निर्मला जोशी का जीवन परिचय (Nirmala Joshi in Hindi) भारत में जन्मी रोमन कैथोलिक नन सिस्टर निर्मला जोशी को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सुपीरियर जनरल...
निर्मला जोशी का जीवन परिचय (Nirmala Joshi in Hindi)
भारत में जन्मी रोमन कैथोलिक नन सिस्टर निर्मला जोशी को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सुपीरियर जनरल चुना गया था, जब विश्व प्रसिद्ध मदर टेरेसा ने स्वास्थ्य समस्याओं के कारण नन के प्रमुख के रूप में पद छोड़ने का फैसला किया था। सिस्टर निर्मला ने 1997 से 2009 तक सुपीरियर जनरल में सेवा की। साल 2009 में सिस्टर निर्मला को 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था।
पूरा नाम | मारिया निर्मला जोशी |
अन्य नाम | सिस्टर निर्मला |
जन्म | 23 जुलाई, 1934 |
जन्म भूमि | राँची, झारखंड |
मृत्यु | 23 जून, 2015 |
मृत्यु स्थान | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | समाज सेवा |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म विभूषण (2009) |
प्रसिद्धि | मिशनरीज ऑफ़ चैरिटीज' की प्रमुख |
नागरिकता | भारतीय |
धर्म | ईसाई (1958-2015) हिन्दू (1934-1958) |
अन्य जानकारी | 17 साल की उम्र में सिस्टर निर्मला ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था और मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटीज़ से जुड़ गई थीं। |
नेपाल से प्रवास करने वाले एक भारतीय सेना अधिकारी की बेटी निर्मला जोशी का जन्म 23 जुलाई, 1934 को भारत के बिहार के रांची शहर में हुआ था। निर्मला जोशी के माता-पिता नेपाल से थे। यद्यपि वह ब्राह्मणों के एक परिवार में पैदा हुई थी, परन्तु उन्होंने युवावस्था में ईसाई धर्म को अपनाया और रोमन कैथोलिक धर्म में परिवर्तित हो गई। सिस्टर निर्मला को राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल है। उन्होंने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी में शामिल होने का फैसला करने से पहले एक वकील के रूप में प्रशिक्षण लिया, जो भारत के कोलकाता में स्थित महिलाओं की एक मण्डली है, जो गरीबों की मदद करने के लिए समर्पित है।
सिस्टर निर्मला जोशी ने मदर टेरेसा की सहयोगी होने के साथ-साथ मिशनरी के लिए विभिन्न पदों पर कार्य किया। वह पनामा, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में चल रहे विदेशी मिशन का नेतृत्व करने वाली पहली नन में से एक थीं। 1979 में वह मिशनरी के चिंतनशील विंग की नेता बनीं, जिसमें नन अपना जीवन ध्यान के लिए समर्पित करती हैं।
जब 1990 के दशक के दौरान मदर टेरेसा के स्वास्थ्य में गिरावट शुरू हुई, तो मिशनरी ने दो बार पद छोड़ने की उनकी इच्छा को स्वीकार करने से इनकार कर दिया; हालांकि, 1979 के शांति के नोबेल पुरस्कार के बाद मदर टेरेसा गंभीर रूप से बीमार पड़ गयीं तब 120 से अधिक वरिष्ठ नन का चयन किया गया जिनमे से सुपीरियर नन का चयन किया जाना था। उन्होंने मार्च में घोषणा की कि सिस्टर निर्मला को लगभग एकमत से मदर टेरेसा के उत्तराधिकारी के रूप में चुना है।
सुपीरियर जनरल के रूप में, वह दुनिया भर में 500 से अधिक अनाथालयों, धर्मशालाओं, गरीबों के लिए घरों और अन्य चैरिटी केंद्रों को चलाने वाली लगभग 4,500 ननों की प्रमुख बनीं। इस पद का मुख्य काम यह सुनिश्चित करना था कि सभी आगामी कार्यों के लिए पर्याप्त दान आता रहे। कई वर्षों की सेवा के बाद, सिस्टर निर्मला ने 2009 में सुपीरियर जनरल का पद छोड़ दिया। 23 जून, 2015 को कोलकाता में उनका निधन हो गया।
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