पर्यावरण की बिगड़ते स्वरूप में मानव जाति कितनी जिम्मेदार है इस विषय पर दो मित्रों के बीच संवाद लिखिए- पहला मित्र: अरे, तुमने पर्यावरण के बिगड़ते स्वर
पर्यावरण की बिगड़ते स्वरूप में मानव जाति कितनी जिम्मेदार है इस विषय पर दो मित्रों के बीच संवाद लिखिए
पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप पर दो मित्रों के बीच संवाद लेखन
पहला मित्र: अरे, तुमने पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप के बारे में सुना है?
दूसरा मित्र: हाँ, यह बहुत दुख की बात है। क्या सच में कि इसके लिए मानव जाति जिम्मेदार हैं?
पहला मित्र: बिल्कुल। हम वर्षों से पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं इसी कारण अब पर्यावरण का स्वरुप तेजी से बदल रहा है।
दूसरा मित्र: ये सच है। हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं और वन तेजी से काटे जा रहे हैं जिससे पर्यावरण में असंतुलन उत्पन्न हो गया है।
पहला मित्र: बिल्कुल सही। मानव विकास की दौड़ में अँधा हो गया है इसी कारण आज हम इस समस्या का सामना कर रहे हैं।
दूसरा मित्र: तो क्या कोई ऐसा तरीका नहीं है जिससे हम एक स्वच्छ पर्यावरण का निर्माण कर सकें ?
पहला मित्र: हमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर उर्जा, पवन चक्की का उपयोग करना चाहिए और जीवाश्म ईंधन जैसे पेट्रोल डीजल आदि पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए।
दूसरा मित्र: हाँ, और हमें वस्तुओं की रीसाइक्लिंग भी करनी चाहिए जिससे कम से कम कचरा उत्पन्न हो।
पहला मित्र: यह एक अच्छा विचार है। हमें वायु प्रदूषण को कम करने के लिए वृक्षारोपण भी करना चाहिए।
दूसरा दोस्त: बिल्कुल, इसीलिए आओ हम सब मिलकर लोगों को इस विषय पर जागरूक करें।
दो मित्रों के बीच पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप पर संवाद लेखन
पहला मित्र: अरे सुरेश, दिल्ली की वायु कितनी प्रदूषित हो गयी है।
दूसरा मित्र: हाँ, यह सब तेजी से बदलते पर्यावरण है मानव क्रियाकलापों का नतीजा है।
पहला मित्र: तुम्हारा मतलब है की इस बदलते पर्यावरण के लिए मानव जाती जिम्मेदार है ?
दूसरा मित्र: बिलकुल, यदि हमने इतना धुआं और प्रदूषण न फैलाया होता तो पर्यावरण में ऐसे परिवर्तन बिलकुल न होते।
पहला मित्र: तो क्या जलवायु परिवर्तन भी इन्ही मानवीय क्रियाकलापों का नतीजा है ?
दूसरा मित्र: बिलकुल, पर्यावरण में हो रहे सभी विनाशकारी परिवर्तन कहीं न कहीं हमारी ही करनी का परिणाम है।
पहला मित्र: तो फिर इस समस्या को दूर करने का उपाय क्या है न?
दूसरा मित्र: इसका उपाय ये है कि उर्जा के ऐसे संसाधनों का प्रयोग करना होगा जिनसे प्रदूषण न हो और हमें वृक्षारोपण भी करना होगा जिससे वायु शुद्ध हो सके।
पहला मित्र: हाँ, और यदि हम छोटी दूरी के लिए पैदल या साइकिल का प्रयोग करें और बड़ी दूरी के लिए सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें तो कैसे रहेगा ?
दूसरा मित्र: तुम बिलकुल सही दिशा में सोच रहे हो मित्र, यदि सभी लोग ऐसा करने लगें तो निश्चित ही हम प्रदूषण पर नियंत्रण कर पाएंगे।
प्यारे बच्चों, इस लेख में हमने पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप में मानव जाति कितनी जिम्मेदार है इस विषय पर दो मित्रों के बीच संवाद लेखन लिखना सिखाया है। आपको हमारा प्रयास कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिखकर बताएं।
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