समय के महत्व के विषय में पिता-पुत्र के मध्य वार्तालाप को संवाद के रूप में लिखिए। : In This article, We are providing समय के महत्व के विषय में पिता पुत
समय के महत्व के विषय में पिता-पुत्र के मध्य वार्तालाप को संवाद के रूप में लिखिए। : In This article, We are providing समय के महत्व के विषय में पिता पुत्र के मध्य वार्तालाप संवाद लेखन and Nadi aur Parvat Ke Beech Samvad Lekhan for Students and teachers.
समय के महत्व के विषय में पिता-पुत्र के मध्य वार्तालाप
पिता : क्या तुम्हे याद है कि अगले मैंने तुम्हारे बोर्ड की परीक्षा है।
पुत्र : हाँ पिताजी, मुझे याद है।
पिता : क्या तुमने परीक्षा की तैयारी करना शुरू किया ?
पुत्र : थोड़ी बहुत तैयारी है अभी।
पिता : ठीक है बेटे, लेकिन तुम्हे पता होना चाहिए कि ये एग्जाम तुम्हारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है। इसलिए तुमको पूरी मेहनत करनी चाहिए। लेकिन तुम मोबाइल में लगे रहते हो।
पुत्र : जी पिता जी, अब से मैं मोबाइल कम चलाऊंगा और पूरी मेहनत करूँगा।
पिता : मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटे। ये समय पढाई करने का है। इसलिए तुम्हे समय का महत्व समझकर उसका सदुपयोग करना चाहिए।
पुत्र : जी पिता जी, अब से परीक्षा तक मैं अपना ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर लगाऊंगा।
समय के महत्व के विषय में पिता-पुत्र के मध्य संवाद लेखन
पिताजी : बेटा तुम इतनी देर तक सोते रहोगे तो जीवन पथ पर आगे कैसे बढ़ोगे?
बेटा : क्या पिताजी ? आप भी न एक दिन छुट्टी के दिन में आराम करता हूं तब भी आप मुझपर चिल्लाते हैं।
पिताजी : नहीं, बेटा मैं तुम पर चिल्ला नहीं रहा। तुम्हें बस सचेत कर रहा हूं कि तुम समय के साथ चलो।
बेटा : पिताजी समय के साथ चलने का क्या आशय है ?
पिताजी : बेटा समय के साथ चलने का अर्थ है जो काम महत्वपूर्ण है उसे पहले करना।
बेटा : पर पिता जी समय इतना महत्वपूर्ण क्यों है ?
पिताजी : बेटा ।यह समय ही तो है जो सबकी परीक्षा लेता है। समय ही सबसे बलवान होता है। समय न हो तो क्या दिन और क्या रात।यह हमें गुलाम बनाता है और मेहनती भी।इसलिए समय का महत्व तो है।
बेटा : समझ गया पिताजी मैं आपके बातों को अर्थात समय के महत्व को।
पिता और पुत्र के बीच समय के महत्व पर संवाद लेखन
पिता : रमेश, क्या तुमने अपना गृहकार्य कर लिया है जो तुम बाहर खेलने जा रहे हो ?
पुत्र : नहीं पिता जी, पर मैं बाद में कर लूंगा।
पिता : बेटा बाहर मौसम बहुत ही ठंडा है, अगर तुम बाहर गए तो बीमार पड़ जाओगे।
पुत्र : चलिए, कोई बात नहीं। फिर मैं टेलीविज़न देख लेता हूँ।
पिता : पर बेटा तुम्हे नहीं लगता की तुम्हे पहले अपना गृहकार्य पूरा करना चाहिए ? टीवी तो बाद में भी देख सकते हो।
पुत्र : पर अभी तो मेरे पास बहुत समय है।
पिता : देखो रमेश समय किसी के लिए नहीं रुकता और न ही बीता समय कभी लौटकर आता है अतः हमें समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए। हमारी हर सफलता, आशा और इच्छा समय पर ही निर्भर है। इसीलिए समय का सदुपयोग करना हम सभी के लिए बहुत ज़रूरी है।
पुत्र : मैं समझ गया पिता जी, आगे से मैं कभी भी समय को बर्बाद नहीं करूँगा।
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