अंधेर नगरी चौपट राजा मुहावरे का अर्थ - जहाँ मुखिया ही मूर्ख हो, सब काम अस्त-व्यस्त होना, प्रशासन की अयोग्यता की बाजार से अराजकता होना, मूर्ख और विद्वा
अंधेर नगरी चौपट राजा मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग
अंधेर नगरी चौपट राजा मुहावरे का अर्थ - जहाँ मुखिया ही मूर्ख हो, सब काम अस्त-व्यस्त होना, प्रशासन की अयोग्यता की बाजार से अराजकता होना, मूर्ख और विद्वान के साथ समान व्यवहार।
अंधेर नगरी चौपट राजा मुहावरे का वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग: मुगलकालीन बादशाह मुहम्मदशाह रंगीला का कार्यकाल अंधेर नगरी चौपट राजा के सामान था क्योंकि उसका आचरण दरबार के शिष्टाचार के अनुरूप नहीं था तथा उसके राज्य में अनैतिक कार्यों का बोलबाला था।
वाक्य प्रयोग: अयोग्य अधिकारी होने पर सभी कामों में धांधली चलती है, ठीक ही कहा गया है कि अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा।
वाक्य प्रयोग: उस कार्यालय का कोई कर्मचारी ठीक से काम नहीं करता क्योंकि सभी अधिकारी भ्रष्ट हैं चारों तरफ अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ होती दिखाई पड़ती है।
वाक्य प्रयोग: आजकल योग्य और अयोग्य व्यक्तियों में कोई अंतर नहीं किया जाता और धांधली रही है। ठीक ही कहा गया है कि अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा।
वाक्य प्रयोग: सिंचाई विभाग का मुख्या इंजीनयर एक भ्रष्ट अधिकारी है फलस्वरूप कोई भी कार्य ठीक ढंग से नहीं हो पता है। ठीक ही कहा गया है अंधेर नगरी चौपट राजा।
यहाँ हमने अंधेर नगरी चौपट राजा जैसे प्रसिद्ध मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग समझाया है। अंधेर नगरी चौपट राजा मुहावरे का अर्थ होता है - जहाँ मुखिया ही मूर्ख हो, सब काम अस्त-व्यस्त होना, प्रशासन की अयोग्यता की बाजार से अराजकता होना, मूर्ख और विद्वान के साथ समान व्यवहार। जब किसी जगह का शीर्ष अधिकारी या राजा ही मूर्ख होता है तो वहां पर अराजकता व्याप्त हो जाती है और सारे काम अस्त-व्यस्त हो जाते हैं।
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