शिरीष का चरित्र चित्रण - वैचारिक दृष्टि से शिरीष भाई 'सारा आकाश' उपन्यास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पात्र है। वैसे कथा- विकास में शिरीष का कोई योगदान नहीं
शिरीष का चरित्र चित्रण - Shirish ka Charitra Chitran
शिरीष का चरित्र चित्रण - वैचारिक दृष्टि से शिरीष भाई 'सारा आकाश' उपन्यास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पात्र है। वैसे कथा- विकास में शिरीष का कोई योगदान नहीं रहा है, परन्तु समर के विचारों को बदलने में वह अपनी प्रमुख भूमिका अदा करते है। शिरीष भाई देश की उस तीखी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने आजादी से पहले बड़े-बड़े सपने देख रखे थे कि आजादी मिल जाने पर देश की गरीब और पीड़ित जनता के सारे दुःख-दर्द दूर हो जायेंगे। परन्तु देखा यह कि आजादी देश के केवल सुविधा भोगी तथाकथित बड़े लोगों के लिए ही हासिल की गई थी। गरीब जनता उन लोगों के लिए सुख सुविधाएँ जुटाने का साधन मात्र बनकर रह गई थी।
शिरीष के चरित्र की विशेषताएं
- नई पीढ़ी के प्रतिनिधि
- सामाजिक व्यवस्था के कटु आलोचक
- इतिहास की नई व्याख्या
- संयुक्त परिवार प्रथा के विरोधी
1) नई पीढ़ी के प्रतिनिधि - शिरीष भाई नई पीढ़ी के प्रतिनिधि है। कॉंग्रेस के उच्च वर्ग के लिए प्रचार करने वाले स्वयं सेवकों के प्रति उनके मन में गहरी विरक्ति और व्यंग्य की भावना है। देश के नेताओं के प्रति शिरीष भाई का आक्रोश उस युग का ही सत्य न होकर आज का भी सत्य है। आज इन नेताओं की स्वार्थपरता में रंचमात्र भी अन्तर नहीं आया है। आज की नई पीढ़ी इसी वातावरण में जन्मी और बड़ी हुई हैं, इसलिए इस सबका उसे अभ्यास हो गया हैं। परन्तु शिरा भाई उस पीढ़ी के अंग है, जिसने आजादी के सम्बन्ध में बड़े-बड़े सपने मनमे सँजो रखे थे।
शिरीश भाई का उपर्युक्त कथन हमारी समाज व्यवस्था के ढोंग और खोखलेपन पर एक अत्यन्त कटु और तीखा व्यंग्य है।
अपने इन्हीं विचारों के कारण शिरीषा भाई अतीत की तुलना में वर्तमान को ही अधिक महत्व देते है। वह अतीव-जीवी आदमी को 'भूत' मानते हैं। इसी कारण उनकी दृष्टि में हम लोग जिसे भारतीय सभ्यता और भारतीय गरिमा घोषित करते रहते हैं, शिरीशभाई की दृष्टि में वह अतीत-जीवी भूतो की सभ्यता और संस्कृति लगती ह ।
4) संयुक्त परिवार प्रथा के विरोधी - शिरीष भाई संयुका परिवार प्रथा के छोरे विरोधी हैं । वह अपने तथा दूसराकै परिवारों की स्थिति को दोकर ही इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि संयुक्त परिवार में रहनेवाले लोग अपना विकास नहीं कर पाते। ऐसे परिवार में रहनेवाली स्त्रियों निरन्तर घुटती रहती है, रातदिन कलह होती रहती हैं । अपने-अपने स्वार्थ प्रत्येक सदस्य को तनाव से भरे रहते हैं । अपनी बात को स्पष्ट करते हुए समर से कहते है -- आपकी, अपनी या दिवाकर की, सबकी वास्तविक स्थिति जानकर एक बात मेरी समझ में आती जा रही है
शिरीष भाई द्वारा किया गया संयुक्त परिवार का विश्लेषण पूर्ण यथार्थ पर आधारित हैं। जो नवयुवक आरम्भ में घर से दूर रहकर अपने भविष्य का निर्माण करने में लगे रहते हैं, वे ही आगे उन्नति कर जाते है। संयुक्त परिवार में परोपजीवी सदस्य भी काफी होते हैं और प्राय: एक या दो व्यक्तियों को दिन- रात परिश्रम कर उन सबको पालना पडता है। समर का परिवार इसका उदाहरण हैं। उस परिवार में आठ सदस्य हैं और अकेले समर के बड़े भाई साहब की थोड़ी सी तनखा से ही उन सबका गुजारा चलता है। इसी लिए ये बडे भाई साहब इस उपन्यास के सर्वाधिक दीन पात्र बनकर रह गए हैं।
निष्कर्ष - शिरीष भाई उस युवा पीढ़ी के विचारक हैं जो समाज और परिवार की सम्पूर्ण विकृतियों और विषमताओंके कारणों की तह तक पहुँचने और उनका विश्लेषण करने का प्रयत्न करते है। उन्होंने विभिन्न समस्याओं को लेकर जो विचार प्रकट किये हैं, वे वस्तुस्थिति पर आधारित है। शिरीष भाई नई दृष्टि से सोचने का प्रयत्न करते हैं और अपने नए विचारोंसे प्रभावित कर समर के रूढ विचारों और जड़ मान्यताओं की बहुत कुछ दूर करने में सफल रहते हैं। इस दृष्टिसे वे इस उपन्यास के एक उपयोगी पात्र बन जाते हैं।
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