते हैं । नौकरी पेशा कहानी के मुख्य पात्र राधेलाल इसी प्रवृत्तिवाले व्यक्ति है।
राधेलाल शहरों या कस्बो में रहने वालो को आधुनिक या समझदार समझते है। नौकरी पेशा कहानी में राधेलाल को लोग लाला पुकारते हैं। उनके पिताजी को भी इसी नाम से संबोधित किया जाता था, क्योकि उनकी वहीं पर परचूनी की दुकान थी। इसलिए सभी लोग उन्हे लाला कहते है। राधेलाल दसवी पास किए थे, और टाइपिंग भी जानते थे इस प्रकार लोगों के बीच उनका नाम बढ़ा हुआ था। कभी-कभार लोग उन्हे बाबू कहकर भी संबोधित करते है। तब बाबू सुनने पर उनका रोम-रोम फुल उठता है। उन्हे लगता है कि बाबू शब्द उन्ही के लिए है क्योंकि वे पढ़े-लिखे समझदार हैं।
राधेलाल जितने भी कार्य करते थे वे सभी केवल दूसरों के सामने अपनी साख जमाने के लिए। वे ग्रामीणों को दीन-हीन समझते है। राधेलाल बाबू, लायब्रेरियन आदि तरह के काम अपने जीवन में कर चुके थे। उनकी कोई स्थायी नौकरी नहीं थी पाँच-छह महीनों से ज्यादा किसी दफ्तर में उन्हे न रहने मिलता । सरकारी - गैर सरकारी सभी महकमों के लिए राधेलाल कार्यकता थे । यदि उनसे कोई पूछ बैठ बैठता कि क्या काम करते हो, तो बड़े ही रूबाब से कहते कि नौकरी पेशा हूँ। अपने आपको नौकरी पेशा कहने में गर्व का अनुभव करते है। घर में और बाहर दोनों ही जगह अपना रुतवा बढ़ाने के लिए कई झुठ कहते है।
कहानी में राधेलाल को कायदा पंसद व्यक्ति बताया है। जो हर काम नियम, तथा समय से करते है। इसलिये जब राधेलाल को रामभरोसे के यहाँ पूड़ी तलने का काम सौपा गया था तब वे वहाँ समय से पहुँच जाते हैं। और घासलेटी तेल में पुड़ी तलने का विरोध करते है। बिरादरी तथा पुर्वजों का हवाला देकर देशी घी में पड़ी तलने के लिए कहते हैं। ताकि लोग यह न कहें कि राधेलाल के रहते हुए यह अनर्थ कैसे हो गया।
कुछ दिनों बाद राधेलाल की एवजी वाली नौकरी छूट जाती है उसी समय रामभरोसे से पिडित हो जाते है। राधेलाल को लोग कहते है कि वे रामभरोसे की जगह पर चले जाये नौकरी के लिए लेकिन राधेलाल को लगता है कि रामभरोसे उनके हित के लिए कुछ नही करेगा। कुछ दिन बाद राधेलाल को खबर मिलती है कि रामभरोसे स्वर्ग सिधार गये।
वे उसके बाद राधेलाल मुख्तार साहब से मिलने जाते है नौकरी के लिए राधेलाल को बताते है कि रामभरोसे ने उनका नाम नौकरी के लिए सुझाया तब उन्हे आश्चर्य होता है कि उन्होने रामभरोसे के बारे गलत राय बना रखी थी ।
उन्हे आत्मग्लानि होती है और वे भारी कदमों से वहाँ से निकल जाते हैं । जीवन केइतने वर्ष गुजरने के बाद उन्हे अपना गाँव याद आता है।
नौकरी पेशा कहानी के पात्रों का चरित्र चित्रण
नौकरी पेशा कहानी में दो ही पात्र मुख्य है। वे है - राधेलाल कहानी के केंद्र पात्र हैं और दुसरे रामभरोसे गौण पात्र हैं।
राधेलाल का चरित्र चित्रण
राधेलाल कहानी के मुख्य पात्र है। उनकी जीवन शैली नौकरी पेशा व्यक्ति की तरह है। जो अपने आप को नौकरी पेशा व्यक्ति कहलाने में अपनी शान समझते है । अपना गाँव छोड़कर कस्बे में आकर बस जाते है । शहरी बनने की दौड़ में वे सबसे आगे है। घर में अपने आप को बड़ा बताने के लिए हर छोटी-छोटी बात पर झूठ बोलते दफ्तर निंबु चुराकर लाते है और कहते है कि "ये दफ्तर के बगीया के हैं, माली कहने लगा बाबू इतना रस है इनमे अभी भी पकने पर तो मुसम्मी को मात करेंगे। वह तो चार-पांच दे रहा था, हमने कहा दो काफी हैं। " दूसरों को प्रभावित करने के लिए गंदी सी कोट में फाउन्टन नुमा पेन और एक डायरी रखते है। ताकि लोगों को लगे कि वे पढ़े- लिखे बाबू साहब है इसलिए जब दूसरे उन्हे 'बाबू राधेलाल कहकर कोई पुकारता तो जैसे उनका रोम-रोम पुलक उठता और उन्हे लगता कि जीवन की सार्थकता तो अब हाथ आई है।' राधेलाल मिलनसार व्यक्ति है। वे अधिकतर लोगों को जानते पहचानते है । सरकारी तथा गैरसरकारी सभी तरह के दफ्तरों में काम कर चुके हैं। हर जगह अपनी अलग पहचान बनाई। किसी भी दफ्तर में काम करने के बाद उसकी आलोचना करना उनके स्वभाव में नही था ।
इस प्रकार कहानी में राधेलाल के माध्यम से शहरीकरण की प्रवृत्ति को बताया है और साथ ही कस्बाई आत्मीयता की और ध्यान आकर्षित किया है।
रामभरोसे का चरित्र चित्रण
रामभरोसे काहानी के गौण पात्र है । रामभरोसे अपनी परचूनी की दूकान छोड़कर कस्बे में शहरी बनने के लिए मुख्तार साहब के मुन्शी थे। राधेलाल और रामभरोसे में भीतर ही भीतर सबसे पुराना शहरी कहलाने की प्रतियोगिता थी, जबकी रामभरोसे की एक पुश्त कस्बे में आकर बसी थी जबकी राधेलाल काफी पुरानी थी। रामभरोसे की जब तबीयत खराब होती है तब वे मुख्तार साहब से राधेलाल को एवजी की नौकरी पर रखने के लिए सिफारिश करते है। इस प्रकार वे मानवीय संवेदना का परिचय देते है। उनके आत्मियता के कारण राधेलाल जैसा व्यक्ति मानव बन जाता है और अपने गाँव को याद करने लगता है।
देशकाल परिस्थीति और वातावरण :
देशकाल, वातावरण और परिस्थीति कहानी का महत्त्वपूर्ण तत्व है। बिना इसके कहानी पूरी नही होगी । देशकाल परिस्थीति पात्रों के माध्यम से होती है । उसका रहन-सहन और बोली आदि के माध्यम से देशकाल का पता चलता है। कमलेश्वर जी ने कस्बाई जीवन को जीया है इसलिए कस्बाई वातावरण को अपनी कहानी में जिवंतता प्रदान की। किस प्रकार मध्यम वर्गीय परिवार अपने गाँव को छोड़कर रोजगार प्राप्त करने के लिए कस्बे में आकर बस जाता है।
कहानी में लेखक ने बड़ी रोचक ढंग से कस्बाई मनोवृत्ति और उसके विकास को दर्शाया है। नौकरी पेशा कहानी मे कस्बाई वातावरण को बताया है। कहानी में जिस गाँव से राधेलाल और रामभरोसे आते है और किस कस्बे में आकर बसते हैं, दोनों का ही विस्तारपूर्वक वर्णन नहीं हैं।
कहानी में राधेलाल के पिताजी की परचूनी की दूकान थी लेकिन राधेलाल नौकरी पेशा कहने में अधिक रूचि रखते है। कोट पहनना, पेन रखना साइकिल की देख- -भाल यह सभी कस्बाई मनोवृत्ति को दर्शाते है । सरकारी तथा गैर सरकारी सभी तरह के काम राधेलाल को प्राप्त होते है, इस प्रकार उन्हें नौकरी न मिलने की परेशानी नही थी, किसी भी तरह उनका काम चल जाता था । इस प्रकार कमलेश्वर जी की नौकरी पेशा कहानी में शहरो के प्रति बढ़ते आकर्षण को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। कहानी में राधेलाल और रामभरोसे के कारण कस्बाई वातावरण को समझने में सहायक सिद्ध हुआ है। उन्होने कहानी में कस्बाई वातावरण को बहखूबी ढंग से प्रस्तुत किया है।
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