तूफान के विजेता एकांकी का सारांश - Toofaan ke Vijeta Ekanki ka Saransh: 'तूफान के विजेता' रिपोर्ताज रांगेय राघव द्वारा रचित है। इसमे बंगाल मे पड़े भीष
तूफान के विजेता एकांकी का सारांश - Toofaan ke Vijeta Ekanki ka Saransh
'तूफान के विजेता' रिपोर्ताज रांगेय राघव द्वारा रचित है। इसमे बंगाल मे पड़े भीषण अकाल के बाद वहाँ की दयनीय स्थिति एवं विभीषिका का वर्णन किया गया है। उन्होंने उस क्षेत्र का दौरा किया था। यह अकाल प्राकृतिक आपदा से अधिक मनुष्य द्वारा निर्मित आपदा भी। लालची, षड्यन्त्रकारी व्यापारियों के स्वार्थ के कारण इस आपदा ने भीषण रूप धारण किया। ६० लाख लोग काल का ग्रास बन गए। जो बच गए वे कुपोषण और महामारियों का शिकार होने लगे।
बंगाल के भीषण अकाल का वर्णन संक्षेप में किया जाना सम्भव नहीं है। 'तुमने पूछा है बंगाल की अब क्या हालत है? एक दो लफ्जो में पूरी बात खत्म हो जाये ऐसे ‘अव्य इति’ में कहकर बात समाप्त कर देने की सामर्थ्य मुझमें नहीं है।
रचनाकार भुँइयापाड़ा गाँव का चित्रण करते हुए कहते है कि वहाँ ३०० में से १५० आदमी मर गए तो क्या तुम वहाँ की स्थिति का ठीक-ठाक जायजा ले सकोंगे। वहाँ मलेरिया, चेचक, कालाबाज़ार, है जा जैसी भयंकर महामारियो ने अकाल के बाद लोगों को धर दबोचा है। लेखक बंगाल के लोगों की दयनीय अवस्था का वर्णन करते हुए कहते हैं कि लोग दवा के पैसे न होने के कारण झाड़-फूँक करवा लेते हैं। मौत के गर्त में समा भी जाते हैं। हर तरफ गंदगी फैली हैं। उनके ( लेखक के) अनुसार इस स्थिति में राजनीति पार्टियाँ एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के अलावा कुछ नहीं करती। लेखक मछुओं के एक गाँव का वर्णन करता है जहाँ अकाल ने भयंकर तबाही मचायी है। वहाँ के लोग अशिक्षित, गँवार हैं या यह भी कि जीवन की इस भयंकर स्थिति में हर चीज उनके मन में शंका पैदा करती है। अतः हिन्दुस्तान से आए डॉक्टरों के बारे में उन्हें भ्रम होता है कि ये सरकारी एजेन्ट है कि हमें मारने आए हैं। डॉ. कुथटे जो डॉक्टरी जत्थे के लीडर थे उन्होंने सुना और कहा-वाह भाई, क्रांतिकारी और यह रोज बढ़ती हुई मरीजों की मौत पर अधिक काम ही करते थे।
जिंदगी की भयावहता ने भय का भाव मिटा दिया है। सरकारी तंत्र से ज्यादा मजदूरों ने सहायता की। अंत में डॉक्टर फिर चिन्तामग्न हो गया। लड़के सहमे से लेटे रोशनी की तरफ एकटक देख रहे थे। बदनामी का ही नहीं, किसी की मौत का डर दिल में समा गया था। सच्चा डॉक्टर तब तक नहीं खाता जब तक मरीज की ओर से उसे कुछ विश्वास न हो जाये।
भारतीय संस्कृति महान है। किसी भी तूफान में फँसी मानवता की नाव बचाने में बंगाल समर्थ है।
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