पितृ पक्ष क्या होता है (Pitru Paksha Meaning in Hindi) पितृ पक्ष के दौरान कुत्तों, गायों और कौवे जैसे जानवरों को भोजन खिलाएं। पितृ पक्ष में आदर के साथ
पितृ पक्ष क्या होता है (Pitru Paksha Meaning in Hindi)
पितृ पक्ष क्या होता है ?
श्राद्ध या पितृ पक्ष हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने में नवरात्रि से पहले 16 दिनों की चंद्र अवधि है। पितृ पक्ष के दौरान हिन्दू लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिये पिण्डदान करते हैं। पुराणों के अनुसार मुताबिक मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। श्राद्ध पक्ष में मांसाहार पूरी तरह वर्जित माना गया है। श्राद्ध पक्ष का माहात्म्य उत्तर व उत्तर-पूर्व भारत में ज्यादा है। मान्यता है कि कौए पितर का रूप होते हैं और वो इन दिनों में अपने परिवार से मिलने कौए के रूप में धरती पर आते हैं। पितृपक्ष में कौओं को भोजन देने का विशेष महत्व होता है।इसे 'सोलह श्राद्ध', 'महालय पक्ष', 'अपर पक्ष' आदि नामों से भी जाना जाता है।
पितृ पक्ष के दौरान हमें क्या करना चाहिए?
पितृ पक्ष के दौरान कुत्तों, गायों और कौवे जैसे जानवरों को भोजन खिलाएं। पितृ पक्ष में आदर के साथ ब्राह्मण को भोजन खिलाना शुभ होता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने और पितृ पक्ष के दौरान नए कपड़े पहनने या खरीदने से बचें। पितृपक्ष में पितरों के देव अर्यमा को अवश्य ही जल अर्पित करना चाहिए।
1. पितृपक्ष के दौरान हमें पितरों का स्मरण करना चाहिए।
2. पितृपक्ष में जब हम अपने पितरों को तर्पण करते हैं तो इस दौरान हमें ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए।
3. पितरों को तर्पण करते समय जल में काला तिल, फूल, दूध, कुश मिलाकर तर्पण करना चाहिए। कुश का उपयोग करने से पितर पूर्णतः तृप्त हो जाते हैं।
4. पितृपक्ष में आप प्रत्येक दिन स्नान के समय जल से ही पितरों को तर्पण करें. इससे उनकी आत्माएं तृप्त होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।
5. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के सभी दिन पितरों के लिए भोजन रखें. वह भोजन गाय, कौआ, कुत्ता आदि को खिला दें. ऐसी मान्यता है कि उनके माध्यम से यह भोजन पितरों तक पहुंचता है।
6. पितरों के लिए श्राद्ध कर्म सुबह 11:30 बजे से दोपहर 02:30 बजे के बीच ही संपन्न कर लेनी चाहिए।
1. पितृपक्ष के समय में लहसुन, प्याज, मांस-मछली और शराब आदि का सेवन वर्जित होता है।
2. इस समय में अपने घर के बुजुर्गों और पितरों का अपमान न करें. यह पितृ दोष का कारण बन सकता है.
3. पितृ पक्ष के दौरान चने और मसूर की दाल का का सेवन करना वर्जित माना जाता है। इसलिए जब तक श्राद्ध चलें, इन्हे नहीं खाना चाहिए।
4. पितृपक्ष के दौरान जमीन से उगने वाली सब्जियां जैसे कि मूली, गाजर, अरबी और आलू आदि का सेवन निषेध होता है। इस सब्जियों का संबंध राहु से माना जाता है।
5. पितृपक्ष में स्नान के समय तेल, उबटन और सुगन्धित पदार्थ जैसे इत्र आदि का प्रयोग करना वर्जित है.
6. पितृपक्ष में कोई भी मांगलिक या धार्मिक कार्य जैसे गृह प्रवेश, नामकरण मुंडन, सगाई, आदि न करें. पितृपक्ष में ऐसे कार्य करने अशुभ होते हैं.
7. कुछ लोग पितृपक्ष में नए वस्त्रों को खरीदना और या चटकीले रंग के वस्त्रों को पहनना भी अशुभ मानते हैं।
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