प्रायश्चित कहानी की कथावस्तु - प्रेमचन्द युग के कहानीकार भगवतीचरण वर्मा की कहानी 'प्रायश्चित' एक समाजिक कहानी है जिसमें समाज में व्याप्त अंधविश्वास व
प्रायश्चित कहानी की कथावस्तु - Prayashchit Kahani ki Kathavastu
प्रायश्चित कहानी की कथावस्तु - प्रेमचन्द युग के कहानीकार भगवतीचरण वर्मा की कहानी 'प्रायश्चित' एक समाजिक कहानी है जिसमें समाज में व्याप्त अंधविश्वास व मिथ्याडंबर का पर्दाफाश व्यंग्य के माध्यम से किया गया है। कहानी की कथावस्तु संक्षिप्त व मौलिक है। कहानी का अन्त प्रभावोत्पादक है और महरी का एक कथन - 'माँ जी बिल्ली तो उठ कर भाग गई' कथावस्तु की सार्थकता स्पष्ट कर देता है। कहानी की शुरूआत में ही लेखक ने रामू की बहू के चरित्र से परिचय करवा कर यह स्पष्ट करना चाहा है कि छोटी व नादान उम्र की बच्ची की शादी उचित नहीं। चौदह वर्ष की रामू की बहू जिसके खेलने-खाने, मौज-मस्ती करने के दिन हैं, उसे भण्डार घर की चाबी थमा दी जाती है और वह अक्सर हांडी में घी रखते-रखते ऊंघ जाती है। रामू की बहू की छोटी-छोटी गलतियों फायदा कबरी बिल्ली लेती है और बहू का जीना दूभर कर देती है जैसे दूध पी लेना, हांड़ी उलट देना इत्यादि का। लेखक ने स्थिति स्पष्ट करते हुए लिखा है "कबरी के हौसले बढ़ जाने से रामू की बहू का घर में रहना मुश्किल हो गया। उसे मिलती थी सास की मीठी झिड़कियाँ और पतिदेव का रूखा-सूखा भोजन।" एक दिन रामू की बहू ने ब्राह्ममुहूर्त में मौका पाकर 'पाटा' बिल्ली के ऊपर दे मारा और बिल्ली सहम गई। सहमी हुई बिल्ली को मरा हुआ जानकर बहू पर बिल्ली की हत्या संबंधी अंध-विश्वास का आरोप हुआ और तर्क दिया गया कि - "बिल्ली हत्या और आदमी की हत्या बराबर है।" कथावस्तु की विकास- स्थिति में पंडित परमसुख को प्रायश्चित के लिए बुलाया जाता है। पंडित जी घर की मान-मर्यादा अनुरूप प्रायश्चित का विधान बताते हैं और मन ही मन मुस्कराते हैं। कुम्भीपाक नरक का विधान बताते हुए पंडित जी बिल्ली के वज़न की बिल्ली, इक्कीस दिन का पाठ और पांच-पांच ब्राह्मणों को दो समय खाना खिलाने को कहते हैं। लेखक ने कथावस्तु में सुघड़ व कलात्मक ढंग से अंधविश्वासों का भ्रमजाल फैलाने वाले तथा लालची वृत्ति के ब्राह्मणों की पोल खोली है। स्वर्ग-नरक का विकृत रूप दिखा कर अशिक्षित समाज में भ्रम फैलाना तथा अंधविश्वासों से जनता को उभरने न देना ही पंडितों का कर्मकांड है। निःसंदेह कहानी का अन्त प्रभावोत्पादक हो उठता है जब बिल्ली भाग जाती है। कहानी की कथावस्तु रोचक है और पाठकों को अपने इर्द-गिर्द फैली हुई सामाजिक कुरीतियों का परिचय करवाती है।
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