बिल्ली के गले में घंटी बांधना मुहावरे का अर्थ― अपने को संकट में डालना; खतरे का काम करने का प्रयास करना; कोई असम्भव काम करने का प्रयत्न करना।
बिल्ली के गले में घंटी बांधना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग
बिल्ली के गले में घंटी बांधना मुहावरे का अर्थ― अपने को संकट में डालना; खतरे का काम करने का प्रयास करना; कोई असम्भव काम करने का प्रयत्न करना।
बिल्ली के गले में घंटी बांधना मुहावरे का वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग― पिताजी जब गुस्से में होते हैं तो उन्हें मनाने की हिम्मत परिवार के किसी सदस्य में नहीं होती। बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधे?
वाक्य प्रयोग― प्रस्ताव से सहमत तो सब थे; पर अहम सवाल यह था कि बिल्ली के गले में घण्टी बाँधे कौन ?
वाक्य प्रयोग― मगरमच्छ के मुँह हाथ देना बिल्ली के गले में घंटी बाँधने के बराबर है।
वाक्य प्रयोग― यदि भ्रष्ट दरोगा के खिलाफ अदालत में गवाही दे दी जाये तो उसका तबादला होना तय है लेकिन बिल्ली के गले में घण्टी बाँधे कौन ?
वाक्य प्रयोग― यद्यपि चीन अमेरिका से आंतरिक शत्रुता रखता है परन्तु जाहिर नहीं करता लेकिन बिल्ली के गले घंटी नहीं बांधना चाहता है यानि अमेरिका से पंगा नहीं लेना चाहता है।
यहां हमने “बिल्ली के गले में घंटी बांधना” जैसे प्रसिद्ध मुहावरे का अर्थ और उसका वाक्य प्रयोग समझाया है। बिल्ली के गले में घंटी बांधना मुहावरे का अर्थ होता है― अपने को संकट में डालना; खतरे का काम करने का प्रयास करना; कोई असम्भव काम करने का प्रयत्न करना। जब हमारे समक्ष कोई ऐसा कार्य होता है जिसे करना बहुत ही खतरे से भरा होता है तो इस कहावत का प्रयोग करते हैं।
बिल्ली के गले में घंटी बांधना की कहानी
एक बहुत बड़े घर में ढेर सारे चूहे रहते थे। वे चारों ओर उछल-कूद करते और अपना पेट आराम से भरते थे, जब भी उन्हें खतरा महसूस होता तो वे बिल में जाकर छिप जाते थे। एक दिन उस घर घर का मालिक एक बिल्ली ले आया। जैसे ही बिल्ली की नज़र चूहों पर पड़ी, उसके मुँह में पानी आ गया। बिल्ली ने उन चूहों को खाने के विचार से बिल के पास ही अपना डेरा डाल दिया। बिल्ली को जब कभी भूख लगती तो वह अँधेरे स्थान में छिप जाती और जैसे ही चूहा बिल से बाहर आता तो उसे मारकर खा जाती। इस प्रकार बिल्ली रोज चूहों का भोजन करने लगी और वह कुछ ही दिनों में मोटी-ताजी हो गई।
बिल्ली के बढ़ते आतंक से से चूहे दुःखी हो गए। धीरे-धीरे चूहों की संख्या कम होती देख वे भयभीत हो गए। चूहों के मन में बिल्ली का डर बैठ गया। बिल्ली से बचने का कोई उपाय खोजने के लिए सभी चूहों ने मिलकर एक सभा का आयोजन किया। सभा में सभी चूहों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए, लेकिन कोई भी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास नहीं हो सका। सभी चूहों में निराशा फैल गई।
तब एक बूढ़ा चूहा अपने स्थान पर खड़ा होकर बोला―' भाइयो सुनो, मैं तुम्हें एक सुझाव देता हूँ, जिस पर अमल करके हमारी समस्या का हल निकल सकता है। यदि हमें कहीं से एक घंटी और धागा मिल जाए तो हम घंटी को बिल्ली के गले में बाँध देंगे। जब बिल्ली चलेगी तो उसके गले में बँधी हुई घंटी भी बजने लगेगी। घंटी की आवाज़ हमारे लिए खतरे का संकेत होगी। हम घंटी की आवाज़ सुनते ही सावधान हो जाएँगे और अपने-अपने बिल में जाकर छिप जाएंगे।'
बूढ़े चूहे का यह सुझाव सुनकर सभी चूहे ख़ुशी से झूम उठे और अपनी ख़ुशी प्रकट करने के लिए वे नाचने-गाने लगे। चूहों का विचार था कि अब उन्हें बिल्ली से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी और वे फिर से निडर होकर घूम सकेंगे।
तभी एक अनुभवी चूहे ने कहा―'चुप रहो, तुम सब मुर्ख हो। तुम इस तरह तरह खुशियाँ मना रहे हो, जैसे तुमने कोई युद्ध जीत लिया हो। क्या तुमने सोचा है कि बिल्ली के गले में जब तक घंटी नहीं बंधेगी तब तक हमें बिल्ली से मुक्ति नहीं मिल सकती।'
अनुभवी चूहे की बात सुनकर सारे चूहे मुँह लटकाकर बैठ गए। उनके पास अनुभवी चूहे के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं था। तभी उन्हें बिल्ली के आने की आहट सुनाई दी और सारे चूहे डरकर अपने-अपने बिलों में घुस गए।
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