बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मुहावरे का अर्थ– मूर्ख व्यक्ति गुण की परख नहीं कर सकता; अज्ञानी व्यक्ति अच्छी वस्तु का महत्त्व नहीं समझ सकता; मूर्ख गुणों
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Bandar kya Jaane Adrak ka Swad Muhavare ka Arth aur Vakya Pryog)
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मुहावरे का अर्थ– मूर्ख व्यक्ति गुण की परख नहीं कर सकता; अज्ञानी व्यक्ति अच्छी वस्तु का महत्त्व नहीं समझ सकता; मूर्ख गुणों का महत्त्व नहीं समझता।
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मुहावरे का वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग- स्वतन्त्रता आंदोलन के दौरान खादी वस्त्रों का प्रचार-प्रसार अत्यधिक हुआ जो आज भी प्रासंगिक है किन्तु इन वस्त्रों से आज कल लोग मुँह मोड़ते हैं। सत्य ही कहा गया है बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
वाक्य प्रयोग- इस मूर्ख को शास्त्रीय संगीत में क्या आनंद आएगा- बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद!
वाक्य प्रयोग- किसी खेल का मजा तो उस खेल का खिलाड़ी या जानकार ही जान पाता है, क्योंकि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद !
वाक्य प्रयोग- तुम्हे कभी पेड़े खाए नही और उसके बारे मे बुरी बुरी बाते कर रहे हो अरे यह तो वही बात हो गई बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद ।
वाक्य प्रयोग- जब सुशीला को पानी पूरी खाने को दी तो वह उसे खराब कह कर फेंकने लगी तब उसके पास खडी रिया समझ गई बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
वाक्य प्रयोग- जब रमेश ने सुरेश को बैडमिंटन खेलने के लिए बुलाया तो वह बोला बैडमिंटन भी कोई खेल है, खेलना है तो क्रिकेट खेलो। तब मैंने कहा कि बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद
यहां हमने “बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद” जैसे प्रसिद्ध मुहावरे का अर्थ और उसका वाक्य प्रयोग समझाया है। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मुहावरे का अर्थ होता है- "मूर्ख व्यक्ति गुण की परख नहीं कर सकता; अज्ञानी व्यक्ति अच्छी वस्तु का महत्त्व नहीं समझ सकता; मूर्ख गुणों का महत्त्व नहीं समझता।" जब किसी व्यक्ति के सामने कितनी ही अच्छी वस्तु क्यों न रखी परन्तु वह उसका महत्त्व नहीं समझता है तो बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद कहावत का प्रयोग करते हैं।
COMMENTS